Gold Vs Bitcoin: कोविड -19 महामारी ने हमें कई सबक सिखाए हैं, लेकिन सबसे जरूरी सबक है अपनी मेहनत की कमाई को सही जगह निवेश करना जिससे सेविंग तो होती ही है और साथ में रिटर्न भी मिलता है. और इस आदत ने ही लॉकडाउन के कठिन समय के दौरान कई लोगों को सिक्योर किया. समझदारी से निवेश किया उनका पैसा बुरे वक्त में उनके काम आया. कई लोगों के रोजगार चले गए और उन्हें अपनी सेविंग पर ही निर्भर रहना पड़ा. उनकी इस सेविंग ने ही बुरे दौर में उनके घर को चलाया.
महामारी के दौरान हमने देखा है कि लोग सेफ-हेवेन एसेट की ओर बढ़ रहे हैं. सोने में निवेश ने निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है लेकिन गोल्ड की चमक को कम करते हुए, क्रिप्टोकरेंसी ने गोल्ड से भी बेहतर रिटर्न दिया. और, यही वजह है कि क्रिप्टोकरेंसी ने कई निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
पहले, लोग स्टॉक वोलैटिलिटी से बचाव के तौर पर गोल्ड खरीदते थे. ये तरीका काफी प्रभावी भी साबित हुआ, लेकिन अब एक नया विकल्प भी सामने आया है जो पुराने विकल्प को चुनौती दे रहा है.
बड़ी मात्रा में गोल्ड का इस्तेमाल कंज्यूमर गुड्स जैसे कि ज्वेलरी में होता है. ज्वेलरी के लिए ये एक वैल्युएबल मटीरियल है, और यह बहुतायत में नहीं है. इसकी डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम. गोल्ड को मैन्युफैक्चर नहीं किया जा सकता. एक कंपनी नए शेयर जारी कर सकती है, फेडरल बैंक डॉलर के बिल प्रिंट कर सकता है लेकिन गोल्ड के साथ ऐसा नहीं है.
बिटकॉइन एक ब्लॉकचेन-बेस्ड क्रिप्टोकरेंसी है जिसकी कुछ गुण गोल्ड से मिलती हैं. कई लोग बिटकॉइन को “डिजिटल गोल्ड” भी कहते हैं, क्योंकि इसका भी दूसरे एसेट से कोई खास संबंध नहीं है – खास तौर से स्टॉक. गोल्ड की तरह बिटकॉइन का भी लिमिटेड अमाउंट होता है.
लीगेलिटी, ट्रांसपेरेंसी और सेफ्टी के आधार पर, गोल्ड क्रिप्टोकरेंसी से बेहतर है. गोल्ड और बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी दोनों की मार्केट में अच्छी लिक्विडिटी है. वोलैटिलिटी की बात करें तो बिटकॉइन गोल्ड की तुलना में ज्यादा वोलेटाइल हैं. गोल्ड का एक लंबा इतिहास है और बिटकॉइन की तुलना में ये कम वोलेटाइल है. हर तबके के लोगों तकगोल्ड की पहुंच है. सबसे खास बात यह है कि गोल्ड केंद्रीय बैंकों की अल्टीमेट करेंसी है.
बिटकॉइन ने स्टोर वैल्यू के रूप में गोल्ड की तुलना में 100 गुना बढ़त दर्ज की है. इसकी बढ़ती कीमतों ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. हालांकि पिछले कुछ महीनों में बिटकॉइन में सैकड़ों प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है, लेकिन आने वाले सालों में भी इसके बढ़ने की संभावना है. हो सकता है, बिटकॉइन का मार्केट कैप 2030 तक सोने के मार्केट कैप को पार कर जाए. गोल्ड और क्रिप्टोकरेंसी दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं और यह एक निवेशक पर निर्भर करता है कि वो कहां
निवेश करना चाहता है.
(लेखक GCL सिक्योरिटीज के वाइस चेयरमैन हैं; व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)