ELSS: इसमें निवेश से टैक्‍स सेविंग समेत मिलते हैं तमाम फायदे, जानें इसकी खूबियां

ELSS: ज्यादातर टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) प्लान होते हैं जो ग्रोथ स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं.

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 सरकार अलग से ऐसे कानून पर काम कर रही है जो एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा शुरू करने के लिए एक "सुविधात्मक ढांचा" बन पाएगा. यह मुद्रा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पेश करेगा.

 सरकार अलग से ऐसे कानून पर काम कर रही है जो एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा शुरू करने के लिए एक "सुविधात्मक ढांचा" बन पाएगा. यह मुद्रा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पेश करेगा.

ELSS: टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड किसी भी अन्य म्यूचुअल फंड की तरह ही होता है, लेकिन इसमें टैक्स सेविंग का फायदा भी मिलता है. टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड इंडियन इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स बेनेफिट के दायरे में आते हैं.

ज्यादातर टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) प्लान होते हैं जो ग्रोथ स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं.

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के फीचर

ELSS में आप 500 रुपये के छोटे से निवेश से शुरू कर सकते हैं. पब्लिक प्रोविडेंट फंड(PPF) और नेशनल सेविंग सर्टीफिकेट (NSC) के विपरीत, ELSS में कोई निवेश सीमा नहीं है.

ELSS की बात करें तो 1,50,000 रुपये तक का निवेश इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स बेनिफिट के दायरे में आता है.

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. क्योंकि ELSS म्यूचुअल फंड हैं, उनमें निवेश बाजार जोखिमों के अधीन होता है जो कम, ज्यादा या बहुत ज्यादा हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि एसेट का निवेश कहां किया गया है.

अधिकांश ELSS योजनाओं में एंट्री और एग्जिट फीस होती है. जब निवेशक फंड यूनिट खरीदते हैं, बेचते हैं, रिडीम करते हैं या ट्रांसफर करते हैं, तो प्रोवाइडर्स ये फीस लगाते हैं.

यह फिक्स्ड डिपॉजिट और पीपीएफ से अलग कैसे हैं?

ELSS में केवल 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है, जबकि टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे अन्य टैक्स सेविंग विकल्पों के लिए न्यूनतम 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है.

ELSS में लॉक इन पीरियड सबसे कम है अगर इसकी तुलना दूसरे टैक्स सेविंग ऑप्शंस से करें. जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) जहां लॉक इन पीरियड क्रमशः 5 साल या 15 साल है.

निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि ELSS बाजार के जोखिमों से जुड़ा है, जबकि FD और PPF में कोई जोखिम शामिल नहीं है.

ELSS में निवेश करते समय इन बातों को ध्यान में रखें

-ELSS द्वारा दिए जाने वाले कई फायदों के कारण, इसे निवेशक के एसेट एलोकेशन प्लान के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए.

-निवेशकों को मौजूदा माहौल में अपने एसेट एलोकेशन की जांच करनी चाहिए, क्योंकि बाजार में तेजी आई है.
निवेशकों को ELSS के निवेश में देरी नहीं करनी चाहिए.

-ELSS निवेशक को अपने निवेश को पूरे साल सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से या करेक्शन विंडो के दौरान खरीद कर बढ़ाना चाहिए.

-टैक्स सेविंग के लिए ELSS निवेश कम से कम तीन साल के लिए किया जाना चाहिए. इसके अलावा, SIP के मामले में टैक्स की गणना इंडिविजुअल के SIP निवेश पर की जाती है. यानी प्रत्येक SIP इंस्टॉलमेंट के लिए निवेशक के टैक्स की गणना अलग से की जाएगी.

-ELSS निवेशों ने ऐतिहासिक रूप से लंबी अवधि के निवेशकों (7 से 10 वर्ष) को शानदार रिटर्न दिए हैं.
आप तीन साल बाद अपना ELSS फंड बेचने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि के लिए रखे जाने पर रिटर्न काफी ज्यादा होता है.

-ELSS फंड की स्टडी करते समय तीन साल के लॉक-इन पीरियड को ध्यान में रखें; एक अनुचित फंड में निवेश करना जो आपके लक्ष्य के अनुरूप नहीं है, आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

Published - July 16, 2021, 05:15 IST