किसी भी उपभोक्ता के लिए जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का मूल उद्देश्य जिंदगी में अप्रत्याशित घटना के बाद आश्रितों के जोखिम को कम करना है. यह संभावना भी रहती है कि पॉलिसी धारक किसी दुर्घटना के कारण विकलांगता का शिकार हो जाए या फिर वो अपनी सुनने की शक्ति खो दे. ऐसी सूरत में लाइफ कवर लेना फायदेमंद नहीं है.
अधिकतर जीवन बीमा पॉलिसी, टर्म प्लान या पारंपरिक एंडोमेंट प्लान दुर्घटना या बीमारी जैसी स्थितियों में बीमाधारक के लिए मददगार साबित नहीं होते हैं. ऐसे में अपनी जरूरत के अनुरूप राइडर (Rider) को बीमा पॉलिसी में शामिल कर इसे और कारगर बनाया जा सकता है.
खासतौर पर कोरोनाकाल में तो राइडर (Rider) और भी जरूरी हो गया है. बस इसमें अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करना होता है.
इंश्योरेंस कंपनियों ने पिछले 7-8 साल से प्रोटेक्शन या टर्म प्लान पर फोकस करना शुरू किया है. जीवन बीमा पॉलिसी में अतिरिक्त सुविधाएं जोड़ने के लिए राइडर का इस्तेमाल होता है, जो पूरी तरह वैकल्पिक है.
टर्म प्लान के साथ कई राइडर बेचे जाते हैं. सामान्य राइडर्स जिन्हें इंश्योरेंस कंपनियां उपलब्ध करवाती हैं, वो हैं- एक्सीडेंटल डेथ बेनिफिट राइडर, डिसएबिलिटी राइडर, वेवर ऑफ प्रीमियम राइडर, एक्सीडेंटल डिसएबिलिटी पर इनकम बेनिफिट और क्रिटिकल इलनेस इत्यादि.
राइडर किसी भी बीमा प्लान, टर्म प्लान, एंडोमेंट प्लान, मनी बैक प्लान या यूलिप के साथ जुड़कर नहीं आता, बल्कि यह बीमाधारक की जरूरत के हिसाब से पॉलिसी को अनुकूल बनाता है.
राइडर का मतलब है आप थोड़ा एक्स्ट्रा प्रीमियम भर कर अपनी पॉलिसी का कवर बढ़ा सकते हैं. यानी की इस राइडर को आपकी बीमा पॉलिसी के साथ लिया जाए तो आपके बाद आपके परिवार या नॉमिनी को राइडर का लाभ मिलता है.
कोई भी अलग (स्टैंडअलोन) से राइडर नहीं खरीद सकता है. वजह है कि यह कोई प्रोडक्ट नहीं है, बल्कि एक राइडर है जो यह सुनिश्चित करता है कि इसे किसी इंश्योरेंस प्रोडक्ट के साथ बेचा जाए.
किसी दुर्घटना में जान गंवाने पर यह राइडर जीवन बीमा धारक को अतिरिक्त सम एश्योर्ड मुहैया कराता है. हालांकि जब आप एक्सीडेंटल डेथ राइडर खरीदते हैं तो नॉमिनी को समअस्योर्ड के अतिरिक्त रकम बीमा कंपनी की ओर से मिलती है.
मसलन, पॉलिसी अगर 25 लाख सम एश्योर्ड की है और राइडर 10 लाख का, तो धारक को कुल 35 लाख रुपये मिलेंगे. इसके अलावा एक्सीडेंट की वजह से स्थायी अपंगता होने पर भविष्य के प्रीमियम माफ हो जाते हैं. जब तक कि पॉलिसी मेच्योर न हो जाए. इस राइडर को खरीदने से आपकी बीमा की अवधि, समएश्योर्ड और दूसरे लाभ जारी रहते हैं.
इस राइडर के तहत गंभीर बीमारी की स्थिति में अतिरिक्त लाभ मिलता है. अगर पॉलिसीधारक को कोई गंभीर बीमारी निकल आती है, तो पॉलिसी से अतिरिक्त लाभ मिलते हैं. यह राइडर गंभीर बीमारियों जैसे की कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, लीवर और किडनी संबंधित बीमारियों में काम आता है.
इस तरह की गंभीर बीमारी में बीमा का सभी प्रीमियम माफ कर दिया जाता है, जबकि दोनों का कवरेज बरकरार रहता है. कुछ साल पहले जिन लोगों ने क्रिटिकल राइडर्स लिया था, उनकी पॉलिसी में सिर्फ 9 क्रिटिकल राइडर्स उपलब्ध थे, लेकिन आज की तारीख में उसमें 30 से ज्यादा क्रिटिकल इलनेस राइडर्स उपलब्ध हैं.
अगर आप क्रिटिकल इलनेस की पॉलिसी कोई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से लेंगे, तो प्रीमियम थोड़ा ज्यादा हो सकता है लेकिन उसकी कवरेज भी ज्यादा होगी.
क्रिटिकल इलनेस का राइडर लेने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आप बीमारी का पता लगने पर उसके इलाज की चिंता से निश्चिंत हो सकते हैं. इसमें न केवल इलाज के लिए एकमुश्त रकम मिलती है, बल्कि रोजमर्रा के खर्च के लिए भी धनराशि हासिल होती है.
इनकम बेनेफिट राइडर में अनहोनी होने पर आश्रितों की आय सुरक्षा के लिए राइडर मिलता है. अगर बीमा धारक किसी दुर्घटना में विकलांग हो जाता है, तो उसकी मासिक आय पर भी असर पड़ेगा. इसमें बीमा राशि के अलावा कुछ साल तक अतिरिक्त पैसा मिलता है.
यह राइडर बीमा धारक को 10 वर्षों तक उसकी पॉलिसी के सम-एश्योर्ड राशि के एक फीसदी के बराबर हर महीने भुगतान करता है. यह पैरेंट्स के टर्म लाइफ कवर के साथ खरीदा जाता है. किसी दुर्घटना की स्थिति में यह इसमें बच्चे के लिए 25 साल की उम्र तक प्रीमियम की छूट है.
एंकरएज ट्रेनिंग के फाउंडर और सीइओ जिगर पारेख बताते हैं की राइडर लेने से फायदा निश्चित होता है. मैंने खुद अपनी टर्म पॉलिसी में क्रिटिकल इलनेस राइडर एड किया है, लेकिन क्रिटिकल इलनेस राइडर लेते समय आपको ध्यान ये रखना होगा की हेल्थ संबंधित जो भी जानकारी आप दे रहे हो वो पूरी तरह सही होनी चाहिए.
फॉर्म में अगर आप गलत जानकारी देते हो, तो बाद में क्लेम करते समय दिक्कत आ सकती है.
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