घर खरीदारों को खरीदारी के समय प्रॉपर्टी का टाइटल या ओनरशिप मिलती है. टाइटल इंश्योरेंस किसी प्रॉपर्टी पर लीगल ओनरशिप और उसे यूज करने और डिस्पॉज करने के अधिकार को रेफर करता है. लेकिन इसका प्रॉसेस इतना सरल नहीं है. टाइटल ट्रांसफर से जुड़ी डिस्क्रिपेंसी के कई मामले पूरे भारत में दर्ज किए गए हैं. हालांकि, देश में ओनरशिप प्रॉपर्टी को ट्रैक करने के लिए अभी तक कोई डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम नहीं है. इसकी वजह से पिछले प्रॉपर्टी टाइटल चार्ज या वेग लैंड टाइटल से जुड़े कई तरह के फ्रॉड हो सकते है.
टाइटल इंश्योरेंस का कॉन्सेप्ट
घर खरीदारों द्वारा अनुभव की जाने वाली उपरोक्त परेशानियों से बचाने के लिए टाइटल इंश्योरेंस लाया गया था. यह प्रॉपर्टी की सही ओनरशिप के लिए एक सेफ्टी सिस्टम कंस्ट्रक्ट करके कॉन्फिडेंस बढ़ाने का काम करता है. टाइट इंश्योरेंस का ऑप्शन चुनकर आप कई बेनिफिट को एन्जॉय कर सकते हैं.
रिया इंश्योरेंस ब्रोकर्स के डायरेक्टर एस के सेठी के अनुसार, “प्रॉपर्टी के टाइटल (लैंड) का मतलब है – सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार प्रॉपर्टी का मालिक कौन है. एक खरीदार के रूप में, आप इसे एक्सपर्ट (एक वकील या एक वेरीफाइड प्रॉपर्टी ब्रोकर) द्वारा वेरीफाई करवाते हैं. यह बहुत क्लियर है कि न तो आप और न ही डेवलपर डिफेक्टिव टाइटल वाली प्रॉपर्टी खरीदेंगे. टाइटल इंश्योरेंस एक डेवलपर द्वारा लिया जाता है जिसमें इंश्योरर डिफेक्टिव टाइटल के रिस्क को कवर करता है, जो आने वाले सालों में पता चल सकता है.
RERA का स्टेचुअरी कंप्लायंस
मई 2016 में रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 (RERA) ने सभी रजिस्टर्ड नई और ऑनगोइंग प्रॉपर्टी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए टाइटल इंश्योरेंस खरीदना अनिवार्य कर दिया, बशर्ते कि प्रॉपर्टी 500 वर्ग मीटर या 8 अपार्टमेंट यूनिट से ज्यादा हो.
टाइटल इंश्योरेंस का मकसद रियल एस्टेट बिजनेस को डिक्लटर करना और फाइनेंसिंग और क्रेडिट अवेलेबिलिटी को और ज्यादा ट्रांसपेरेंट बनाना है. यदि आपके पास टाइटल इंश्योरेंस है, तो आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू दस गुना बढ़ जाती है. यह कॉलेटरल के संदर्भ में है, जो आपके लिए आगे क्रेडिट फैसिलिटी लेना आसान बना सकता है.
लिटिगेशन कॉस्ट पर इम्पैक्ट
जमीन के मालिकाना हक, अनपेड प्रॉपर्टी टैक्स या यहां तक कि खरीद के बाद प्रॉपर्टी पर आपके साथी के क्लेम पर कन्फ्यूजन एक अनवॉन्टेड लेकिन अनअवॉइडेबल एक्सपेंस हो सकता है. ऐसे मामलों को रोकने के लिए, टाइटल इंश्योरेंस जरूरी है. यह दोनों पार्टी द्वारा साइन इंश्योरेंस गाइडलाइन्स के अनुसार सभी कानूनी खर्चों को कवर करेगा. इनमें लॉयर की फीस, लीगल डॉक्यूमेंटेशन का खर्च, सेटलमेंट कॉस्ट आदि शामिल हैं.
सेठी ने कहा, “मान लें कि आप एक प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट खरीदते हैं/ बुक कराते हैं, जिसे RERA द्वारा अप्रूव किया गया है और इसका टाइटल इंश्योरेंस है, तो बाद में डिफेक्टिव टाइटल इश्यू सामने आने की स्थिति में, RERA रियल एस्टेट डेवलपर को आपके पैसे वापस करने का निर्देश देगा. यदि डेवलपर के पास फंड है, तो वो आपको भुगतान करेगा. वरना, इंश्योरर आपको टाइटल इंश्योरेंस पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार राशि का भुगतान करेगा. इस तरह आप लिटिगेशन कॉस्ट बचाएंगे”
टाइटल इंश्योरेंस प्रॉपर्टी के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है और लीगल ग्राउंड पर प्रॉपर्टी डिस्प्यूट में आपका मार्गदर्शन करता है. इसके अलावा, पॉलिसी प्रॉपर्टी का ट्रैक रिकॉर्ड भी प्रोवाइड करती है.
टाइटल इंश्योरेंस क्यों है जरूरी
टाइटल इंश्योरेंस का कॉन्सेप्ट मुख्य रूप से केवल RERA के मैंडेट को पूरा करने के लिए है. लेकिन एक्सपर्ट इसे उन प्रॉपर्टी के लिए भी खरीदने का सुझाव देते हैं जो एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं. यदि आपको किसी प्रॉपर्टी की ओनरशिप के बारे में थोड़ा सा भी संदेह है, तो भविष्य में होने वाली किसी भी परेशानी से बचने के लिए, चाहें वो आर्थिक रूप से हों या कोई और, टाइटल इंश्योरेंस लेना सबसे सही कदम है.
हम में से ज्यादातर लोगों के लिए प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट एक बड़ी बात है. अधिकांश भारतीयों के लिए यह सबसे महंगी खरीदारी है. इसलिए इसे लेते समय ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. प्रॉपर्टी लेते समय ओनरशिप और दूसरी लीगैलिटीज पर खास ध्यान दें, जिससे बाद की परेशानियों से बचा जा सके.
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