क्या आपको महंगाई से उबार सकते हैं निवेश के पुराने तरीके?

एफडी(FD) आमतौर पर पर्चेजिंग पावर को खत्म करने वाला निवेश है, हालांकि यह ज्यादातर लोगों के लिए बचत और निवेश का सबसे पसंदीदा तरीका रहा है.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 30, 2021, 12:23 IST
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निवेशक को निवेश करने से पहले हर एसेट क्लास से जुड़े रिस्क को समझ लेना जरूरी है

निवेशक को निवेश करने से पहले हर एसेट क्लास से जुड़े रिस्क को समझ लेना जरूरी है

आपका निवेश बढ़ती महंगाई (Inflation) से प्रभावित ना हो ऐसा कोई पक्का तरीका नहीं है. जुलाई महीने में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति की बात करें तो कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स (CPI) के मुताबित ये 5.59% है. इसके बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने FY22 के लिए CPI पूर्वानुमान को 5.1% से बढ़ाकर 5.7% कर दिया. इस सबको देखते हुए किसी खास वित्तीय लक्ष्य के लिए कोई भी नया निवेश शुरू करते समय मंहगाई (Inflation) को ध्यान में रखना जरूरी होता है. आपको जो आज ‘पर्याप्त’ लग रहा है हो सकता है कि अब से दस साल बाद ऐसा न लगे. ये उन लोगों के लिए खास तौर से लागू होता है जो रिटायरमेंट प्लानिंग या बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए बचत कर रहे हैं.

बाजार के दिग्गज अंबरीश बालिगा कहते हैं, “बढ़ती मंहगाई पैसे को खर्च करने की ताकत कम कर देती है, इसलिए जब अपने निवेश पर रिटर्न आंकना हो तो वो कम से कम मंहगाई की मार को झेलने लायक होना चाहिए, ताकि आपकी पर्चेजिंग पावर बनी रहे. हालांकि, मुद्रास्फीति आम तौर पर रिस्क फ्री रेट(risk-free rate) के करीब या उससे ज्यादा होती है”.

बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए अपने निवेश से मिलने वाले असल रिटर्न को ध्यान में जरूर रखें. असल रिटर्न की रकम वो मानी जाएगी जो मंहगाई से निपटने के बाद आखिर आपके हाथ में आती है. मान लें अगर आपको किसी निवेश पर 10% रिटर्न मिलता है, जहां आप टैक्स के तौर पर 30% का भुगतान करते हैं और मुद्रास्फीति 5% है तो आप 2% का असल रिटर्न पाते हैं. नतीजतन, एफडी(FD) जैसे पारंपरिक निवेश मुद्रास्फीति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते.

बालिगा सलाह देते हैं,“एफडी(FD) आम तौर पर पर्चेजिंग पावर को खत्म कर देती है, हालांकि ये निवेश करने वाली आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए बचत और निवेश का सबसे पसंदीदा तरीका है. लोगों को अलग अलग एसेट क्लासेस में निवेश करना चाहिए ताकि रिस्क का डाइवर्सिफिकेशन हो सके. हालांकि, निवेशक को निवेश करने से पहले हर एसेट क्लास से जुड़े रिस्क को समझ लेना जरूरी है”.

किसी भी तरह का निवेश करने से पहले अपनी जोखिम उठाने की क्षमता, सहनशीलता और वित्तीय क्षमता का आंकलन कर लें. माने लें जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करते हैं, तो ऐसा मान के चलें कि जो चाल या टिप दूसरों के लिए काम करती है, वो हो सकता है आपके लिए काम ना करे. अब सवाल है ऐसा क्यों? क्योंकि हर निवेशक की बाजार में हो रही उठा पटक पर निर्णय लेने और जोखिम लेने की क्षमता अलग होती है. पैसे पर जोखिम लेने की आपकी क्षमता आपकी बचत और देनदारियों जैसे कई व्यक्तिगत वजहों पर निर्भर करती है. इसलिए सभी के लिए कोई एक समाधान मौजूद नहीं है.

इसी तरह, आपको अपने निवेश को बढ़ती महंगाई से बचाने के लिए अलग रास्ते खोजने पड़ेंगे. एक डाइवर्स पोर्टफोलियो रखें और अपने वित्तीय लक्ष्यों के मुताबिक निवेश करें. अपनी माली हालत की जानकारी जरूरी है. हालांकि, एक आसान तरीका जो सभी के लिए काम करता है वो है निवेश को जितनी जल्द हो सके शुरू करें. जब आप कम उम्र में निवेश करना शुरू करते हैं, तो आप अपने लक्ष्यों तक तेजी से पहुंचते हैं. ये आपको निवेश के अलग अलग विकल्प खोजने का मौका देता है.

Published - August 30, 2021, 12:23 IST