सॉवरन गोल्ड बॉन्ड सोमवार से अपनी नई पेशकश के साथ हाजिर है. माना जा रहा है कि गोल्ड बॉन्ड की नई किश्त के साथ निवेशक सोने में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं. मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव के बीच इक्विटी में भी अनिश्चितता की संभावना बनी हुई है. ऐसे में इंवेस्टमेंट से जुड़ी सलाह देने वाले एक्सपर्ट्स की राय है कि निवेशकों को सोने में अपने निवेश को 15 प्रतिशत तक बढ़ा देना चाहिए.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की सातवीं किश्त 29 अक्टूबर को खत्म हो रही है. इस किश्त में निवेशकों को 4,711 रुपये प्रति ग्राम का भुगतान करना होगा. डिजिटल माध्यम का उपयोग करने वालों को भुगतान में 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट मिलेगी. यह 4,682 रुपये प्रति ग्राम से 0.61% अधिक है. पिछले एक साल में सोने की कीमतों में 7% की गिरावट आई है.
एक्सपर्ट से जानें सोने में निवेश के फायदे
ईटी ने MyWealthGrowth के सह-संस्थापक हर्षद चेतनवाला के हवाले से रिपोर्ट किया है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने के निवेश करने के सबसे बेहतर तरीकों में से एक है. इसमें निवेश करके निवेशक अगले चार-पांच माह तक निवेश को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं. कोविड 19 के दौर में जब बाजार में अनिश्चितता का माहौल था, उस वक्त सोने में निवेश से निवेशकों को अच्छे रिवॉर्ड्स मिले. पर, 2020 के बाद से इसमें गिरावट शुरू हो चुकी है. हालांकि अब भी महंगाई और कमजोर होते डॉलर के बीच निवेशक सोने में ज्यादा इन्वेस्ट कर रहे हैं.
सरकार और केंद्रीय बैंकों की कुछ नीतियों के साथ बाजार में इनफ्लेशन बढ़ने की संभावना है. इस बीच सोने की कीमतों में भी वृद्धि होने की उम्मीद है.
क्वांटम म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर चिराग मेहता ने सोने में ज्यादा इन्वेस्ट करने की वाजिब वजह बताई है. मेहता के मुताबिक लिक्विडिटी कम होते ही कर्ज या हाउसिंग क्राइसिस खड़ा हो सकता है. जो देश की इकोनॉमी को भी काफी हद तक प्रभावित करेगा. ऐसे में सोने में निवेश करना ज्यादा बेहतर होगा. मेहता ने ये भी कहा कि इनफ्लेशन ज्यादा बढ़ने का असर उपभोक्ता की मांग पर भी पड़ सकता है. मांग धीमी होने का असर आर्थिक सुधारों पर भी पड़ेगा. ब्याज दर और मुद्रास्फीति दोनों बढ़ने से बाजार में अस्थिरता आ सकती है.
कब करें निवेश?
निवेशक मार्च 2022 तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करने के चार चरणों में अपनी सोने की खरीद को रोक सकते हैं. वेल्थ मैनेजर्स का मानना है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड तब तक गोल्ड के मालिक होने के सबसे कारगर तरीकों में से एक है, जब तक निवेशकों को रुक-रुक कर लिक्विडिटी की जरूरत नहीं होती है. वे भौतिक सोना या गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड फंड खरीदने जैसे पारंपरिक तरीकों से अधिक स्कोर करते हैं क्योंकि बांड सरकार द्वारा समर्थित होते हैं, हर साल 2.5% ब्याज प्राप्त करते हैं, और स्टोरेज की कोई लागत नहीं आती है.