इंश्योरेंस (Insurance) केवल एक ज़रूरी खर्च नहीं बल्कि आपका सुरक्षा कवच है. इसीलिए जरूरी है कि आप सही प्रोडक्ट चुनें लेकिन कैसे? इंश्योरेंस की बारीकियों को समझने के लिए हम लेकर आए हैं इंश्योरेंस की बात PolicyBazaar के साथ. हमारी इस खास सीरीज में आज बात करेंगे कि कैसे प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज (Pre Existing disease) के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लिया जा सकता है. क्या कन्फ्यूजन होती हैं. इसके अलग-अलग पहलू पर एक्सपर्टस की राय लेंगे. ताकि आप सही इंश्योरेंस कवर चुन सकें. पॉलिसी बाज़ार के बिजनेस हेड-हेल्थ अमित छाबड़ा बताएंगे कैसे इन प्रोडक्ट्स को चुनते वक्त आप कोई गलत न करें.
अमित छाबड़ा के मुताबिक, प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज (Pre Existing disease) को लेकर कई तरह के कन्फ्यूजन हैं. लोग मानते हैं कि प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज होने पर इंश्योरेंस कवर नहीं मिलता है. पहले से बीमारी है तो भी पूरा कवरेज मिल सकता है. प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज के आधार पर पॉलिसी तय होती है. लेकिन, पॉलिसी खरीदते वक्त अगर आपको कोई बीमारी है तो इसे बिल्कुल न छुपाएं. एजेंट्स कई बार बोल देते हैं कि बीमारी की जानकारी देना जरूरी नहीं है. लेकिन, ऐसा करने से आपको क्लेम के वक्त दिक्कत आ सकती है.
हेल्थ प्लान आपके जेब का खर्च बचाने के लिए होता है. इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते वक्त बीमारी की जानकारी जरूर दें. इसके अलावा कभी आपका कोई ऑपरेशन या सर्जरी हुई हो तो उसकी भी जानकारी दें. किसी तरह की दवाएं ले रहे हैं तो उसकी जानकारी भी इंश्योरेंस कंपनी को देनी चाहिए. अगर जानकारी छुपाई तो आपको क्लेम लेने में दिक्कत आ सकती है.
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गंभीर बीमारियां भी होती हैं कवर पॉलिसी बाज़ार के छाबड़ा के मुताबिक, अगर आपको पहले से कोई गंभीर बीमारी (Pre Existing disease) है तो भी हेल्थ प्लान मिल सकता है. कैंसर जैसी बीमारियों के लिए भी प्लान शामिल हैं. अच्छे से अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान मिल सकता है. लेकिन, इस दौरान सिर्फ एक बात का ख्याल रखना चाहिए, वो है वेटिंग पीरियड. प्री- एग्जिस्टिंग डिजीज (Pre Existing disease) के मामले में कंपनियां कुछ वेटिंग पीरियड रखती हैं. ऐसी बीमारियां वेटिंग पीरियड के बाद ही कवर होती हैं. अलग-अलग पॉलिसी के लिए अलग नियम हो सकते हैं.
प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज होने पर क्या मेडिकल जांच होगी? अमित छाबड़ा के मुताबिक, पिछले दो साल में IRDAI ने काफी नियमों में दी ढील है. प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज (Pre Existing disease) के मामले में भी अब घर बैठे पॉलिसी मिल जाती है. हालांकि, इसके लिए कंपनियां टेली-अंडरराइटिंग का प्रोसेस फोलो करती हैं. कंपनियों की तरफ से डॉक्टर पॉलिसी लेने वालों के साथ टेलीफोनिक कंसल्टेशन करते हैं. पॉलीसी का पूरा प्रोसेस फोन या ऑनलाइन होगा. कहीं बाहर जाकर पॉलिसी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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