कार दुर्घटना का शिकार हुए पीडि़तों को मौजूदा समय में मिलने वाला मुआवजा कई लोगों के लिए नाकाफी साबित होता है. खासतौर पर अगर वह परिवार का इकलोता कमाने वाला सदस्य हो और वित्तीय स्थिति ठीक न हो. ऐसे लोगों की तकलीफ समझते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मोटर दुर्घटना के पीड़ित को मिलने वाले मुआवजे की रकम तय करते समय पीड़ित के पेशे को देखना चाहिए. हालांकि कोर्ट के इस फैसले ने बीमा कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि नए नियम लागू होने से उन्हें अधिक राशि का भुगतान करना पड़ेगा.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे को लेकर ये फैसला मोहन सोनी बनाम राम अवतार तोमर और अन्य (2012) के मामले में हुई सुनवाई में लिया. न्यायाधीशों ने कहा कि दुर्घटना में पैर कटने का मतलब रिक्शा चालक के लिए किसी भी लाभकारी रोजगार का अंत हो सकता है, लेकिन यह बात किसी ऐसे व्यक्ति पर लागू नहीं होगी जिसके पास एक डेस्क जॉब है. इसलिए पीडि़तों को दिए गए मुआवजे का निर्णय करते समय उनके पेशे को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है.
कैसे की जाती है मुआवजे की गणना? भारतीय कानून के तहत सभी मोटर वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा होना अनिवार्य है, लेकिन मुआवजे की गणना के लिए कोई निर्धारित स्ट्रक्चर नहीं है. वर्तमान में, किसी भी प्रकार की स्थायी विकलांगता के लिए न्यूनतम मुआवजा 5 लाख रुपए निर्धारित है. स्थायी और आंशिक विकलांगता के लिए भुगतान की गणना बहुत ही औपचारिक होती है. स्थायी विकलांगता के मामले में मुआवजा आमतौर पर कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 की अनुसूची I के तहत विकलांगता प्रतिशत के आधार पर निकाली जाती है.
बढ़ाई जाएगी मुआवजे की रकम महंगाई और जीवनयापन की बढ़ती लागत को देखते हुए कार दुर्घटना के मुआवजे की रकम सालाना 5% बढ़ाई जाएगी. बीमा नियामक इरडा के आंकड़ों के अनुसार, मोटर बीमाकर्ताओं को वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी का थर्ड पार्टी ग्राॅस प्रीमियम 43,258.92 करोड़ रुपए का मिला था, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में ये 41,737.22 रुपए था. जबकि बीमा कंपनियों के अनुसार थर्ड पार्टी और ओन डैमेज के मामले में 10-15% की वृद्धि देखने को मिली है.
क्या कहते हैं आंकड़े एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2021 में सड़क दुर्घटनाओं के लगभग 4,03,116 मामले सामने आए, जिनमें 3,71,884 लोग स्थायी या अस्थायी रूप से घायल हुए हैं. वहीं इन हादसों में 1,55,622 लोग मारे गए. उनमें से लगभग 59.7%, दुर्घटनाएं तेज़ रफ्तार से गाड़ी चलाने का परिणाम थे. इनमें करीब 2,28,274 लोग घायल हुए.
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