Privatization: तीन गैर-सूचीबद्ध (unlisted) सामान्य बीमा कंपनियों में से एक का निजीकरण (Privatization) करने के लिए सरकार बीमा कानूनों में संशोधन करने जा रही है. जानकारी के मुताबिक सरकार ने संसोधन प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. सरकार अपनी 51 फीसद हिस्सेदारी को समाप्त करना चाहती है. प्रस्तावित संसोधन के साथ मसौदा विधेयक को संसद में पेश करने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदन (approval) के लिए भेजा गया है. सरकारी सूत्रों ने न्यू इंडिया एश्योरेंस या जीआईसी को बेचने की किसी भी योजना से इनकार किया है, लेकिन नीति आयोग ने एक बीमाकर्ता के निजीकरण का सुझाव दिया है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के सुझाव पर किसी एक बीमाकर्ता के निजीकरण का फैसला कर लिया गया है. यूनाइटेड इंडिया, नेशनल या ओरिएंटल इंश्योरेंस इन तीनों में से किसी एक का निजीकरण किया जाएगा.
इस मामले में फिलहाल आखिरी फैसला अभी लिया जाना बाकी है. जिस बीमाकर्ता का नाम तय किया गया है उस नाम को निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के साथ साझा कर दिया गया है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित होने से पहले मंत्रालय के पैनल के साथ सचिवों के एक पैनल द्वारा इसकी सिफारिश भी की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक ने विधेयक को संसद से मंजूरी मिलने के बाद बीमाकर्ता के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी.
इसी साल के बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सामान्य बीमा कंपनी और दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी, जिसके लिए प्रक्रिया शुरू होनी अभी बाकी है.
केंद्र सरकार इस साल के आखिर तक दो सरकारी बैंकों की बिक्री के लिए बैंकिंग कानूनों में संशोधन करने की योजना बना रही है. सूत्रों की मानें तो नीति आयोग ने निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र की पहचान की है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को वित्तीय वर्ष के अंत में सूचीबद्ध करने का काम पहले ही शुरू हो चुका है और मूल्यांकन प्रक्रिया चल रही है.
मूल्यांकन के बाद सरकार को बेहतर फैसले लेने में मदद मिलेगी. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि निवेशक की मांग और मर्चेंट बैंकरों की राय के आधार पर हम शेयर बिक्री की सीमा तय करेंगे.
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