अपने फाइनेंशियल गोल और रिस्क कैपेसिटी के अनुसार चुनें इन्वेस्टमेंट के लिए बॉन्ड

Investment Strategy: सरल शब्दों में समझाएं तो, बॉन्ड कंपनियों या इंस्टीट्यूशन के लिए पब्लिक से पैसा उधार लेकर पूंजी जुटाने का एक तरीका है.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 30, 2021, 11:40 IST
Sebi notifies rules for entities with listed debt securities

ये प्रावधान 31 मार्च, 2023 तक 'अनुपालन या व्याख्या' के आधार पर 'उच्च मूल्य वाली डेट लिस्टेड एन्टिटी' पर लागू होंगे

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सबसे अच्छी इंनवेस्‍टमेंट स्ट्रेटजी (Investment Strategy) वो है जिसमें आप कम्फर्टेबल हो. यदि आप रात में यह सोच रहे हैं कि आपका इंनवेस्‍टमेंट बढ़ेगा या घटेगा, तो आपको अपनी इंनवेस्‍टमेंट स्ट्रेटजी (Investment Strategy) पर फिर से सोचना चाहिए. अपने इंनवेस्‍टमेंट फॉलो करने का एक सरल नियम यह है कि आप केवल उन एसेट में इंनवेस्‍टमेंट जिनसे जुड़े रिस्क के बारे में आप कम्फर्टेबल हों. जब आप अपना पैसा एलोकेट करने के बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो एक ख्याल दिमाग में बार-बार आता है कि ऐसे एसेट में निवेश करें जो शेयरों की तरह रिस्की न हों, यानी डेट या बॉन्ड.

सरल शब्दों में समझाएं तो, बॉन्ड कंपनियों या इंस्टीट्यूशन के लिए पब्लिक से पैसा उधार लेकर पूंजी जुटाने का एक तरीका है. बॉन्ड सब्सक्राइबर्स को एक निश्चित अवधि के लिए नियमित अंतराल पर एक फिक्स्ड इंटरेस्ट मिलता है.

निवेश के लिए कई टाइप के बांड अवेलेबल हैं, लेकिन मैं तीन टाइप के बांन्डों को कवर करूंगा जो लो रिस्क, मीडियम रिस्क और हाई रिस्क में आते हैं.

1)गवर्नमेंट सिक्योरिटीज

गवर्नमेंट सिक्योरिटीज का इस्तेमाल डेली ऑपरेशंस, यूनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और मिलिट्री प्रोजेक्ट को फंड करने के लिए किया जाता है. ये मैच्योरिटी पर इन्वेस्ट किए प्रिंसिपल के फुल रीपेमेंट की गारंटी देते हैं और अक्सर पीरियोडिक कूपन या इंटरेस्ट पेमेंट का भुगतान करते हैं. चूंकि भारत सरकार इनका समर्थन करती है, ये रिस्क फ्री इन्वेस्टमेंट हैं क्योंकि इसमें ‘सॉवरेन गारंटी’ है.

गवर्नमेंट सिक्योरिटीज का मैच्योरिटी पीरियड लंबा होता है, और ब्याज का भुगतान अर्ध-वार्षिक यानी साल में दो बार किया जाता है.

2) सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (कम रिस्क)

निवेशकों को गोल्ड के विकल्प में निवेश करने के लिए RBI द्वारा SGB जारी किए जाते हैं. चूंकि सरकार SGB का समर्थन करती है, इसलिए यह सुनिश्चित करती है कि डिफॉल्ट रिस्क के बारे में कोई सवाल नहीं हो, जो इसे रिलेटिवली सिक्योर बनाता है.

SGB के लिए इंटरेस्ट 2.5% सालाना है, और इसका भुगतान अर्ध-वार्षिक आधार पर किया जाता है. SGB में इन्वेस्ट करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इनकी हिफाजत फिजिकल गोल्ड की तरह रिस्की नहीं है क्योंकि SGB आपके डीमैट अकाउंट में जमा हो जाते हैं.

साथ ही, आपको मैच्योरिटी पर या 5वें साल के बाद SGB के रिडेम्पशन पर कोई कैपिटल गेन टैक्स देने की जरूरत नहीं है. लेकिन, अगर SGB को मैच्योरिटी से पहले ट्रांसफर किया जाता है तो शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन टैक्स लगता है.

3) कवर्ड बांन्ड (हाई रिस्क)

कवर्ड बॉन्ड को समझने के लिए हमें यह समझना होगा कि सिक्योर्ड बॉन्ड क्या होते हैं. सिक्योर्ड बांन्ड एक निश्चित तरह के एसेट (गोल्ड, प्रॉपर्टी, आदि) द्वारा समर्थित होते हैं, और जब जारीकर्ता द्वारा डिफॉल्ट होता है, तो बांड होल्डर किसी भी एसेट पर क्लेम कर सकते हैं जो उस बॉन्ड को समर्थित कर रहे हैं.

लेकिन क्या होगा अगर कंपनी या इंस्टीट्यूशन बैंकरप्ट हो जाए?

कवर्ड बॉन्ड में ये समस्या नहीं आती है. कवर्ड बांड एक सुरक्षित बांड है जिसमें बैंकरप्सी प्रोटेक्शन का एडेड फीचर है. इंस्टीट्यूशन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कदम और आगे जाते हैं. यह सभी अंडरलाइंग लोन SPV को बेचते हैं. SPV (स्पेशल पर्पज व्हीकल) एक अलग इकाई है जो पेरेंट कंपनी, यानी NBFC से फाइनेंशियल रिस्क को अलग करने के लिए बनाई गई है. पैसा सीधे SPV से कवर्ड बॉन्ड होल्डर के पास जाता है. इसलिए, आपका पैसा बैंकरप्सी के प्रोसेस में नहीं फंसता है.

Published - August 30, 2021, 09:49 IST