Mutual Fund and its Associated Risks: प्रत्येक वित्तीय साधन में जोखिम जुड़ा होता है, फिर ये तो म्यूचुअल फंड हैं और इसके साथ भी अलग-अलग तरह के जोखिम जुड़े होते हैं. यदि आप इन रिस्क को अच्छी तरह से समझ लेते हैं तो इनसे दूर रहना आसान है. स्मार्ट निवेश रणनीतियों के साथ जोखिम को कम करने के विभिन्न तरीके हैं. आप विभिन्न रणनीतियों के साथ म्यूचुअल फंड जोखिम का मुकाबला कर सकते हैं.
कुछ तरीके हैं जिनसे जोखिमों को कम किया जा सकता है.
– निवेशकों को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार पोर्टफोलियो का निर्माण करना चाहिए, इसके लिए निवेशकों को अपनी विशेषताओं (आपकी उम्र और वित्तीय लक्ष्यों) का विश्लेषण करना चाहिए.
– निवेशक विविधीकरण के जरिए, हेज फंड में निवेश करके और SIP के जरिए निवेश से जोखिम को कम कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट आर सब्जेक्ट टु मार्केट रिस्क. ये लाइन निवेशकों ने कई बार सुनी होगी या पढ़ी होगी. ये जोखिम इक्विटी म्यूचुअल फंड से जुड़ा है क्योंकि स्टॉक की कीमतों में बदलाव से निवेशक के रिटर्न पर असर पड़ता है. बाजार जोखिम को सिस्टेमैटिक रिस्क के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह पूरे उद्योग को प्रभावित करता है और इसे विविधीकरण के माध्यम से समाप्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोई भी प्राकृतिक आपदा, आतंकवादी हमला पूरे बाजार को प्रभावित करता है. COVID-19 महामारी के प्रभावों को व्यवस्थित निवेश से नहीं रोका जा सकता है क्योंकि सभी उद्योग एक कारक के कारण प्रभावित होते हैं.
इस जोखिम को कैसे करेंगे कमः इस जोखिम से अपने निवेश को बचाने के लिए आपको डाइवर्सिफिकेशन का सहारा लेना चाहिए.
क्रेडिट या डिफॉल्ट रिस्क वह जोखिम है जो तब उत्पन्न होता है जब देनदार अपने ऋण दायित्वों को पूर्ण या आंशिक रूप से भुगतान करने में असमर्थ होता है.
इस जोखिम को कैसे करेंगे कमः इस जोखिम को कम करने के लिए आपको सिर्फ उच्च क्रेडिट-रेटिंग वाली सिक्योरिटीज में निवेश करना चाहिए. डेट म्यूचुअल फंड में क्रेडिट डिफॉल्ट रिस्क सबसे आम जोखिम है और क्रेडिट रेटिंग की मदद से आप कम जोखिम वाली प्रतिष्ठित कंपनियों में निवेश करके अपने जोखिम का प्रबंधन कर सकते हैं. AAA रेटिंग वाली कंपनी या बॉन्ड या सिक्योरिटीज में ही निवेश करें.
साइलेंट किलर कहा जाने वाला ये रिस्क आपके निवेश के मूल्य पर प्रभाव डालता है. 1960 में जो चीज आप 100 रुपये में खरीद सकते थे, उसे खरीदने के लिए 2021 में आपको 7,500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसे परचेजिंग पावर रिस्क भी भी कहा जाता है क्योंकि हमारे द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में अचानक वृद्धि पैसे की परचेजिंग पावर को प्रभावित करती हैं. इसलिए यदि निवेशक को इंफ्लेशन की दर से अधिक रिटर्न ना मिले तो नुकसान होता है.
इस जोखिम को कैसे करेंगे कमः निवेशक को निवेश करते समय मुद्रास्फीति की दर को ध्यान में लेना चाहिए, क्योंकि यह निवेशक के दैनिक खर्च को प्रभावित करता है. इंफ्लेशन रेट से अधिक रिटर्न मिले ऐसे साधनो में निवेश करना चाहिए. आप स्टॉक म्यूचुअल फंड्स में निवेश करके इंफ्लेशन रिस्क को दूर रख सकते हैं.
यह जोखिम तब उत्पन्न होता है जब निवेशक बिना किसी नुकसान के अपने को रीडिम करने में असमर्थ होता है. म्यूचुअल फंड में, इक्विटी-लिंक्ड फंड (ELSS) इस जोखिम का सामना करते हैं क्योंकि इनमें 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता हैं, इसलिए निवेशक इस अवधि के दौरान इन्हें रीडिम नहीं कर सकता हैं, और यदि करता हैं तो उसे नुकसान जेलना पडता हैं. यहां तक कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs) भी इस जोखिम से प्रभावित होते हैं क्योंकि जरूरत के समय आपको कम खरीदार मिल सकते हैं.
इस जोखिम को कैसे करेंगे कमः इस जोखिम को कम करने के लिए निवेशक को लिक्विड फंड के साथ बेलेंस बनाना चाहिए. आपको म्यूचुअल फंड का चयन करने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह कितना लिक्विड है. यदि उसमें लॉक-इन पीरियड हैं तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपको उतनी अवधि के दौरान रिडीम करने की जरूरत पड़ेगी या नहीं. आपको लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए लिक्विड फंड, बैंक एफडी जैसे साधनों में थोड़ा निवेश रखना चाहिए.