निवेश की दुनिया में नए हैं तो आपके लिए जरूरी है इन फाइनेंशियल टर्म्स को समझना

निवेश की दुनिया में दाखिल होने के बाद आपके सामने कई नए टर्म आते हैं. भविष्य में सही फैसले लेने में इनसे मदद मिलती है.

liquid fund vs Bank FD: where should you invest for emergency?

लिक्विड फंड ने 1 साल में 3-4%  के बीच और 5 साल में 5% के करीब रिटर्न दिया है.

लिक्विड फंड ने 1 साल में 3-4%  के बीच और 5 साल में 5% के करीब रिटर्न दिया है.

अगर आप फाइनेंस के मैदान में आपकी एंट्री नई हुई है, तो आपको इससे जुड़े शब्‍दों के बारे में जानना शुरू कर देना चाहिए. मसलन, बजट, सेविंग, डायरेक्ट टैक्स, इंवेस्टमेंट, इंश्योरेंस, चक्रवृद्धि ब्याज, म्यूचुअल फंड और ऐसे बहुत सारे टर्म हैं, जिन्हें समझना जरूरी है. इससे आपको निवेश के निर्णय लेने में आसानी होगी और तभी आप निवेश के चौके-छक्‍के लगा पाएंगे.

CFP और CFA

सर्टिफाइड फाइनेंशल प्लानर (CFP) एक फाइनेंशियल प्रोफेशनल होता है. सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर बोर्ड ऑफ स्‍टैन्डर्ड्स उसे सर्टिफिकेट देता है. फाइनेंस के फील्ड में ये सर्टिफिकेट बहुत महत्वपूर्ण है. इंश्योरेंस, टैक्स, रिटायरमेंट सेविंग्स, एस्टेट प्लानिंग और काफी विषयों के विषयो में उसकी महारथ होती है. वहीं, सर्टिफाइड फाइनेंशल एनालिस्ट (CFA) भी फाइनेंशियल एक्सपर्ट है जिसने CFA इंस्‍टीटयूट की परीक्षा पास की होती है और उसके पास लाइसेंस होता है.

चक्रवृद्धि ब्याज और चक्रवृद्धि अवधि

एक ऐसा तरीका जिसमें अभी तक संचित हुए ब्याज को मूलधन में मिलाकर इस मिश्रधन पर ब्याज की गणना की जाती है तो इसे चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) कहते हैं. जिस अवधि के बाद ब्याज की गणना करके उसे मूलधन में जोड़ा जाता है, उसे चक्रवृद्धि अवधि (compounding period) कहते हैं.

यदि आपका बैलेंस 1,000 रुपये है और आपको सालाना 6% इंटरेस्ट मिलता है, तो पहले वर्ष के बाद आपकी ब्याज की कमाई 60 रुपये होगी और आपका बैलेंस 1,060 रुपये हो जाएगा. दूसरे साल आपको इस नए बैलेंस पर 6% ब्याज मिलेगा और दूसरे साल के बाद आपका नया बैलेंस 1,123.60 रुपये हो जाएगा.

जीवन बीमा

जीवन बीमा (Life insurance) एक लिखित करार है, जो किसी व्यक्ति (बीमाधारी) और बीमा प्रदाता के बीच में किया जाता है. बीमाधारक द्वारा कंपनी को प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है, जिसके बदले उसके वारिस या नॉमिनी को एक फिक्स्ड अमाउंट मिलता है.

टर्म इंश्योरेंस

टर्म इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस का सबसे बेसिक और सस्ता प्रकार है जो जीवन की अनिश्चितताओं को लेकर आर्थिक सुरक्षा देता है. इसमें सिर्फ लाइफ कवर मिलता है. आप सेविंग्स या अन्य किसी फायदे के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. आपके द्वारा खरीदे गए टर्म इंश्योरेंस प्लान के आधार पर पॉलिसी अवधि के दौरान आपकी असामयिक मृत्यु की स्थिति में आपके परिवार को सम एश्योर्ड (बीमित राशि) मिलता है.

एंडोवमेंट प्लान

एंडोवमेंट प्लान और टर्म इंश्योरेंस में बहुत समानता है. टर्म प्लान में कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता. वहीं, एंडोवमेंट प्लान में मैच्योरिटी बेनिफिट मिलता है. एंडोवमेंट प्लान एक प्रकार की जीवन बीमा पॉलिसी है, जो बीमा कवरेज और बचत का संयुक्त लाभ देती है. एंडोवमेंट प्लान लेने वाली व्यक्ति की मृत्यु या सर्वाइवल पर उसे कंपनी द्वारा सम-एश्योर्ड (बीमित राशि) मिलती है. एंडोवमेंट प्लान बीमाधारक को पॉलिसी की मैच्योरिटी पर एक एकमुश्‍त राशि प्राप्त करने के लिए एक विशेष समय अवधि में नियमित रूप से बचत करने में मदद करता है.

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP)

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानि लाइफ इंश्योरेंस और म्यूच्युअल फंड में एक साथ पैसा निवेश करना. ये शेयर मार्केट से जुड़ी एक बीमा योजना है. इसमें शेयर मार्केट पर आधारित रिटर्न के साथ-साथ इंश्योरेंस मिलता है. आप कंपनी को जो प्रीमियम का भुगतान करते हैं, उसका कुछ हिस्सा शेयर मार्केट में निवेश किया जाता है और बाकी का हिस्सा आपके लाइफ कवर के लिए रखा जाता है.

म्यूचुअल फंड

म्यूचुअल फंड का अर्थ होता है सामूहिक निवेश. इसे पारस्परिक निधि कहा जा सकता है. विभिन्न निवेशकों से एकत्र धनराशि से शेयर व प्रतिभूतियों में निवेश करके लाभ अर्जित करने वाले फंड को म्यूचुअल फंड कहते हैं. इसमें विभिन्न निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया जाता है और इस पैसे को शेयरों और बॉन्ड मार्केट में निवेश किया जाता है. इसमें निवेश से अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए फंड मैनेजर धन का प्रबंधन करते हैं. उपरोक्त प्रकार से अर्जित हर लाभ एवं हानि सभी निवेशकों में समान रूप से वितरित की जाती है. निवेशक को उसके पैसे के लिए यूनिट आवंटित कर दिए जाते हैं.

डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर)

जो टैक्स का भुगतान आप सीधा सरकार को करते हैं, उसे डायरेक्ट टैक्स कहते हैं. जैसे कि इनकम टैक्स डायरेक्ट टैक्स है. किसी व्यक्ति या संस्थान की आय पर जो टैक्स लगते हैं, वो इस श्रेणी में आते हैं.

इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर)

ऐसा टैक्स जो आप सीधे सरकार को जमा नहीं करते. मगर, ये टैक्स आपसे काटा जाता है और फिर सरकारी तिजोरी में जमा कराया जाता है, जैसे कि जीएसटी. ये टैक्स सीधे जनता से नहीं लिए जाते, लेकिन, उसका बोझ आम लोगों पर ही पड़ता है.

प्रॉविडेंट फंड (PF)

एम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड (EPF) को सिर्फ पीएफ (PF) या भविष्य निधि भी कहते हैं. भारत सरकार द्वारा बनाई हुई ये एक इनवेस्टमेंट स्कीम है, जो कर्मचारी को भविष्य के लिए बचत करने में मदद करती है.

इस योजना का संचालन EPFO (Employees Provident Fund Organisation of India) द्वारा किया जाता है. आपकी मासिक सैलरी से 12% आपके EPF खाते में सीधे जमा होता है और आपकी कंपनी भी 12% जमा करती है.

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड भी सरकार की ही स्कीम है. EPF स्कीम की तरह यह भी रिटायरमेंट सेविंग्स का एक विकल्प है. इसमें कोई भी भारतीय नागरिक निवेश कर सकता है. जो लोग किसी पेंशन योजना के तहत नहीं आते उनके लिए ये बेहतरीन रिटायरमेंट योजना साधन है.

इसका लॉक-इन पीरियड 15 साल है और आप सालाना अधिकम 1.5 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं, जिस पर अभी 7.1 फीसदी ब्याज दिया जाता है.

Published - May 18, 2021, 03:31 IST