देश ने 15 अगस्त को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया. इस मौके पर लोगों को उनकी जिंदगी में फाइनेंशियल फ्रीडम की अहमियत समझना चाहिए. फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होने से जहां आपका खुद पर भरोसा बढ़ेगा वहीं खुद को समझने का मौका मिलेगा. ये आपको अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने की आजादी देता है. फाइनेंशियल फ्रीडम सभी के लिए जरूरी है. हालांकि, ज्यादातर लोग इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि जीवन में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्हें कितना पैसा अलग रखना चाहिए या इन्वेस्ट करना चाहिए.
फाइनेंशियल फ्रीडम पाना इतना मुश्किल नहीं है. सोशल मीडिया की मदद से कुछ युवा, भारत को फाइनेंशियली लिटरेट और इंडिपेंडेंट बनाने के लिए काम कर रहे हैं. उनकी सबसे बड़ी ताकत है आम आदमी की भाषा में बात करने की क्षमता. इसके अलावा, सोशल मीडिया इकोसिस्टम भी उनके लक्ष्य को पाने में उनकी मदद कर रहा है. भारत में पर्सनल फाइनेंस इन्फ्लुएंसर की सफलता की चाबी उनकी ऑडियंस और उनकी जरूरतों को समझना है.
फाइनेंशियल फ्रीडम: सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का रोल
हाल ही में मिलेनियल्स और जेन Z ने सोशल मीडिया के जरिए शेयर मार्केट और इन्वेस्टमेंट में इंटरेस्ट डेवलप किया है. ये जेनरेशन पैसे के मामलों पर पेरेंट्स की बातों पर आंख मूंद कर भरोसा करने के बजाय सोशल मीडिया को फॉलो करेगी. यू ट्यूब, इंस्टाग्राम और ट्विटर में लोगों की रुचि बढ़ रही है. भारत को फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बनाने के लिए कई पर्सनल फाइनेंस चैंपियन पिछले कुछ सालों से लगातार मेहनत कर रहे हैं.
Money9 ने कुछ इन्फ्लुएंसर्स से बात की और जाना कि वो इस लक्ष्य को पूरा करने में किस तरह से अपना योगदान दे रहे हैं.
प्रसाद लेंडवे: डीमैट अकाउंट खोलने के लिए अपनी बहन से उधार लिए गए आधे से ज्यादा पैसे गंवाने वाले प्रसाद लेंडवे अब फाइनेंशियल लिटरेसी के लिए एक सफल YouTube चैनल (1.54 मिलियन सब्सक्राइबर के साथ) चलाते हैं.
उन्होंने कहा, “मैं एक इंजीनियर और MBA ड्रॉपआउट हूं. फाइनेंस और शेयर मार्केट का फॉलोअर होने के नाते, मैं हमेशा एक बड़े समुदाय को योगदान देना चाहता था. शुरू से ही मुझमें इन्वेस्ट करने का पैशन था लेकिन फाइनेंशियल लिटरेट न होना मानों मेरे रास्ते का सबसे बड़ा पत्थर था. इसलिए मैं फाइनेंशियल लिटरेसी का प्रसार करना चाहता हूं और भारत को आर्थिक रूप से साक्षर और स्वतंत्र बनाने में मदद करना चाहता हूं”
वरुण मल्होत्रा: वॉरेन बफेट अब तक के सबसे सफल निवेशकों में से एक हैं. निवेशक अक्सर अपनी निवेश यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए उनकी कही बातों को फॉलो करते हैं. एज इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल स्टडीज (EIFS) के डायरेक्टर और एक प्रसिद्ध YouTuber वरुण मल्होत्रा का मानना है कि वॉरेन बफेट की कही बातें किसी के फाइनेंस से जुड़े हर सवाल का जवाब हैं. साथ ही, वो कम उम्र में बच्चों को फाइनेंस इंट्रोड्यूज करने के कॉन्सेप्ट का सपोर्ट करते हैं.
मल्होत्रा ने सुझाव दिया, स्कूल लेवल पर फाइनेंशियल लिटरेसी की कमी की वजह से ही आज मेरे जैसे फाइनेंशियल एडवाइजर और इन्फ्लुएंसर की जरूरत है. अगर बच्चों को छोटी उम्र से ही मनी मेटर और फाइनेंस मैनेजमेंट सिखाया जाएगा तो फाइनेंशियल इंडिपेंडेंट होने की राह आसान हो जाएगी. फाइनेंशियल लिटरेसी हमारे एकेडमिक करिकुलम का हिस्सा होनी चाहिए.
रचना फड़के रानाडे: रचना फड़के रानाडे एक समाजसेवी हैं जो YouTube पर पर्सनल फाइनेंस वीडियो बनाती हैं. वो एक जानी मानी चार्टर्ड एकाउंटेंट थीं, जिन्होंने अपना प्रोफेशन छोड़कर भारत में फाइनेंशियल लिटरेसी के एक बड़े लक्ष्य की दिशा में काम करना चुना. रानाडे ने बताया कि मैंने 10 साल से अधिक समय तक CA और MBA स्टूडेंट्स को पढ़ाया. लेकिन एक दिन, मेरी नजर एक न्यूज आर्टिकल पर पड़ी , जिसमें हमारे देश की फाइनेंशियल लिटरेसी की बेहद खराब दर को उजागर किया गया था. ये बहुत दुखद था और मैंने भारत में वित्तीय पैठ बढ़ाने के लिए अपना योगदान देने का फैसला किया. दो साल पहले, मैंने YouTube की ओर रुख किया और अपने देश की सेवा करने के मकसद से वीडियो कॉन्टेंट बनाना शुरू किया. मेरा सफर और मुझे मिला रिस्पॉन्स अविश्वसनीय रहा.
प्रांजल कामरा और अनंत लधा जैसे कई फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स ने फाइनेंशियल फ्रीडम का महत्व और इसे पाने के सरल तरीकों पर मनी 9 से बात की. उन्होंने बताया कि इस दिशा में और लोगों के जुड़ने से इस मिशन को शक्ति मिलेगी. यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि इन्वेस्टमेंट का डिसीजन एक्सपर्ट की सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए.