उत्तर भारत में मंगलवार को आए 6.2 की तीव्रता के भूकंप से धरती दहल गई. महज 45 सेकेंड के झटकों से लोग दहशत में आ गए. मुसीबत कभी बता कर नहीं आती. पिछले दिनों तुर्की में आए भूकंप की तबाही से हजारों लोग मारे गए. हजारों की संख्या में घर और बहुमंजिला इमारतें धराशायी हो गईं. भारत में भुज, लातूर और चमोली में आए भूकंप को याद करते हुए लोग आज भी सिहर जाते हैं. पिछले साल उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के कई हिस्सों में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई. इस तरह के जोखिमों को कवर करने के लिए मकान का बीमा कराना बहुत जरूरी है.
होम इंश्योरेंस घर के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है. ये घर या घर में रखे सामान को नुकसान पहुंचने की सूरत में भरपाई करता है. घर को बाढ़, भूकंप, आग और बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं या फिर चोरी, डकैती और दंगे जैसी वजहों से नुकसान पहुंच सकता है. ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी आपके नुकसान की भरपाई करेगी.
क्यों जरूरी है प्रॉपर्टी का बीमा? NSSO की 77वें राउंड की रिपोर्ट के अनुसार बीमा सुरक्षा के अभाव में प्राकृतिक आपदाएं संपत्तियों को नुकसान और आय के मामले में अमीरों की तुलना में गरीबों को ज्यादा गहरी चोट पहुंचाती हैं. देश के किसी न किसी हिस्से में बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं की आशंका हमेशा बनी रहती है. इस वजह से देश में गरीब और अमीर के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है.
ऐसे में प्राकृतिक आपदा के जोखिमों से सुरक्षा के लिए अपने मकान, दुकान व गोदाम आदि प्रॉपर्टी का बीमा जरूर कराएं. आपदा जोखिमों से जुड़ा बीमा जनरल इंश्योरेंस की श्रेणी में आता है. सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कई तरह के बीमा उत्पाद बेच रही हैं. इनमें से आप अपनी सहूलियत के हिसाब से विकल्प का चुनाव कर सकते हैं. कुछ बीमा उत्पाद ऐसे भी हैं जिनमें सभी तरह के जोखिमों को कवर किया जाता है. ऐसे में हाउस होल्ड और पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस पालिसी खरीद कर मकान-दुकान का कवर हासिल कर सकते हैं. व्यवसायी फायर और प्रोजेक्ट इंश्योरेंस खरीद कर अपने कारोबार को आपदा से जोखिमों की सुरक्षा कर सकते हैं.
इंश्योरेंस एक्सपर्ट विकास सिंघल कहते हैं कि आमतौर पर बीमा कंपिनयां इमारत के ढांचे को कवर करती हैं. हालांकि इस बीमा में मकान और दुकान में रखे सामान को भी कवर किया जा सकता है. कुल मिलाकर मकान-दुकान का बीमा तीन प्रकार से कराया जा जाता है. पहला- बिल्डिंग का, दूसरा सामान का और तीसरा- इन दोनों का.
घर के सामान में घर में रखी ज्वेलरी, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, एसी और अन्य इलेक्ट्रानिक प्रोडेक्ट शामिल होते हैं. पॉलिसी खरीदते समय इसकी एक लिस्ट तैयार की जाती है. अगर, भूकंप, सुनामी, आग या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से घर या सामान को कोई नुकसान होता है तो बीमा कंपनी एक्चुअल कैश वैल्यू यानी वास्तविक कीमत का भुगतान करेगी.
कितना महंगा बीमा जनरल इंश्योरेंस कंपनियां प्रॉपर्टी का बीमा 10 से 20 साल जैसी लंबी अवधि के लिए मुहैया करा रही हैं. आमतौर पर इसके लिए सिंगल प्रीमियम पॉलिसी होती है. इस बीमा का प्रीमियम काफी सस्ता होता है. अगर फ्लैट की कीमत 40 लाख रुपए है तो इसके लिए 10 साल का बीमा कवर करीब 10,000 रुपए में मिल जाएगा. यानी सालाना 1000 रुपए का खर्चा.
अगर रोजाना के हिसाब से देखें तो यह खर्च तीन रुपए से भी कम बनता है. अगर इस पॉलिसी में मकान के इन बिल्ट कंटेंट का कवर भी शामिल करें तो आठ लाख रुपए का कवर मिल जाएगा. इस तरह कुल 48 लाख के सम इंश्योर्ड के लिए सालाना करीब 1050 रुपए का खर्च आएगा. अगर घर के फर्नीचर और इलेक्ट्रानिक्स आइटम को भी कवर किया जाए तो यह प्रीमियम थोड़ा और बढ़ जाएगा. सिंघल कहते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते जोखिम को देखते हुए कार व बाइक की तरह अपने मकान और दुकान का भी बीमा जरूरी हो गया है. हालांकि वाहनों की तरह प्रॉपर्टी का बीमा अनिवार्य नहीं है लेकिन भूकंप जैसे के जोखिमों से सुरक्षा के लिए मकान-दुकान का बीमा जरूर लेना चाहिए.
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