नई कार खरीदते समय बंपर-टू-बंपर कार इंश्योरेंस अनिवार्य करने के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले ने इंडस्ट्री में एक हलचल पैदा कर दी है. इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक इसे और समझने के लिए बातचीत चल रही है. मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 1 सितंबर के बाद जो भी नई गाड़ी बेची जाएगी, कार मालिक को पांच साल के लिए बंपर टू बंपर इंश्योरेंस कवरेज खरीदना होगा. वर्तमान में नई कार खरीदते समय तीन साल के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर लेना अनिवार्य है. जबकि अपना डैमेज कवर ऑप्शनल है. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस और खुद के नुकसान की पॉलिसी के कॉम्बिनेशन को कॉम्प्रेहेन्सिव इंश्योरेंस पॉलिसी कहते हैं. बंपर टू बंपर कार इंश्योरेंस प्रीमियम पॉलिसी होता है, जिसके जरिए 100 फीसदी क्लेम सैटलमेंट होते हैं. ऐसी पॉलिसियां थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की तुलना में महंगी होती हैं.
जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि ये अभी साफ नहीं है कि हाई कोर्ट के निर्देश सिर्फ तमिलनाडु पर लागू होंगे या पूरे देश पर. IRDAI ने अभी इसको लेकर कुछ नहीं कहा है. अगर कोई कोर्ट जाकर इस पर और सफाई चाहता है तो इसकी डेडलाइन बढ़ सकती है.
Equirus इंश्योरेंस के डायरेक्टर और प्रमुख अरुण गर्ग के मुताबिक कॉम्प्रेहेन्सिव की तुलना में बंपर टू बंपर इंश्योरेंस कवर 100 फीसदी क्लेम वैल्यू (रिप्लेस्ड पार्ट्स हिस्सों के डेप्रिसिएशन मूल्य पर विचार किए बिना) देता है. कॉम्प्रेहेन्सिव में खर्च का एक निश्चित प्रतिशत ही अदा करते हैं.
अरुण गर्ग ने बताया कि कुछ कॉम्प्रेहेन्सिव प्लान प्लास्टिक के पार्ट के डैमेज होने पर सिर्फ 50 फीसदी खर्च वहन करते हैं. कवरेज में इंजन, बैटरी, टायर, ट्यूब और कांच जैसे कुछ शामिल नहीं होते हैं और क्लेम सिर्फ एक साल में ही किया जा सकता है. थर्ड पार्टी कवर, दूसरी तरफ बेसिक इंश्योरेंस कवर देता है. यह कॉम्प्रेहेन्सिव है जबकि व्यापक और बंपर-टू-बंपर कवर कानून द्वारा अनिवार्य नहीं हैं.
उन्होंने कहा थर्ड पार्टी कवर केवल आपकी थर्ड-पार्टी देनदारियों का ख्याल रखता है, जबकि कॉम्प्रेहेन्सिव या बंपर-टू-बंपर कवर में आपकी कार को कवरेज मिलता है. ये सिर्फ सामने वाले पक्ष की ही नहीं बल्कि आपकी पूरी गाड़ी की रक्षा करता है. तो इसलिए ये फायदेमंद भी है.
बंपर टू बंपर कार इंश्योरेंस अनिवार्य हो जाता है, तो इससे कार की कीमत बढ़ जाएगी. अभी सभी की निगाहें इंश्योरेंस रेगुलेटर की ओर हैं ताकि और हालात स्पष्ट हो सके. गर्ग ने कहा IRDAI अभी आखिरी निर्देश का इंतजार करी रही है क्योंकि इस मामले के पक्षकार इसको सुप्रीम कोर्ट ले जाना चाहते हैं. यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह इंश्योरेंस कंपनियों के साथ उचित सलाह-मशवरे के बाद निर्देश जारी किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि “इस निर्णय को चुनौती दी जा सकती है क्योंकि इससे नए कार खरीदारों को ज्यादा कीमत चुकानी होगी.
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