कोलकाता में रहने वाले अर्नब और संचारी युवा माता-पिता हैं. इनका एक बच्चा है जो सिर्फ 7 महीने का है. मनी9 से हुई बातचीत में आईटी प्रोफेशनल अर्नब सेन ने बताया कि उन्होंने पहले ही अपने बच्चे के नाम पर दो सेविंग्स अकाउंट (Savings Account) खोले हैं और साथ ही रेकरिंग डिपॉजिट (RD) और म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करना शुरू कर दिया है. अर्नब सेन का कहना है कि वह अपने बच्चे को बहुत कम उम्र से ही यह समझाना चाहते हैं कि निवेश करना कितना जरुरी है. एक्सपर्ट्स ने भी इस कार्य की सराहना की और बताया कि आपके बच्चे के पास बहुत कम उम्र में ही सेविंग्स अकाउंट (Savings Account) होना क्यों जरुरी है.
ज्यादातर बैंकों में बच्चों के खातों के लिए दो अलग-अलग विकल्प होते हैं – एक 10 वर्ष से कम आयु वालों के लिए और दूसरा 10 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए, जब आप किसी ऐसे बच्चे के नाम पर खाता खोलते हैं जो अभी तक 10 साल का नहीं हुआ है, तो उस बच्चे को अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ जॉइंट अकाउंट खोलना होता है. इस जॉइंट अकाउंट में अभिभावक खाते को ऑपरेट करते है. हालांकि 10 साल से 18 साल की उम्र के नाबालिग के लिए खोले गए खातों को बच्चा स्वयं ऑपरेट कर सकता है. साथ ही अभिभावक भी इस खाते को ऑपरेट कर सकते हैं. इस कैटेगरी के खातों के लिए डेबिट कार्ड भी जारी किया जाता है.
फाइनेंशियल प्लानर नीलोत्पल बनर्जी के मुताबिक कम उम्र से ही बचत करना समझदारी है. इसलिए यदि आप कम उम्र में अपने बच्चे के लिए एक माइनर अकाउंट खोलते हैं. तो आप उसे समझा सकते हैं कि सेविंग्स कितनी जरुरी है और अगर आप अपने बच्चे को यह समझाते हैं कि रेकरिंग डिपॉजिट (RD) या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) अकाउंट कैसे काम करता है और इसके क्या फायदे होते हैं, तो आपका बच्चा जल्दी ही समझ जाएगा कि सेविंग्स कितनी जरुरी है. ऐसा करके आप अपने बच्चे में 10 साल की उम्र से ही सेविंग करने की आदत डाल सकते हैं.
इन एकाउंट्स में माता-पिता या अभिभावक निकासी की लिमिट निर्धारित कर सकते हैं, जो बच्चा एक दिन और एक वर्ष दोनों में निकाल सकता है. साथ ही स्पेंडिंग लिमिट हर बैंक में अलग-अलग होती है. जैसे कुछ बैंक डेली निकासी की लिमिट 1,000 रुपये या 2,500 रुपये रखते हैं, वहीं अन्य बैंको में यह लिमिट 5000 रुपये तक भी होती है. यह लिमिट आपके बच्चे को सिखाएगी कि वह अपने डेली के खर्चों को कैसे संभाल सकता है और कैसे जरूरी खर्चों से बच सकता है.
आमतौर पर सभी छोटे सेविंग्स बैंक अकाउंट एटीएम या डेबिट कार्ड की सुविधा प्रदान करते हैं. कुछ बैंक सिक्योरिटी और सेफ्टी रीज़न के कारण बच्चों की फोटो लगा हुआ एटीएम कार्ड देते हैं या एटीएम कार्ड पर बच्चे या माता-पिता का नाम होता है. साथ ही बैंकों के द्वारा एसएमएस अलर्ट सुविधा भी दी जाती है. जिससे एटीएम द्वारा हुए लेन देन का अलर्ट माता पिता के द्वारा रजिस्टर मोबाइल नंबर पर मिलता रहता है. आईटी कंसलटेंट अरविन्द अग्रवाल के मुताबिक एटीएम कार्ड का उपयोग आपके बच्चे को अपनी बचत का सही रूप से उपयोग करना सिखाता है.
ज्यादातर छोटे सेविंग एकाउंट्स में मिनिमम 1,000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच मिनिमम एवरेज बैलेंस (MAB) बनाए रखने की आवश्यकता होती है. फाइनेंशियल प्लानर नमित मुखर्जी के मुताबिक MAB बनाए रखना आपके बच्चे को भविष्य में आर्थिक रूप से अनुशासित और विवेकपूर्ण बनता है.
पहले जानकारी कर लें कि क्या आपका बैंक माता-पिता के खाते से नाबालिग खाते में पैसे डेबिट करने के लिए ‘स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन्स’ सुविधा प्रदान करता है. वैसे ज्यादातर बैंक केवल NEFT, RTGS और IMPS के माध्यम से फंड्स ट्रांसफर की अनुमति देते हैं. नीलोत्पल बनर्जी का कहना है यदि आप अपने बच्चे को इसके बारे में सिखाते हैं तो इससे उसको भविष्य में काफी हेल्प मिलेगी.
किड्स सेविंग अकाउंट आमतौर पर जीरो लायबिलिटी की सुरक्षा के साथ आते हैं. इस सुविधा के साथ बच्चे का डेबिट कार्ड चोरी या गुम होने से सुरक्षित रहता है.
आईटी कंसलटेंट अरविंद अग्रवाल का कहना है कि बहुत कम उम्र से कुछ पैसों तक पहुंचने के दौरान आपका बच्चा अपने आप मेहनत की कमाई की सुरक्षा के बारे में समझ जाएगा और उसके अनुसार ही कार्य करना भी सीख जायेगा.