Health Insurance. जहां पहले इंश्योरेंस को एजेंट की ओर से जोर देकर ग्राहकों को बेचा जाता था, वहीं अब लोग खुद इंश्योरेंस की अहमियत समझते हुए पर्याप्त कवर लेने की कोशिश में लगे हैं. इंश्योरेंस की जरूरत कोविड-19 के दौर में और ज्यादा है क्योंकि जब मेडिकल खर्च इतना बढ़ रहा हो और सैलरी से लेकर नौकरी पर भी संकट छाया हो तो स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अपनी जेब ना देखनी पड़े.
अक्सर इंश्योरेंस कवरेज तभी मिलता है जब अस्पताल में मरीज 24 घंटों से ज्यादा भर्ती रहा हो. इसमें भी अब जागरुकता आई है कि कैसे घर पर इलाज का कवरेज भी डॉमिसिलियरी क्लॉज होने पर लिया जा सकता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसे कौन से डे-केयर इलाज हैं जिनके कवरेज को आपको अपनी पॉलिसी में देखना चाहिए?
ये ऐसी बीमारियों या मेडिकल दिक्कतों का इलाज है जिनके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं. लेकिन, इनपर भी होने वाला खर्च बड़ा हो सकता है जो आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. मेडिकल टेक्नोलॉजी में हो रहे लगातार सुधार के साथ ही इलाज का समय भी घटा है. ऐसे में कई ऐसे इलाज हैं जिनमें 24 घंटे के लिए भी अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं है – जैसे अपेंडिक्स का ऑपरेशन, कैटेरैक्ट, डायलिसिस, एंजियोग्राफी, टॉन्सिल का ऑपरेशन, प्रोस्टेट आदि.
कोई भी हेल्थ प्लान खरीदने से पहले आपको पढ़ना चाहिए कि पॉलिसी में ऐसी कौन से डे-केयर इलाज हैं जिसे आपकी पॉलिसी कवर नहीं करती. अपनी इंश्योरेंस कंपनी से पहले ही समझ लें कि क्या शामिल है और क्या नहीं ताकि जरूरत पड़ने पर आप दिक्कतों में ना हों.
ज्यादातर पॉलिसी में कान के ऑपरेशन, कैटेरैक्ट के ऑपरेशन, कान से जुड़े ऑपरेशन, हड्डियों से जुड़े ऑपरेशन और साइनस जैसे ट्रीटमेंट का कवरेज देती हैं. इसके लिए आपको अपनी पॉलिसी की शर्तें और नियम ध्यान से पढ़ें. साथ ही जरूर जांच ले कि इसका कैशलेस क्लेम मिलेगा या नहीं और नेटवर्क में कितने अस्पताल हैं.
बजाज आलियांज की वेबसाइट के मुताबिक हेल्थ प्लान में अक्सर ऑउटपेशंट डिपार्टमेंट (OPD) इलाज और डेंटल क्लीन-अप की सुविधाएं हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल नहीं होतीं और इनका रिइंबर्समेंट भी नहीं मिलेगा.
डेंटल प्रोसीजर्स के साथ ही कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट और सर्जरीज का खर्च मेडिकल इंश्योरेंस में अक्सर कवर नहीं होता. इसमें हेयर ट्रांस्प्लांट से लेकर प्लास्टिक सर्जरी का कवरेज नहीं मिलता. ऐसी किसी सर्जरी का क्लेम तब तक नहीं मिलता जब तक किसी अन्य बीमारी जैसे कैंसर या एक्सीडेंट की वजह से इसकी जरूरत ना पड़ी हो और डॉक्टर ने इसका प्रेसक्रिप्शन ना दिया हो.
साथ ही, कई इंश्योरेंस प्लान में मैटर्निटी और फर्टिलिटी से जुड़ी दिक्कतों (IVF) का कवरेज भी नहीं मिलता या सीमित होता है.
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