पोर्टफोलियो में बहुत जरूरी हैं कम रिटर्न वाले ये निवेश विकल्प

Fixed Income: कम रिटर्न के बावजूद जरूरी है फिक्स्ड इनकम में निवेश. जानें, फिक्स्ड इनकम की अनदेखी क्यों नहीं करनी चाहिए

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10 साल से लेकर 18 साल तक के बच्चे अपने सेविंग अकाउंट को खुद चला सकते हैं

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Fixed Income: इंडिया इंफोलाइन के एनालिस्ट्स ने ताजा रिपोर्ट में लिखा है किआने वाले इंटरेस्ट रेट के माहौल में बेहतर रिटर्न कमाने के लिए अल्ट्राशॉर्ट टर्मशॉर्टटर्म और कॉर्पोरेट बॉन्ड कैटेगरी का उपयोग करना चाहिएयानी, इन्वेस्टर्स को फिक्स्ड इनकम इन्स्ट्रूमेंट्स में निवेश बढ़ाने की सलाह दी गई हैअब निवेशकों के मन में ये सवाल उठता है किफिक्स्ड इनकम साधनों में तो बहुत कम रिटर्न मिलता है तो फिर इक्विटी को छोड़ कर इसमें क्यों निवेश करना चाहिए?

निवेशकों की बात भी सही है क्योंकिडेट के मुकाबले इक्विटी ज्यादा तेजी से बढ़ते हैंलेकिनइनमें अस्थिरता ज्यादा होती है और जोखिम भी ज्यादा होता हैवहींफिक्स्ड इनकम के साथ जोखिम जरूर कम होता हैलेकिन रिटर्न स्थिर रहता हैइक्विटी के बारे में आपने कितना भी जान लिया हो और इससे चाहे जितना फायदा उठा चुके होंलेकिन कुछ फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट जरूर करना चाहिएअपनी जरूरत के अनुसारइन दोनों विकल्पों में एक तय अनुपात में निवेश करना चाहिए.

ताल से ताल मिलाएं

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर और छाजेड वैल्थ मेनेजमेंट सर्विसिज के स्थापक हेमांग छाजेड बताते हैं कि, “इक्विटी और डेट में एसेट एलोकेशन का बैलेंस जरूरी हैये अलगअलग तरह के प्रोडक्ट एकदूसरे के पूरक हैंइनसे निवेश की अलगअलग जरूरतें पूरी होती हैंदोनों ही एसेट क्लास की इसमें भ‍िन्‍न भूमिका हैजहां एक ज्यादा रिटर्न देता है तो दूसरा सुरक्षा को बढ़ाने का काम करता हैसमय गुजरने के साथ इक्विटी और फिक्स्ड इनकम अलगअलग दरों से बढ़ते हैंइन दोनों एसेट के बीच एलोकेशन को बढ़ानेघटाने को रीबैलेंसिंग कहते हैं और आपको ये करते रहना है.”

एलोकेशन तय करना है जरूरी

वैल्थ क्रिएशन के सफर में कई बार इक्विटी में ज्यादा रिटर्न मिलेगा तो ऐसा वक्त भी आएगा जब इक्विटी के रिटर्न की रफ्तार डेट से भी कम हो जाएगीइस अस्थिरता से बचने के लिए पहले से ही तय कर लें कि इक्विटी और डेट में किस अनुपात में निवेश किया जाएगाफिर इस एलोकेशन के साथ बने रहेंइसके लिए समयसमय पर पैसा शिफ्ट करते रहें.

इसकी जरूरत तब पड़ती है जब पोर्टफोलियो में किसी एक एसेट क्लास का निवेश ज्यादा बढ़ जाता है और दूसरे का घट जाता हैजिन निवेशकों को एलोकेशन का गणित पल्ले नहीं पड़तावे हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के जरिये यह काम कर सकते हैंइन फंड्स में एसेट बैलेंसिंग और एलोकेशन का काम पारदर्शी तरीके से होता है.

फिक्स्ड इनकम साधन

फिक्स्ड इनकम साधनों में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), बैंक डिपॉजिटपोस्ट ऑफिस डिपॉजिटकंपनी डिपॉजिट्सबॉन्ड (टैक्सफ्री बॉन्ड और जीरो-कूपन बॉन्ड), डिबेंचर्स जैसे विकल्प शामिल हैं. म्यूचुअल फंड में शॉर्ट-टर्म, अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म और हाइब्रिड फंड विकल्प हैं.

फायदा

एक सामान्य निवेश के तौर पर अधिकतर निवेशक इक्विटीरियल एस्टेटगोल्ड और म्यूचुअल फंड्स को ही अच्छा निवेश मानते हैं लेकिन फिक्स्ड इनकम इन्स्ट्रूमेंट्स में निवेश करना भी एक बेहतरीन विकल्प है.

इससे आपकी पूंजी को डाइवर्सिफाई करने में मदद मिलती है और साथ ही पोर्टफोलियो को भी स्थिरता मिलती है.

कई बॉन्ड ब्याज के रूप में नियमित आय देते हैंऔर इसमें निवेश से आपकी राशि और उससे होने वाली ब्याज के रूप में नियमित आय दोनों को सुरक्षित रहते हैपारंपरिक विकल्प PPF भी बुरा नहीं हैकारण है कि यह टैक्स बचत के साथ टैक्स फ्री रिटर्न भी देता है.

Published - June 10, 2021, 06:13 IST