Bond: टैक्स में राहत पाने के लिए हम अक्सर ऐसे विकल्पों की तलाश में रहते हैं, जिसमें टैक्स भी बचे और अच्छा रिटर्न भी हासिल हो. पीपीएफ और ईएलएसएस, इसी तरह के विकल्पों में शामिल हैं, लेकिन इसके अलावा टैक्स फ्री Bond और टैक्स सेविंग Bond के भी विकल्प मौजूद हैं. अधिकतर लोग इसे लेकर कंफ्यूज रहते हैं. टैक्स फ्री और टैक्स सेविंग Bond के बीच कुछ अंतर होते हैं. पहले में, मूल राशि पर टैक्स छूट फायदा मिलता है जबकि दूसरे विकल्प में ब्याज पर टैक्स हॉलिडे मिलता है. इसी तरह, पहले में 5 साल की लॉक इन अवधि होती है, जबकि दूसरे में कोई लॉक-इन अवधि नहीं होती.
टैक्स सेविंग Bond पर टैक्स बेनेफिट का फायदा होता है, इससे टैक्स बचता है. साथ ही, इसमें ब्याज भी मिलता है (यदि आपने यह विकल्प चुना हो).
Section 80CCF के तहत, इसमें 20 हजार रुपए तक के टैक्स डिडक्शन मिलता है, लेकिन ब्याज पर टैक्स लगता है. यह छूट आईटी एक्ट की धारा 80C से अलग होती है. इसमें 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है, लेकिन इस पर रिटर्न कम मिलता है.
आईटी एक्ट, 1961 के मुताबिक, इसमें प्राप्त ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता. साथ ही, निवेशक को निवेश की गई मूल राशि पर टैक्स बेनेफिट नहीं मिलता. 80C के तहत मिलने वाले लाभ भी इसमें नहीं प्राप्त होते.
टैक्स सेविंग Bond की तुलना में इसमें ब्याज अधिक मिलता है (करीब 1.5 फीसदी ज्यादा). ये निवेश अक्सर लंबी अवधि के होते हैं, जैसे 20 वर्ष या उससे ज्यादा. इन Bond पर कोई निवेशक सालाना 5 लाख रुपए तक अधिकतम राशि निवेश कर सकता है. यदि इन्हें सेकंडरी मार्केट में बेचा जाता है तो टैक्स लगता है.
डिमैट अकाउंट के जरिए टैक्स फ्री Bond की ट्रेडिंग की जा सकती है. जब सरकार आम लोगों के लिए इन Bond को पेश करती है, तो ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन किया जा सकता है.
हालांकि, सब्सक्रिप्शन अवधि निश्चित होती है. दूसरी ओऱ, टैक्स सेविंग Bond को SBI, PNB, BoB और HDFC Bank, ICICI व Axis Bank, से खरीदता जा सकता है. आने वाले दिनों में आप इन्हें आरबीआई के रिटेल पोर्टल से खरीद सकेंगे.