देश में हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए बीमा नियामक इरडा ताबड़तोड़ फैसले ले रहा है. नियमों में ढील मिलने के बाद स्वास्थ्य बीमा से जुड़े नए-नए उत्पाद आ रहे हैं. इरडा के निर्देश के बाद अब जनरल इंश्योरेंस कंपनियां सरोगेसी बीमा लॉन्च करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं. इसके लिए ऐसी पॉलिसी डिजाइन की जा रही हैं जिनमें सरोगेसी मदर को ज्यादा से ज्यादा वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जा सके. साथ ही बच्चे की चाहत रखने वाले परिवार कम खर्च में अपने आंगने को नन्हे-मुन्ने की किलकारियों से गुलजार कर सकें.
इरडा के निर्देश इरडा ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया कि है वह उन परिवारों को सरोगेसी के खर्च के लिए कवरेज प्रदान करें जो किसी विभिन्न कारणों से बच्चे नहीं होने की समस्या से परेशान हैं. इरडा ने बीमा कंपनियों से साफ कहा है सेरोगेसी अधिनियमों का पालन तत्काल प्रभाव से शुरू करें. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि ऐसे उत्पाद पेश किया जाएं जिसमें पर्याप्त सुविधाएं और कवर उपलब्ध हो. सरोगेसी एक्ट की धारा चार सरोगेसी के खर्च के लिए इंश्योरेंस कवरेज का प्रावधान करती है. इस कवर में डिलीवरी के बाद होनी वाले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी शामिल किया गया है.
क्या हैं तैयारियां? बीमा उद्योग के सूत्रों के अनुसार फिलहाल करीब आधा दर्जन जनरल इंश्योरेंस कंपनियां सेरोगेसी बीमा से जुड़े विशिष्ट उत्पादों को डिजाइन करने पर काम कर रही हैं. इनमें आधे से ज्यादा उत्पाद लगभग तैयार हैं जो जल्द ही लॉन्च किए जाएंगे. इन उत्पादों में सरोगेसी मदर के लिए विशिष्ट राइडर्स शामिल किए जा रहे हैं. इस बारे में बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस की हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम के प्रमुख भास्कर नेरुरकर कहते हैं कि सरोगेसी इंश्योरेंस की दिशा में इरडा का कदम स्वागत योग्य है. यह बीमा ऐसे परिवारों के लिए कवर प्रदान करेगा जो विभिन्न कारणों से बच्चा पैदा नहीं कर पा रहे हैं. अब वह चिकित्सा क्षेत्र में उन्नति की वजह से माता-पिता बनने का सपना पूरा करना चाहते हैं.
क्या कहता है सरोगेसी कानून सरोगेसी नियमन कानून के तहत जो दंपति सरोगेसी से बच्चे पैदा करना चाह रहे हों उन्हें सरोगेट मदर के लिए 36 महीनों का स्वास्थ्य बीमा खरीदना होगा. यह बीमा इरडा से मान्यता प्राप्त किसी बीमा कंपनी या बीमा एजेंट से खरीदा जा सकता है. नियमों स्पष्ट कहा गया है कि बीमा की रकम इतनी होनी चाहिए जो गर्भधारण से लेकर डिलीवरी के कारण होने वाली किसी भी समस्या के इलाज में पर्याप्त हो. भारत में सरेगेसी का औसत खर्च 20 लाख रुपए है.
कितना उपयोगी ये बीमा? पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि सेरोगेसी इंश्योरेंस से जुड़े इरडा के दिशानिर्देश काफी महत्वपूर्ण हैं. रेगुलेटर की इस पहल से सरोगेसी से जुड़े इंश्योरेंस को लेकर स्थितियां साफ होंगी. इससे उन दंपती को बड़ा फायदा होगा जिन्हें बच्चे नहीं हो पा रहे हैं और वह सरोगेसी का तरीका अपनाना चाहते हैं. साथ ही सरोगेट मदर्स के लिए डिलीवरी के बाद भी एक तय समय तक के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम तरह की चिंताओं से मुक्ति मिल जाएगी.
क्या है सरोगेसी? जब कोई पति-पत्नी किसी वजह से बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं तो वह किसी अन्य महिला की कोख को किराये पर ले लेते हैं. इस प्रक्रिया के जरिए बच्चे को जन्म देना सरोगेसी कहलाता है. पैसे लेकर जो महिला बच्चे को जन्म देती है उसे सरोगेसी या सरोगेट मदर कहते हैं.
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