दिलावर सिंह सरसों की फसल बेचकर घर पर पहुंचे ही थे कि उनकी रिश्तेदारी के बीमा एंजेंट की बाइक आ धमकी. अब वह उन्हें एंडोमेंट और मनी बैक बीमा पॉलिसी के बारे में समझाने लगे. दिलावर खेती के मामले में निपुण हैं लेकिन बीमा पॉलिसी के बारे में उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि एडोमेंट पॉलिसी लें या मनीबैक.
यह दुविधा सिर्फ दिलावर की नहीं है. ज्यादातर लोग जीवन बीमा पॉलिसी का विकल्प चुनते समय उलझन में पड़ जाते हैं. आर्थिक जोखिमों को कवर करने के लिए टर्म प्लान सबसे सस्ता बीमा है. जो लोग बिना बचत या निवेश के बीमा चाहते हैं, उनके लिए यह सबसे अच्छा विकल्प है. इस पालिसी में बीमित व्यक्ति की मौत के बाद उसके आश्रित को बीमा राशि मिल जाती है.
एंडोमेंट और मनी बैक पॉलिसी दोनों पारंपरिक बीमा प्लान हैं जो बचत और बीमा दोनों का मिश्रण हैं। यह दोनों प्लान काफी समय से बाजार में हैं. बीमा कंपनियां इन्हें अलग-अलग नाम से बेचती हैं. जैसे–एलआईसी की न्यू एंडोमेंट पॉलिसी और मनी बैक पॉलिसी…आपके लिए कौनसा इंश्योरेंस खरीदना बेहतर रहेगा. यह समझने के लिए जरूरी है कि एंडोमेंट और मनी बैक प्लान के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल कर लें.
इन दोनों ही बीमा योजनाओं में पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर नॉमिनी को पैसा मिलता है. पॉलिसी मैच्योर होने तक अगर बीमाधारक जीवित है तो दोनों योजनाओं में प्रीमियम के रूप में चुकाई गई रकम बोनस के साथ मिलती है. इसे ही समएश्योर्ड कहते हैं. दोनों योजनाएं जोखिम फ्री हैं. यानी आपको पैसा हर हाल में मिलेगा. लेकिन इसके लिए नियमित रूप से प्रीमियम चुकाना जरूरी है. टैक्स के मोर्चे पर भी दोनों पॉलिसी एक जैसी हैं.
इन दोनों योजनाओं में मूल अंतर सर्वाइवल बेनिफिट्स का है. पॉलिसी खरीदने से मैच्योर होने के बीच जो पैसा मिलता है, उसे सर्वाइवल बेनिफिट्स कहते हैं. एंडोमेंट प्लान में सर्वाइवल बेनिफिट पॉलिसी की अवधि पूरी होने पर ही मिलता है. इसे ही पॉलिसी की मैच्योरिटी कहते हैं. मैच्योरिटी के समय मिलने वाला पैसा, सम एश्योर्ड और जो भी बोनस बनता है, वह जोड़ कर दिया जाता है.
मनी बैक की बात करें पॉलिसी में लगातार प्रीमियम समय से देने पर बीमाधारक को एक निश्चित अंतराल के बाद जैसे हर पांच साल में बीमा कंपनी कुछ पैसा वापस देती रहती है जो सर्वाइवल बेनिफिट्स में आता है, इसी को मनी बैक कहते हैं. मनी बैक के रूप में मिलने वाला पैसा सम एश्योर्ड का एक फिक्स्ड अनुपात होता है. पॉलिसी मैच्योर होने पर जो भी पहले से तय समएश्योर्ड है, उसमें से अब तक जो सर्वाइवल बेनिफिट्स दिया जा चुका है, उसे घटाकर बाकी की रकम चुकाई जाती है. अगर बीमा अवधि के दौरान पॉलिसी होल्डर की मृत्यु हो जाती है तो पॉलिसी का पूरा सम एश्योर्ड नॉमिनी को मिलता है. चाहे मनी बैक का पैसा पहले भी क्यों न मिल चुका हो.
बीमा सलाहकार विकास शर्मा कहते हैं कि अगर इन दोनों पॉलिसी की तुलना करें तो एंडोमेंट पॉलिसी का प्रीमियम मनी बैक की तुलना में कम होता है. दूसरी ओर एंडॉमेंट पॉलिसी में मनी बैक पॉलिसी से ज्यादा बोनस और रिटर्न मिलता है.
एंडोमेंट और मनी बैक पॉलिसी में अंतर समझन के लिए एलआईसी की न्यू एंडोमेंट प्लान (914) और न्यू मनी बैक प्लान (920) का उदाहरण लेते हैं. अगर दिलावर सिंह की आयु 30 साल है और वह 20 साल के लिए लिए पांच लाख रुपए रुपए का प्लान लेते हैं. गणना से पता चलता है कि मनी बैक का प्रीमियम ज्यादा है जबकि रिटर्न कम है. ध्यान रखें इन योजनाओं में कोई निश्चित रिटर्न नहीं है. यह गणना एलआईसी की ऐप के आधार पर सांकेतिक है.
न्यू एंडोमेंट प्लान (914) न्यू मनी बैक प्लान (920)
अवधि 20 20
प्रीमियम टर्म 20 15
उम्र 30 30
सम एश्योर्ड 5,00,000 रुपए 5,00,000 रुपए
सालाना प्रीमियम 25,403 रुपए 39,563 रुपए
कुल प्रीमियम 4,97,667 रुपए 5,81,517 रुपए
कुल मैच्योरिटी 9,25,000 रुपए 8,80,000 रुपए
कोई भी बीमा खरीदने से पहले अपनी जरूरत को समझें. लंबे समय के निवेश के लिए आप एंडोमेंट प्लान ले सकते हैं. यह योजना भी बीमा के साथ-साथ निवेश की सुविधा देती है. इसमें पालिसी का प्रीमियम बीमा कराने वाले व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. अगर आप लंबे समय तक मैच्योरिटी का इंतजार नहीं कर सकते तो मनी बैक पालिसी का चुनाव कर सकते हैं. हालांकि इसमें रिटर्न कम मिलता है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।