रेंट पर घर लेने से पहले इन 9 बातों का जरूर रखें ख्याल, बाद में नहीं होगी परेशानी

सबसे पहले यह तय करें कि आप हर महीने कितना किराया (rent) चुकाएंगे. हर साल किराये (rent) में कितनी वृद्धि हो जाएगी.

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कई प्रोजेक्ट के ठेकेदारों ने भुगतान न मिलने के चलते दी काम बंद करने की धमकी. (Pixabay)

कई प्रोजेक्ट के ठेकेदारों ने भुगतान न मिलने के चलते दी काम बंद करने की धमकी. (Pixabay)

अगर आप रेंट (rent) पर फ्लैट या घर ले रहे हैं तो आपको रेंट एग्रीमेंट (Rent agreement) भी बनवाना होता है. घर तय करने से पहले आपको इस रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) को काफी गौर से पढ़ लेना चाहिए. इसके बाद ही एग्रीमेंट पर सिग्नेचर करना चाहिए, ताकि आगे आपको परेशानी का सामना न करना पड़े. इसमें किराया बढ़ाने, सुविधा का चार्ज और अन्य भुगतान के बारे में लिखा होना जरूरी है.

रेंट की शर्त को जरूर पढ़ें

सबसे पहले यह तय करें कि आप हर महीने कितना किराया (rent) चुकाएंगे. हर साल किराये (rent) में कितनी वृद्धि हो जाएगी. आमतौर पर 11 महीने पर एग्रीमेंट (Rent agreement) का रिन्यू होता है. साथ ही, 1 साल बाद किराये में अमूमन 10 फीसदी बढ़ोतरी होती है. हालांकि, कई बार किराया बढ़ोतरी दोनों पक्षों की सहमति पर भी निर्भर करता है.

जबरन मकान खाली नहीं कराया जा सकता

रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में 1 महीने के नोटिस का प्रावधान होने के बावजूद कोई भी मकान मालिक किरायेदार से जबरन मकान खाली करने के लिए नहीं कह सकता. अगर कोई मकान मालिक ऐसा करने की कोशिश करे तो कोर्ट से स्टे ऑर्डर लिया जा सकता है.

असली मकान मालिक से ही लें घर

मकान लेने से पहले किरायेदार ये जान ले की जिससे वह मकान ले रहा है, वही मकान का असली मालिक हो. अगर ऐसा नहीं है तो मकान किराये पर देने वाले के पास टेनेंसी का अधिकार होना चाहिए. अगर ये ध्यान में नहीं रखा तो असली मालिक नोटिस देकर मकान खाली करवा सकता है.

सिक्योरिटी डिपॉजिट

रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में पैसे देने की शर्तों पर गौर करें. मकान खाली करते समय इसे कैसे समायोजित किया जाएगा, इस पर ध्यान दें. इस कागजात में किराये का एग्रीमेंट (Rent agreement) रद्द होने की शर्त भी लिखी होती है. नोटिस पीरियड का भी इसमें जिक्र होता है. बेहतर होगा अगर आप किराया चुकाने के माध्यम के बारे में (कैश, चेक या NEFT/RTGS/IMPS) के बारे में भी इसमें लिखवा दें ताकि बाद में कोई विवाद न हो.

किराया देर से भरने पर क्या होगा?

आप किराया (rent) हर महीने कब चुकाएंगे इसकी जानकारी रेंट एग्रीमेंट में जरूर कर लें. यह चेक करें कि एग्रीमेंट में किराया देर से चुकाने पर कोई पेनाल्टी (Penalty) तो नहीं है. इसके अलावा, आपको बिजली, पानी के बिल, हाउस टैक्स और जिम, स्विमिंग पुल, पार्किंग, क्लब आदि की सुविधा और उसके बदले भुगतान के बारे में भी देखना चाहिए.

मकान चेक करें

जिस मकान को आप रहने के लिए किराये के लिए ले रहे हैं, उसका पहले अच्छे से मुआयना कर लें. बहुत से लोग छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते, लेकिन उसे देखना जरूरी होता है. अगर कुछ खराब है या सही नहीं है तो उस बारे में मकान मालिक को जरूर बताएं. शिफ्ट करने से पहले उसे लगवा लें या ठीक करायें.

मेंटेनेंस है जरूरी मसला

यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि घर में नियमित तौर पर मरम्मत और देखभाल का भुगतान कौन करेगा. किस तरह के खर्च कौन वहन करेगा. ऐसा न करने पर आगे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. यह भी चेक करें कि मरम्मत का खर्च आप करेंगे तो वह किराये (rent) में कट जाएगा या मकान मालिक उसे आपको री-इम्बर्स करेगा.

अन्य नियम और शर्तों पर भी दें ध्यान

रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में इसपर ध्यान दें कि कहीं आपके मकान मालिक ने किसी तरह की अलग या अतिरिक्त शर्त तो नहीं जोड़ दी है. अपनी तरफ से रेंट एग्रीमेंट में लिखी गई बातों जिसे पढ़कर आपने सिग्नेचर किया है, उसका खास ध्यान रखें. सेल डीड जैसे डॉक्युमेंट को वेरीफाई करें. इसके साथ ही यदि हाउसिंग सोसाइटी से एनओसी लेना जरूरी हो तो वह प्रक्रिया भी पूरी कर लें.

ब्रोकरेज

ज्यादातर लोग ब्रोकर्स के जरिए घर किराए (rent) पर लेते हैं. किसी भी इलाके में ब्रोकर्स का पूरा एक नेटवर्क होता है और अक्सर आप इससे बच नहीं पाते. लेकिन, ब्रोकर के साथ घर फाइनल करने से पहले ब्रोकरेज चार्ज और दूसरे खर्च, सिक्योरिटी मनी जैसी चीजों पर स्पष्ट बात कर लें. इससे आप बाद में पैदा होने वाले विवाद से बच जाते हैं.

Published - July 4, 2021, 07:06 IST