AMFI के आंकड़ों से पता चलता है कि जून में इक्विटी इनफ्लो 41% की तेज गिरावट के साथ 5,988 करोड़ रुपये पर आ गया है. इसी साल मई में ये आंकड़ा 10,082.98 करोड़ रुपये था. इस डेटा से ऐसा लगा रहा है कि निवेशक शेयरों से दूर हो रहे हैं. हालांकि, डेटा की गहन पड़ताल से पता चलता है कि भारतीय निवेशक वक्त के साथ समझदार और मैच्योर हो रहे हैं.
इसे इस तरह से समझते हैं. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में जून में ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम्स में 26,911.09 करोड़ रुपये आए हैं. ये आंकड़ा इससे पिछले महीने में 25,633.64 करोड़ रुपये था. हालांकि, रिडेम्पशन भी 20,922.92 करोड़ रुपये के साथ ऊंचा रहा है. मई में ये आंकड़ा 15,550.66 करोड़ रुपये पर था.
जून में रिडेम्पशन बढ़ने की वजह ये है कि इस दौरान इक्विटी मार्केट्स ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है. कोविड की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने, लॉकडाउन की पाबंदियां घटने और आर्थिक गतिविधियों के खुलने से ऐसा हुआ है.
इसके चलते इनवेस्टर्स ऊंची वैल्यूएशन पर एग्जिट कर रहे हैं. लेकिन, साथ ही ज्यादा फंड आने से ये भी पता चलता है कि निवेशक अब इक्विटी मार्केट्स में ज्यादा पैसा लगाना चाहते हैं.
इनवेस्टर्स ने आर्बिट्राज फंड कैटेगरी में 9,059.57 करोड़ रुपये लगाए हैं. इसे इक्विटी फंड्स में सबसे सुरक्षित माना जाता है. म्यूचुअल फंड की सभी कैटेगरीज में ये सबसे ज्यादा है.
इसी तरह से अब ज्यादा से ज्यादा निवेशक SIP का चुनाव कर रहे हैं. जून में SIP के जरिए लगाई गई रकम बढ़कर 9,155 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. SIP खातों की संख्या बढ़कर 4.02 करोड़ रुपये हो गई है और इनका AUM 4.84 लाख करोड़ रुपये हो गया है. ये सभी आंकड़े एक रिकॉर्ड हैं.
इससे पता चलता है कि निवेशक परिपक्व हो रहे हैं. निवेशकों को समझ आ रहा है कि मार्केटिंग की टाइमिंग को पकड़ पाना नामुमकिन है और ऐसे में वे SIP के जरिए एवरेजिंग करना चाहते हैं.
ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं और इस वजह से ज्यादा भारतीय अब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में दाखिल होना चाहते हैं. ऐसे में इस बात में अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा जब लोग FD के मुकाबले म्यूचुअल फंड्स को ज्यादा तरजीह देने लगेंगे.