क्या आपने लगाया हैं फंड ऑफ फंड्स में पैसा? जानिए टैक्स का नियम

FoF: FoF के जरिए आप अपनी पूरी पूंजी को एक ही एसेट क्लास में निवेश करने की बजाय इसे अलग-अलग विकल्पों में निवेश कर सकते हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - November 12, 2021, 11:49 IST
क्या आपने लगाया हैं फंड ऑफ फंड्स में पैसा? जानिए टैक्स का नियम

Unsplash - FoF में निवेश करते वक्त निवेशक को ओवर-डाइवर्सिफिकेशन रिस्क से बचना चाहिए.

Unsplash - FoF में निवेश करते वक्त निवेशक को ओवर-डाइवर्सिफिकेशन रिस्क से बचना चाहिए.

Fund of Funds (FoF): विदेशों में निवेश करने वाले फंड ऑफ फंड्स (FoF) ने अक्टूबर में 1,513 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश प्राप्त किया, जो अगले महीने 410 करोड़ रुपये था. दो नए फंड ऑफर (NFO) द्वारा जुटाए गए 1,148 करोड़ रुपये के कारण FoF में निवेश बढा. फंड ऑफ फंड्स (Fund of Funds) के जरिए अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकता है. इसके बारे में जानते है सब कुछ.

क्या हैं फंड ऑफ फंड्स (Fund of Funds)

जैसे आप अपनी पूंजी को किसी शेयर या बाॉन्ड में निवेश करते हैं, ठीक उसी प्रकार फंड ऑफ फंड्स (FoF) के जरिए आप अन्य म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करते हैं. FoF ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीमें हैं जिसमें फंड मैनेजर अन्य म्यूचुअल फंड का एक पोर्टफोलियो तैयार करते हैं.

मान लीजिए, कोई फंड मैनेजर गोल्ड में निवेश करना चाहता हैं, तो फंड ऑफ फंड्स के जरिए मैनेजर गोल्ड स्कीम में निवेश करने वाली स्कीम में पैसा लगाएगा.

FoF के फायदे

– अगर आप अपने एसेट्स को रीबैलेंस करते हैं तो इस इंटरनल ट्रांजैक्शन पर किसी कैपिटल गेन को लेकर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती. ऐसे में अगर डेट व इक्विटी के बीच एलोकेशन को रीबैलेंस किया जाता है तो इससे हुए कैपिटल गेन्स पर कोई टैक्स देनदारी नहीं होगी.

– ट्रैक करने के लिए सिर्फ एक NAV और एक फोलियो होता है जिससे इसे हैंडल करना आसान हो जाता है.

– जिन निवेशकों के पास सीमित पूंजी होती है, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स के जरिए अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने में मदद मिलती है.

ओवर-डाइवर्सिफिकेशन का जोखिम

FoF कई फंड्स में निवेश करती हैं जो कई सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. इससे इसकी संभावना भी बढ़ती है कि आपके पैसे को एक ही स्टॉक या सिक्योरिटीज में अलग-अलग फंड के जरिए निवेश हो जाए. इससे डाइवर्सिफिकेशन का पूरा फायदा नहीं मिल पाता है.

इक्विटी स्कीमों की तरह टैक्सेशन

अगर FoF, स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारतीय कंपनियों के शेयरों में कम से कम 90 फीसदी निवेश करने वाले इंडियन इक्विटी ETFs में कम से कम 90 फीसदी निवेश करता है, तो FoF को इक्विटी ओरिएंटेड फंड के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है. ऐसे में यह इक्विटी स्कीमों की तरह टैक्सेशन के दायरे में आता है.

शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स

इंटरनेशनल फंड्स या इंटरनेशनल व डॉमेस्टिक इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम्स के मिक्स में निवेश करने वाले FoF पर, अन्य डेट म्यूचुअल फंड स्कीम की तरह टैक्स लगता है.

ऐसे में निवेश से 36 महीने से पहले एग्जिट करने पर निवेशकों को इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा. 36 महीने के बाद फंड से बाहर निकलने पर इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा.

लागत और एक्सपेंस रेशियो

म्यूचुअल फंड स्कीमों पर निवेशकों को कुछ खर्चों (एक्सपेंस रेशियो) को भी चुकाना होता है. हालांकि FoF में अतिरिक्त लागत भी चुकानी होती है.

इसमें जनरल मैनेजमेंट व एडमिनिस्ट्रेटिव फीस के अलावा अंडरलाइंग फंड्स को लेकर अतिरिक्त खर्च भी चुकाना होता है. महज 1 फीसदी के करीब FoF एक्सपेंस रेशियो के अलावा निवेशकों को उन सभी फंड के लिए कुछ राशि चुकानी होगी जो FoF होल्ड करती है.

FoF किसके लिए हैं सही विकल्प

– जो निवेशक अधिक रिस्क नहीं उठा सकते हैं, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स बेहतर विकल्प है.

– जिन निवेशकों के पास हर महीने निवेश के लिए बहुत कम पूंजी होती है, वे इसका चयन कर सकते हैं.

– जो निवेशक कम से कम पांच साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स में निवेश बेहतर है.

– जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो का जोखिम कम करने के लिए इसे डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं, वे इसमें पैसे लगा सकते हैं.

Published - November 12, 2021, 11:48 IST