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बैंक FD अच्छा विकल्प या बॉन्ड? यहां दूर होगी आपकी उलझन

FD vs Bond: बैंक में निवेश की गई 5 लाख रुपये तक की FD ही सिक्योर्ड है. दूसरी तरफ सरकारी बॉन्ड है, तो आपका निवेश 100% सुरक्षित है.

  • Team Money9
  • Last Updated : May 24, 2021, 19:21 IST
सरकार एक साल तक की मैच्योरिटी वाले ट्रेजरी बिल जारी करती है.
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FD vs Bond: निवेश के लिए मार्केट में कई विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन आपके लिए इनमें से कौन सा विकल्प सही है ये तय  करना आमतौर पर टेढ़ी खीर साबित होता है.

कुछ निवेशक बैंक FD निवेश करना चाहते हैं, तो कुछ बॉन्ड (Bond) में, लेकिन सवाल यह है कि दोनों में से उनके लिए क्‍या सही है? आज हम आपकी इसी उलझन को दूर करने जा रहे हैं.

इंटरेस्ट रेट की तुलना

सरकारी और निजी बैंक में 1, 2, 3 और 5 साल की अवधि की FD पर 5.4 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक ब्याज मिलता है.

वहीं, 1 साल से 5 साल की अवधि के बॉन्ड फंड में 5.5 फीसदी से 10.50 फीसदी तक का ब्याज मिला है. यानी कि रिटर्न देने के मामले में बॉन्ड फंड आगे निकलने का सामर्थ्य रखते हैं.

जोखिम की तुलना

आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंक में निवेश की गई 5 लाख रुपये तक की FD ही सिक्योर्ड है, जिसमें ब्याज का हिस्सा भी शामिल है.

यानी कि जिस बैंक में आपने FD की है, वो बैंक डिफॉल्ट हो जाता है, तो आपको सिर्फ 5 लाख रुपये तक का अमाउंट मिलने की संभावना है.

दूसरी तरफ सरकारी बॉन्ड में आपका निवेश 100% सुरक्षित है, क्योंकि इसमें सरकार की गारंटी रहती है.

बॉन्ड को पसंद करने से पहले उसके पोर्टफोलियो को ध्यान से देखना चाहिए क्योंकि उसके साथ क्रेडिट रेटिंग का जोखिम जुड़ा हुआ है. बॉन्ड इश्यू करने वाली कंपनी डिफॉल्ट होती है, तो आपको बड़ा घाटा हो सकता है.

टैक्स की तुलना

बैंक 10,000 रुपये से अधिक के ब्याज पर TDS काटते हैं. जो निवेशक टैक्स बचाना चाहते हैं, उनके लिए टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश करना बेहतर विकल्प है, क्योंकि ज्यादातर टैक्स-फ्री बॉन्ड की रेटिंग AAA या AA होती है.

इसलिए ऐसे फंड में क्रेडिट जोखिम बहुत कम होता है. टैक्स फ्री बॉन्ड खरीदने से क्या फायदा होता है, इसे एक उदाहरण से समझते हैं.

मान लीजिए कि आप 20-30 फीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और आप बैंक डिपॉजिट्स से हर साल करीब 50,000 रुपये का ब्याज कमा रहे हैं.

ऐसे में आपके करीब 15 हजार रुपये तो टैक्स में ही चले जाते हैं, जिससे आपका रिटर्न कम हो जाता है. ऐसे में टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश से फायदा होता है, क्योंकि इससे कमाए गए ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है.

शॉर्ट-टर्म बॉन्ड फंड्स

मार्केट की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, कुछ माह में इंटरेस्ट रेट बढ़ने के आसार हैं, फिर भी आप शॉर्ट-टर्म बॉन्ड फंड्स में निवेश कर सकते हैं.

लंबी अवधि की मैच्योरिटी के बॉन्ड्स में निवेश करने वाले फंड्स में इंटरेस्ट रेट का रिस्क है, वहीं शॉर्ट-टर्म डेट फंड्स पांच साल से कम अवधि पर मैच्योर होने वाले बॉन्ड (कमर्शियल पेपर, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज आदि) में निवेश करते हैं, इसलिए इंटरेस्ट रेट का जोखिम भी कम रहता है.

ऐसे में अगर आप कम जोखिम वाले निवेश के विकल्प ढूंढ रहे हैं, तो शॉर्ट-टर्म बॉन्ड फंड्स को अपने पोर्टपोलियो में शामिल कर सकते हैं.

लिक्विडिटीः

बॉन्ड फंड नियमित आय अर्जित करने का एक अच्छा विकल्प है. उदाहरण के लिए, डिविडेंड पेआउट चुनना नियमित आय का विकल्प हो सकता है.

छोटे वित्तीय लक्ष्यों की योजना बनाना एक अच्छा विकल्प है. कम अवधि में, ये फंड सुरक्षा रिटर्न और साथ ही अत्याधिक लिक्विडिटी सुनिश्चित करते हैं. बॉन्ड फंड्स में, आप किसी भी बिंदु पर अपने निवेश से आंशिक पैसे भी निकाल सकते हैं.

Published - May 24, 2021, 07:21 IST

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