Financial planning: ख्वाहिशें हज़ार लेकिन पैसे हैं चार! हम अपने पैसों से बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं लेकिन कितना कर पाते हैं? सैलरी अकाउंट (Salary Account) में पहुंचने के पहले ही अगर आपकी शॉपिंग लिस्ट तैयार रहती है तो ज़रा संभलकर. तुरंत कमाओ और खर्चा करो कि आदत आपके फ्यूचर के बड़े गोल्स (Financial planning) पर भारी पड़ सकती है.
चाहे विदेश में छुट्टी हो, बच्चों की हायर एजुकेशन या एक समर होम-आप जो चाहें हासिल कर सकते हैं. ये पाने के लिए मनी से भी ज्यादा ज़रूरी है कि आपके पास एक ‘मनी प्लान’ हो. मनी प्लान यानि कि आपके गोल्स क्या हैं उसके लिए कितने पैसों की ज़रूरत है और उन पैसों का आप निवेश कैसे करें.
एक फाइनेंशियल डिसिप्लिन लाना ज़रूरी है. इंवेस्टोग्राफी (Investography) की फाउंडर श्वेता जैन कहती हैं कि आजकल के ज़माने में खर्चा करना आसान है और बचत करना मुश्किल. इसके लिए अपने दिमाग को ट्रिक करके समझाना होगा कि पहले बचत बाद में खर्चा. एकबार ये आदत लग गई तो आगे जाकर आप कई बड़े सपने पूरे कर पाएंगें.
गोल बेस्ड इंवेस्टिंग (Financial planning) वो कुंजी है जो आपको भविष्य के खर्चों के लिए तैयार करती है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि एक बार गोल तय हो गए तो उसमें बदलाव नहीं हो सकता. कार की जगह आपका प्लान बदल जाए और आपको लगे कि बाइक ले लेनी चाहिए क्योंकि वर्क फ्रॉम होम में आपको अब हर दिन ऑफिस नहीं जाना है और पेट्रोल काफी महंगा हो गया है. या फिर सैलरी कट की वजह से आप अपने खर्च कम करना चाहते हैं तो बदलती परिस्थितियों में गोल बदल सकते हैं लेकिन इस डर से कि गोल बदलने पड़ेंगे तो गोल ही न बनाएं इस गलती से बचें.