नए वित्त वर्ष में सालाना पांच लाख रुपए से ज्यादा के प्रीमियम की जीवन बीमा पॉलिसी टैक्स के दायरे में आने से कंपनियों का कारोबार दबाव में है. मैच्योरिटी के समय रिटर्न टैक्स कटने के बाद कमाई घट जाएगी. इस वजह से बड़े निवेशकों की जीवन बीमा में निवेश को लेकर रुचि घट रही है. निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बीमा कंपनियां अब नए विकल्प तलाश रही हैं.
क्या है योजना?
इस रणनीति के तहत बीमा कंपनियां ग्राहकों के साथ ऊंचे मूल्य वाली पॉलिसियों के प्रीमियम को एक परिवार के सदस्यों के बीच विभाजित करने के विकल्प पर काम कर रही हैं ताकि प्रीमियम प्रति व्यक्ति 5 लाख रुपए से कम रहे. इसके तहते अगर परिवार में चार सदस्य हैं तो सभी के लिए पांच-पांच लाख रुपए से कम की पॉलिसी बेचने के लिए संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. परिवार में अगर एक से ज्यादा पॉलिसी खरीदी जाती हैं तो उन्हें कुछ प्रोत्साहन दिया जा सकता है. कंपनियों को अनुमान है कि इस स्थिति में एक परिवार से 15 लाख से 20 लाख रुपए तक का निवेश हासिल हो सकता है.
टैक्स का क्या है प्रावधान?
नए नियमों के तहत एक अप्रैल 2023 के बाद जारी होने वाली ऐसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज की मैच्योरिटी पर टैक्स लिया जाएगा जिनका सालाना प्रीमियम पांच लाख रुपए से ज्यादा है. हालांकि आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर कर कटौती का मिलेगा. इसके लिए जरूरी शर्त यह है कि प्रीमियम की राशि बीमा कवर की राशि से 10 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए. यूनिट-लिंक्ड बीमा पॉलिसी (ULIP) में पहले से ही सालाना 2.5 लाख रुपए से ऊपर के निवेश से होने वाली आय टैक्स के दायरे में आती है.
क्या है उम्मीद?
Irdai के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2023 में जीवन बीमा कंपनियों के प्रथम वर्ष का प्रीमियम अप्रैल 2023 में 30 घटकर 12,565.3 करोड़ रुपए रह गया, जो अप्रैल 2022 में 17,940 करोड़ रुपए था. हालांकि बीमा कंपनियों का मानना है कि मार्च में ज्यादा पॉलिसी की खरीद के बाद अप्रैल के महीने में आमतौर पर सुस्ती ही रहती है. बीमा एजेंट और कंपनियां फिर से ग्राहकों के पास पहुंच रहे हैं ताकि ग्राहकों को नए नियम के बारे में समझाया जा सके. हालांकि कंपनियों को लगने लगा है कि नई नीति से बिक्री और निवेश ज्यादा प्रभवित नहीं होंगे और मौजूदा वित्त वर्ष में नए कारोबार के पिछले साल के स्तर से भी अधिक होने की उम्मीद है
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर निशा सिंघवी का कहना है कि अब भी जीवन बीमा पॉलिसीज निवेश का बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि पांच लाख रुपए से ज्यादा के सालाना प्रीमियम से आय पर टैक्स लगता है. यानी इससे कम की प्रीमियम वाली पॉलिसीज में निवेश किया जा सकता है. इसके अलावा अगर इससे अधिक के प्रीमियम वाली पॉलिसीज लेनी है तो एक परिवार के दो या उससे ज्यादा सदस्य ले सकते हैं. इस बारे में अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा उम्र में जीवन बीमा पॉलिसी में निवेश नहीं करना चाहिए. ऐसे लोगों के निवेश में से जीवन बीमा कवर के रूप में ज्यादा पैसा कट जाता है. इससे रिटर्न की गुंजाइश कम हो जाती है.
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