सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन क्लेम करते हुए न करें ये गलतियां

मैच्योरिटी पर मिले अमाउंट की टैक्सेबिलिटी दो फैक्टर हैं जिन्हें हर टैक्सपेयर को इन्वेस्टमेंट स्कीम चुनने से पहले चेक करना चाहिए.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 4, 2021, 09:10 IST
How To Save Tax On Gains Of Debt Mutual Funds

अगर आपके कर्ज लेना मकसद खर्च करना है जैसे क्रेडिट कार्ड से डिजाइनर कपड़े लेना तो ये बुरे कर्ज का उदाहरण है. लेकिन आप अपने व्यापार के लिए, स्टार्टअप के लिए या एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो ये अच्छा है.

अगर आपके कर्ज लेना मकसद खर्च करना है जैसे क्रेडिट कार्ड से डिजाइनर कपड़े लेना तो ये बुरे कर्ज का उदाहरण है. लेकिन आप अपने व्यापार के लिए, स्टार्टअप के लिए या एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो ये अच्छा है.

हर किसी के मन में ये सवाल आता है कि मैं सैलरी पर टैक्स कैसे बचा सकता हूं? और यदि आप इस सवाल का जवाब चाहते हैं तो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्स बचाने के कई लेजिटिमेट (वैध) तरीके हैं. सेक्शन 80C उसी से संबंधित है, यह शायद टैक्सपेयर के बीच सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा सेक्शन है, क्योंकि यह टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट के जरिए टैक्सेबल इनकम को कम करने की परमिशन देता है. सेक्शन 80C में सबसेक्शन भी हैं – 80CCC, 80CCD(1), 80CCD(1b) और 80CCD(2).

इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80C 1 अप्रैल, 2006 को लागू हुआ. यह मूल रूप से कुछ खर्चों और निवेशों को टैक्स से मुक्त करने की अनुमति देता है. यदि आप अपने निवेश की योजना अच्छी तरह से बनाते हैं और उन्हें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), होम लोन रीपेमेंट आदि जैसे विभिन्न निवेशों में समझदारी से फैलाते हैं, तो आप हर साल 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं, जो आपकी टैक्स लायबिलिटी को कम
करेगा.

हालांकि, दो इम्पोर्टेन्ट पॉइंट हैं जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है, पहला यह है कि केवल व्यक्ति और HUF ही इस डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं कंपनियां, पार्टनरशिप फर्म और LLP नहीं और दूसरा यह है कि टैक्सपेयर को रीसेंट फाइनेंस एक्ट 2020 के सेक्शन 115BAC के अनुसार डिडक्शन की परमिशन नहीं है. हमने देखा कि यदि टैक्सपेयर नई टैक्स
स्कीम के तहत 115BAC का ऑप्शन चुनता है, तो वो सेक्शन 80C के तहत किसी भी क्लेम के लिए एलिजिबल नहीं होगा, लेकिन यदि टैक्सपेयर किसी फाइनेंशियल ईयर के लिए पुरानी टैक्स स्कीम का ऑप्शन चुनता है, तब वो सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन का फायदा उठा सकता है.

यदि आप टैक्सेशन के बारे में नहीं जानते तो इसके हर हिस्से को समझना और मैक्सिमम सेविंग करना आपके लिए थोड़ा मुश्किल होगा. लेकिन फिर भी, हम आपको उन रिस्क और गलतियों के बारे में जागरूक कर सकते हैं जो टैक्सपेयर आमतौर पर अपनी खराब प्लानिंग की वजह से करते हैं, ताकि आप ज्यादा फायदा उठा सकें.

1. लॉक-इन पीरियड पर ध्यान न देना

सेक्शन 80C के तहत कुछ डिडक्शन लॉक-इन पीरियड के अधीन हैं, उदाहरण के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है, इसी तरह इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. यदि टैक्सपेयर लॉक-इन पीरियड के प्रतिबंधों का उल्लंघन करता है, तो इनकम को उस फाइनेंशियल ईयर के लिए टैक्सपेयर की इनकम के रूप में माना जाएगा जो टैक्स के लिए लायबिल होगी.

टैक्सपेयर की PPF जैसे लंबी अवधि के निवेश के साथ समान स्थिति होगी, जिसमें सेक्शन 80C के तहत क्वालीफाई करने के लिए 15 साल का लॉक-इन पीरियड है. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि टैक्सपेयर्स को ऐसे इन्वेस्टमेंट करने चाहिए जो उनके फाइनेंशियल गोल को पाने में मदद करें. इसके अलावा, इन्वेस्टमेंट पर मिले रिटर्न की टैक्सेबिलिटी और मैच्योरिटी पर मिले अमाउंट की टैक्सेबिलिटी दो फैक्टर हैं जिन्हें हर टैक्सपेयर को इन्वेस्टमेंट स्कीम चुनने से पहले चेक करना चाहिए.

2. प्राइवेट लोन रीपेमेंट के लिए डिडक्शन क्लेम

यह देखा गया है कि टैक्सपेयर सेक्शन 80C के तहत किसी भी तरह के होम लोन के रीपेमेंट पर डिडक्शन क्लेम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह समझने की जरूरत है कि प्राइवेट लोन (मित्रों और रिश्तेदारों से लिया गया लोन) का प्रिंसिपल कम्पोनेंट सेक्शन 80C के तहत कवर नहीं होता है.

यदि कोई टैक्सपेयर होम लोन के प्रिंसिपल कम्पोनेंट के लिए डिडक्शन क्लेम करना चाहता है, तो उसे यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि लोन स्पेसिफाइड एंटिटी / व्यक्तियों द्वारा सेक्शन 80C(2)(xviii)(c) के तहत प्रदान किया जाना चाहिए. बैंक, को-ऑपरेटिव बैंक, नेशनल हाउसिंग बैंक, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन आदि द्वारा प्रदान किए गए लोन इसके अंतर्गत आते हैं.

3. रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प ड्यूटी पर डिडक्शन

सेक्शन 80C के तहत स्टाम्प ड्यूटी, एनरोलमेंट फीस और कुछ अन्य खर्च जो सीधे रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी (केवल) के ट्रांसफर से संबंधित हैं, उन पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए इन खर्चों पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन क्लेम नहीं किया जा सकता है.

4. ट्यूशन फीस के लिए डिडक्शन क्लेम करते समय गलती

यदि कोई टैक्सपेयर स्कूल या ट्यूशन फीस के लिए डिडक्शन क्लेम करने का प्रयास कर रहा है, तो टैक्सपेयर को कोई भी क्लेम करने से पहले कुछ प्रोविजन (प्रावधानों) को देखना होगा. डिडक्शन भारत में अधिकतम दो बच्चों के लिए फुल टाइम एजुकेशन के लिए दी गई फीस पर उपलब्ध होगा, और कंप्लीट फीस का केवल ट्यूशन फीस वाला हिस्सा ही डिडक्शन के लिए एलिजिबल होगा. इसलिए, कोई भी डेटा प्रोवाइड करने से पहले, कैलकुलेशन जरूर करें.

5. एंडोमेंट इंश्योरेंस प्लान में बहुत अधिक निवेश

एंडोमेंट इंश्योरेंस प्लान लाइफ इंश्योरेंस प्लान होते हैं जो टैक्स-सेविंग और आवश्यक निवेश के लिए अच्छे हैं. हालांकि, अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा इसमें निवेश करने से आपको अच्छा रिटर्न नहीं मिलेगा. इसलिए यदि आप ज्यादा सेविंग करना चाहते हैं, तो एक टर्म प्लान में निवेश करें, जो सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन के लिए एलिजिबल है.

अंत में, मैं सभी टैक्सपेयर को सलाह देना चाहूंगा कि वो न तो जल्दबाजी में निवेश करें और न ही लास्ट मिनट तक टैक्स रिटर्न फाइल करने का इंतजार करें. ऐसा इसलिए है क्योंकि टैक्स बचाने की जल्दबाजी में गलत निवेश निर्णय लेने की संभावना ज्यादा होती है. इन टैक्स बेनिफिट्स को एक फ्रिंज बेनिफिट के रूप में मानें और कभी भी सिर्फ टैक्स बचाने के लिए निवेश न करें.

(लेखक SAG इन्फोटेक के को-फाउंडर और MD हैं. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)

Published - October 4, 2021, 09:10 IST