देश की हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर से अभी उबर नहीं पाई थी कि एक नई चुनौती का सामना उसे करना पड़ रहा है. साल 2020 की शुरुआत से अब तक टले प्लान्ड हॉस्पिटलाइजेशन की वजह से क्लेम्स में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बीमाकर्ताओं का कहना है कि अगस्त में कैटरेक्ट सर्जरी, नी-रिप्लेसमेंट, कार्डियो-वैस्कुलर ट्रीटमेंट में धीरे-धीरे तेजी देखी जा रही हैं. जबकि इंडस्ट्री हाल के इतिहास में आर्थिक रूप से सबसे खराब दौर से गुजर रही है.
डिजिट इंश्योरेंस के मार्केटिंग और डायरेक्ट सेल्स हेड विवेक चतुर्वेदी ने कहा, ‘बहुत से लोग महामारी के दौरान अपने प्लान्ड प्रोसिजर्स को पोस्टपोन कर रहे थे और जब तक कोई इमरजेंसी नहीं थी तब तक कोई भी अस्पताल नहीं जा रहा था. इस दौरान कोविड से संबंधित क्लेम ज्यादा थे, लेकिन ओवरऑल लॉस रेश्यो कम था. इस वजह से बीमाकर्ताओं ने अपने प्रोडक्ट्स को एग्रेसिव प्राइज पर पेश किया.’ उन्होंने ये भी कहा कि ‘हम अनुमान लगा रहे हैं कि नवंबर के बाद जब बाजार खुलेगा, तो लोग अपने प्लान्ड प्रोसिजर्स को शुरू करेंगे. इससे इंडस्ट्री पर दोहरी मार पड़ सकती है.’
लोकल लॉकडाउन भी अब धीरे-धीरे खुल रहे हैं. इस वजह से सड़क दुर्घटनाओं और अन्य दुर्घटनाओं से संबंधित क्लेम भी इंश्योरेंस कंपनियों के पास बढ़ने लगे हैं. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के मुताबिक FY22 में पहली बार टोटल हेल्थ क्लेम में कोविड-19 क्लेम का प्रपोशन 10% से कम हो गया है. वहीं पहले के महीनों की तुलना में अगस्त में डाइजेस्टिव (digestive), साइकेट्रिक (psychiatric), मस्कुलोस्केलेटल (musculoskeletal) से जुड़े क्लेम बड़े हैं.
जून क्वार्टर की बात करें तो हेल्थ कैटेगरी के टोटल क्लेम में से आधे क्लेम कोविड-19 से जुड़े थे. लीडिंग इंश्योरेंस ब्रोकर पॉलिसीबाजार के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अप्रैल और जून के बीच सभी हेल्थ क्लेम में से 48.43% कोविड-19 संक्रमण से जुड़े थे. कुछ राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में 55.23%, कर्नाटक में 53.54% और तेलंगाना में 63.75% क्लेम कोरोना वायरस से जुड़े थे. पॉलिसीबाजार के ये आंकड़े उसके ग्राहकों के क्लेम पर आधारित हैं.
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