AIF: जिन होम बायर्स (home buyers) को लंबे वक्त से अपने फ्लैट की चाबी मिलने का इंतजार है. उन्हें जल्दी ही राहत मिल सकती है. ये ऐसे होम बायर्स हैं जिन्होंने घर खरीदने के लिए डिवेलपर्स को पैसा दिया, लेकिन ये रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स (residential projects) पूरे नहीं हो पाए और अभी तक अटके पड़े हैं.
देश के अलग-अलग मेट्रो शहरों में ऐसे ही दो दर्जन से ज्यादा अटके पड़े रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स (residential projects) को फिर से चालू करने के लिए कई कंपनियां वैकल्पिक निवेश कोष यानी ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड (AIF) की ओर रुख कर रही हैं. इसके जरिए इन प्रोजेक्ट्स (residential projects) के लिए बाजार से पूंजी जुटाई जा रही है. इन AIF के जरिए कंपनियां अब तक 2,000 रुपये से अधिक इकट्ठा कर चुकी हैं.
ज्यादातर प्रोजेक्ट्स दिल्ली-NCR के
अटके हुए ज्यादातर हाउसिंग प्रोजेक्ट्स (residential projects) दिल्ली-NCR, बेंगलुरु, पुणे और मुंबई में स्थित हैं और इनका काम फिर से शुरू करने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को पूंजी की जरूरत है.
इन प्रोजेक्ट्स में घर बुक कराने वाले ग्राहक अब राहत की सांस ले सकते हैं. क्योंकि अब इन प्रोजेक्ट्स को फिर से चालू करने के लिए जरूरी रकम पूरी होने के करीब है. इन ग्राहकों को अब जल्द ही अपने सपनों के घर की चाबी मिल जाएगी.
रियल एस्टेट सलाहकार एजेंसी 360 रियल्टर्स के मुताबिक, अटके हुए रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स (residential projects) के लिए AIF के जरिए जुटाए गए कुल 500 करोड़ रुपये में से वह 100 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करने के आखिरी चरण में है. प्रोजेक्ट्स का काम 2022 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
कंपनी के संस्थापक अंकित कंसल ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि उन्होंने नोएडा और गुरुग्राम में एक-एक परियोजना की पहचान की है और उन्हें इसी महीने सौदों पर दस्तखत होने की उम्मीद है.
कंसल ने कहा कि उनका फोकस NCR पर होगा, क्योंकि यहां कई परियोजनाएं ठप्प पड़ी हैं. 360 रियल्टर्स ने राइजिंग स्ट्रेट्स कैपिटल के साथ भी साझेदारी की है. इसके तहत NCR, बेंगलुरु, पुणे और मुंबई में परियोजनाओं के लिए जरूरी फंडिंग हासिल की जा सकती है. करार के तहत AIF पूरी होने वाली इन परियोजनाओं में बड़ी तादाद में प्रॉपर्टी खरीदेगा.
AIF क्या है?
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने AIF को इस रूप में परिभाषित किया है, “भारत में स्थापित या निगमित फंड, जो एक निजी रूप से पूल किया गया एक निवेश व्हीकल है, जिसके तहत चुनिंदा निवेशकों से धन एकत्र किया जाता है. ये निवेशक भारतीय या विदेशी दोनों ही हो सकते हैं. यह अपने निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए परियोजनाओं में निवेश करते हैं.”
AIF के तहत आमतौर पर निजी निवेशकों या ऊंची नेटवर्थ वाले व्यक्तियों (HNI) से पैसा इकट्ठा किया जाता है और यह स्टॉक, ऋण प्रतिभूतियों आदि जैसे पारंपरिक निवेशों से अलग है.
AIF में निजी इक्विटी, उद्यम पूंजी, हेज फंड और एंजेल फंड जैसे बड़े संस्थागत निवेशक शामिल होते हैं. ये सेबी के म्युचुअल फंड (MF) नियमों के दायरे में नहीं आता है. इसके अलावा NRI, PIO और OCI जैसे भारतीय निवेशक भी इनमें निवेश कर सकते हैं.
सरकार भी पेश कर चुकी है ‘स्वामी’ AIF
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वामी (SWAMIH) नाम का एक क्लास II AIF सितंबर 2019 में पेश किया था, जिसे नवंबर 2019 में कैबिनेट की मंजूरी मिली थी. यह फंड RERA-रजिस्टर्ड सस्ती और मध्यम आय वर्ग के रुके हुए रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में सहायता के लिए बनाया गया था.
इसके जरिए अब तक देशभर में 213 परियोजनाओं (residential projects) को चालू करने के लिए 17,000 करोड़ रुपये की पूंजी इकट्ठी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि स्वामी को उसके सख्त नियमों के चलते अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है.