कंजर्वेटिव इन्वेस्टर हैं इस तरह से करें अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग

सीनियर सिटीजन या जो रिटायरमेंट के करीब हैं उन्हें लिक्विडिटी पर ज्यादा फोकस करना चाहिए. कई सीनियर सिटीजन रियल रेट ऑफ रिटर्न के कॉन्सेप्ट से अनजान हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 11, 2021, 01:23 IST
Your retirement life can be a lot of fun if you have already done this planning

रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए.

रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए.

रिटायरमेंट प्लानिंग वह होती है जहां आप रिटायर होने से पहले अपनी प्रोफेशनल लाइफ के दौरान सेविंग करते हैं और फिर उस सेविंग का इस्तेमाल एक अच्छी रिटायर्ड लाइफ जीने के लिए करते हैं. तरीका एक ही हो सकता है, लेकिन हमारी पीढ़ी के बचतकर्ताओं को हमसे पहले की पीढ़ी की तुलना में ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ये एक फैक्ट है कि अब कई कंपनियां पेंशन के बेनिफिट को आउटलाइन कर रही हैं. पेंशन जो रिटायरमेंट के बाद के सालों में एक निश्चित अमाउंट की गारंटी देती है.

कौन होते हैं कंजरवेटिव इन्वेस्टर

ये वो इन्वेस्ट होते हैं जिनकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी, मार्केट के रिटर्न या ग्रोथ से ज्यादा कैपिटल की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की होती है. इन्हें अपनी शुरुआती प्लानिंग के लिए इन फैक्टर्स की समझ होनी बहुत जरूरी है जिन्हें किसी को अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय नहीं भूलना चाहिए.

रिस्क उठाने की क्षमता
महंगाई
लिक्विडिटी की जरूरत
इन्वेस्टमेंट अवधि
टैक्स इम्पलिकेशन
एसेट और लायबिलिटी
रेट ऑफ रिटर्न
दूसरी पर्सनल या प्रोफेशनल सिचुएशन (यदि कोई हो)

इन फैक्टर्स में महंगाई एक महत्वपूर्ण फैक्टर है. एक आम आदमी के लिए, महंगाई को कपड़ों, खाने, ईंधन, ट्रांसपोर्ट आदि जैसे रोजाना इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं और सेवाओं की सामान्य कीमत में लगातार वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति की कॉस्ट ऑफ लिविंग बढ़ जाती है. किसी भी निवेश का मूल्यांकन करने के लिए, हमें टैक्स-एडजस्टेड रियल रेट ऑफ रिटर्न का मूल्यांकन (इवेलुएट) करना चाहिए.

a. नॉमिनल रेट ऑफ रिटर्न: आपकी निवेश पर मिलने वाला ग्रॉस रिटर्न

b. रियल रेट ऑफ रिटर्न: निवेश पर मिले रिटर्न से इन्फ्लेशन कॉस्ट काटने के बाद मिलने वाला रिटर्न

ये ध्यान देने वाली बात है कि इन्वेस्टमेंट पर एक्सपेक्टेड रियल रेट ऑफ रिटर्न मेंटेन करने के लिए हायर नॉमिनल रेट ऑफ रिटर्न आवश्यक है. दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि रियल इंटरेस्ट रेट जिस हिसाब से इन्फ्लेशन बढ़ता है उसी हिसाब से गिरता है. जब तक कि इन्फ्लेशन रेट के समान नॉमिनल रेट नहीं बढ़ता. इसलिए सीनियर सिटीजन या वो जो रिटायरमेंट ऐज के करीब हैं उन्हें लिक्विडिटी पर ज्यादा फोकस करना चाहिए. सही रिटायरमेंट प्लान चुनते समय सबसे बड़ी कमी यह है कि ज्यादातर सीनियर सिटीजन कन्फ्यूज्ड रहते हैं या रियल रेट ऑफ रिटर्न के कॉन्सेप्ट से अनजान होते हैं.

भारत में लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ गई है इसलिए लोगों को जितना जल्दी हो सके अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करनी चाहिए जिससे ज्यादा कॉर्पस बनाया जा सके जो आने वाले सालों में उनकी बेहतर सहायता कर पाए. बढ़ी हुई मेडिकल और कंज्मप्शन कॉस्ट को देखते हुए, यह सलाह दी जाती है कि एक अच्छा रिटायरमेंट कॉर्पस बनाया जाए. इसे केवल तब बनाया जा सकता है जब आप अपनी वर्किंग लाइफ दौरान ही इसके लिए अच्छा निवेश करना शुरू करें ताकि बाद में एक अच्छी रिटायरमेंट लाइफ जी सकें.

(लेखक: अलंकित के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं)

Published - October 11, 2021, 01:23 IST