काम के इतर एकांश मित्तल टेनिस खेलने, किताबें पढ़ने और वेब सीरीज देखने में अपना वक्त बिताते हैं.
चमकती आंखों और पतले शरीर वाले एकांश मित्तल निवेश की दुनिया में एक ताजा बदलाव की मिसाल हैं. वे पूंजी इकट्ठी करने के लिए स्टॉक्स के पीछे भागते नहीं हैं.
काम के इतर वे टेनिस खेलने, किताबें पढ़ने और वेब सीरीज देखने में अपना वक्त बिताते हैं.
हाल में उन्होंने “Start with Why” पढ़ी है और ये निवेश से जुड़ी किताब नहीं है. ये टीम को लीड करने से जुड़ी हुई है.
धन से मुक्ति
कानपुर के एकांश मित्तल के लिए वित्तीय आजादी का मतलब पैसे के लिए काम करने से मुक्ति पाना है.
वे बताते हैं, “सौभाग्य से मेरे इस छोटे से सफर में स्टॉक्स के डिविडेंड से ही मेरे खर्चों का बड़ा हिस्सा निकल जाता है.”
आइंसटाइन, बफेट, लिंच
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके मित्तल अल्बर्ट आइंसटाइन के शब्दों के मुरीद हैं. आइंसटाइन के कथन, “कंपाउंड इंटरेस्ट दुनिया का आठवां आश्चर्य है, और जो इसे समझ जाता है वो इसे कमाता है और नहीं समझता वो इसे चुकाता है.”, का मित्तल पर गहरा असर पड़ा है.
मित्तल वॉरेन बफेट और पीटर लिंच से निवेश के मसलों को लेकर प्रभावित हैं.
मित्तल कहते हैं, “अपनी काबिलियत पर फोकस कीजिए. अगर आप किसी चीज में निवेश कर रहेहैं तो आपको उस धंधे को समझना चाहिए. इसके अलावा, हमें उतार-चढ़ाव से दोस्ती करनी चाहिए. मार्केट में ये देखने को मिलेगा. हमें ये समझना होगा कि कब आक्रामक तौर पर खरीदारी करनी है. बफेट और लिंच हमें यही चीज सिखाते हैं.”
महज 20 साल से शुरू किया निवेश
मित्तल ने निवेश की शुरुआत तब कर दी थी जब वे महज 20 साल के थे. गुजरे 13 वर्षों में उन्होंने सेरा सैनिटीवेयर, सिंफनी, DFM फूड्स, कंट्रोल प्रिंट, सुवेन फार्मा, वैभव ग्लोबल, अमारा राजा, एक्रिसिल और कानपुर प्लास्टीपैक जैसी कंपनियों के स्टॉक्स से पैसा बनाया है.
वे हंसते हुए कहते हैं, “इनसे मेरे लिए 33 साल की उम्र से पहले ही पैसे को लेकर चिंतित होने की मजबूरी खत्म हो गई.”
फोर्ब्स में नाम
लेकिन, मित्तल को अपनी निवेश की स्किल्स के लिए इससे कहीं पहले पहचान मिल गई. 2015 में जब वे महज 27 साल के ही थे तब फोर्ब्स इंडिया ने उन्हें देश के वेल्थ विजार्ड्स में दर्ज किया था.
वे कहते हैं, “मैं शेयरों में निवेश के माहौल से काफी छोटी उम्र में ही रूबरू हो गया था. मैंने ये चीज अपने पिता से सीखी थी और मैंने पाया कि अगर मैंने ठीक तरह से काम किया तो मुझे इसका बढ़िया परिणाम मिलेगा.”
2008 की मंदी
नवंबर 2008 में जब दुनिया फाइनेंशियल क्राइसिस की जद में आई तब मित्तल ने अपना निवेश शुरू किया. वे तब केवल 20 साल के थे और उनकी पूंजी महज 1,000 रुपये थी.
वे बताते हैं, “मार्केट्स बुरी तरह से गिर गए थे और मैं स्टॉक्स में निवेश करने के लिए तैयार था.”
वे कहते हैं कि इतनी कम पूंजी के साथ वे रियल एस्टेट समेत किसी दूसरे एसेट क्लास में पैसा नहीं लगा सकते थे.
छोटे निवेश से बड़ी कमाई
अप्रैल 2009 से तकदीर ने पलटी मारी. B Tech करते हुए ही मित्तल को एक कंपनी के लिए स्मॉल कैप स्टॉक्स के लिए रिसर्च करने का मौका मिला. उन्हें इस काम के लिए पैसे भी मिल रहे थे.
वे बताते हैं, “इससे मुझे अपनी सेविंग्स बढ़ाने और हर महीने इक्विटीज में करीब 5,000 रुपये से 10,000 रुपये निवेश करने का मौका मिल गया. उस वक्त ये मेरी महीने की कमाई का करीब आधा हिस्सा था.”
गलतियां और फायदे
मित्तल मानते हैं कि स्टॉक्स के चुनाव में उनसे भी गलतियां हुई हैं, लेकिन वे कहते हैं कि शेयरों में निवेश के साथ अच्छी बात ये है कि इनमें होने वाले फायदे असीमित होते हैं, जबकि नुकसान को सीमित किया जा सकता है.
मित्तल कहते हैं, “मेरा सबसे बड़ा सबक जल्दी सेविंग और निवेश शुरू करना है. शुरुआती दिनों में इसमें लगाई गई पूंजी बेहद कम थी और इससे मिले सबक बहुत बड़े थे.”