अतुल के पास 5 लाख रुपए कवर का फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान है. किडनी के इलाज के लिए पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इलाज लंबा चला, कुल 8 लाख रुपए का बिल बना. अतुल को तीन लाख रुपए अपनी जेब से भरने पड़े.
देश में स्वास्थ्य सेवाओं की महंगाई 14 फीसद के स्तर पर है जो सामान्य की तुलना में दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है. पॉलिसी बाजार का सर्वे बताता है कि पिछले पांच साल में इलाज का खर्च दोगुना से ज्यादा बढ़ा है. ऐसे में हेल्थ बीमा का कवर कम पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता.
अगर अतुल की तरह महंगे प्रीमियम की वजह से आपने हेल्थ इंश्योरेंस का ज्यादा कवर नहीं लिया है या सिर्फ कंपनी के ग्रुप इंश्योरेंस के सहारे हैं तो ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. कुछ रकम चुका कर टॉपअप और सुपर टॉपअप प्लान के जरिए इस कवर को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं. क्या हैं टॉपअप और सुपर टॉपअप प्लान, कैसे काम करते हैं, चलिए समझते हैं.
उदाहरण के लिए अतुल 30 साल के हैं. परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं. 5 लाख रुपए के फैमिली फ्लोटर हेल्थ बीमा कवर के लिए सालाना 20 हजार रुपए का प्रीमियम भर रहे हैं. इस कवर को बढ़ाने के लिए वह टॉपअप या सुपर टॉपअप प्लान ले सकते हैं. अतुल को 20 लाख रुपए का टॉपअप या सुपर टॉपअप प्लान करीब 8 से 10 हजार रुपए के प्रीमियम में मिल जाएगा. लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि टॉपअप में डिडक्टिबल शामिल होता है.
क्या होता है डिडक्टिबल?
टॉपअप प्लान एड ऑन कवर के रूप में काम करते हैं जो मेडिकल इमरजेंसी में आपके मौजूदा कवर को बढ़ा देते हैं. जब आपका मौजूदा हेल्थ बीमा कम पड़ जाता है तो टॉपअप और सुपर टॉपअप प्लान काफी मददगार साबित होते हैं. लेकिन इनका कवरेज पहले से तय एक निश्चित सीमा के खर्च होने के बाद शुरू होता है. यही डिडक्टिबल लिमिट होती. इसमें पॉलिसीधारक को पहले से तय लिमिट तक का पैसा चुकाना होता है और उसके बाद टॉपअप का फायदा मिलता है. उदाहरण के लिए अतुल टॉपअप प्लान लेते हैं और डिडक्टिबल लिमिट 3 लाख रुपए है. अगर उनके इलाज का खर्ज 5 लाख रुपए आता है तो तीन लाख रुपए बेसिक हेल्थ पॉलिसी से कवर हो जाएंगे जबकि 2 लाख रुपए टॉपअप प्लान से कवर होंगे. अगर आपके पास बेस प्लान नहीं है तो डिडक्टिबल राशि अपनी जेब से खर्च करके टॉपअप या सुपर टॉपअप की सुविधा ले सकते हैं.
टॉपअप और सुपर टॉपअप में अंतर
हेल्थ बीमा में टॉपअप और सुपर टॉपअप प्लान दोनों ही एड ऑन कवर हैं लेकिन दोनों के बीच के अंतर को समझ लेना जरूरी है. टॉपअप प्लान को पॉलिसी अवधि में केवल एक ही बार क्लेम किया जा सकता है वहीं सुपर टॉपअप के जरिए कई बार क्लेम ले सकते हैं. टॉपअप प्लान एक बार क्लेम करने के बाद लैप्स हो जाता है और सुपर टॉपअप के पूरे कवर को यूज किया जा सकता है. प्रीमियम की तुलना करें तो टॉपअप प्लान, सुपर टॉपअप से सस्ता होता है. अगर आप मल्टीपल क्लेम के लिहाज से प्लान लेना चाहते हैं तो सुपर टॉपअप प्लान अच्छा रहेगा.
अगर आपके पास पहले से कोई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं है तब भी टॉपअप और सुपर टॉपअप पॉलिसी खरीद सकते हैं. इस स्थिति में डिडक्टिबल राशि आपको अपनी जेब से खर्च करनी होगी. उसके बाद ही टॉपअप का कवर शुरू होगा. टॉपअप प्लान में आप स्वयं, जीवनसाथी और बच्चों को कवर कर सकते हैं. यह प्लान फैमिली फ्लोटर की तरह काम करेगा.
किसके लिए फायदेमंद?
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि जिन लोगों के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का कवर कम है उनके लिए टॉपअप और सुपर टॉपअप प्लान बेहतर विकल्प हैं. निजी क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे लोग जो सिर्फ कंपनी के ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भर हैं वह कुछ अतिरिक्त पैसे खर्च करके अपने बीमा कवर को बढ़ा सकते हैं. कंपनी छोड़ने पर इस ग्रुप पॉलिसी को इंडिविजुअल में कन्वर्ट कराकर बीमा कवर को जारी रख सकते हैं.
महंगाई के दौर में परिवार की सेहत की सुरक्षा के लिए पर्याप्त हेल्थ बीमा कवर की पॉलिसी खरीदें. पॉलिसी को रिन्यू कराने से पहले इसकी समीक्षा करें.
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