Health Insurance: इंश्योरेंस का प्रोटेक्शन हमेशा से हमारी जरूरत रही है. कई तरह के इंश्योरेंस जिंदगी में आने वाली अकल्पनीय विपदाओं में हमारी और हमारे परिवारीजनों को सुरक्षा देते हैं. कोरोनोवायरस और उसके बाद के आर्थिक संकट के चलते, स्वास्थ्य बीमा पर जागरूकता बढ़ी है. फिर भी कुछ लोगों के मन में हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) को लेकर कुछ गलतफहमियां भी हैं. आइए इन मिथकों को दूर करते हैंः
कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस की अधिक जरूरत नहीं
आमतौर पर हेल्थ पॉलिसी (health policy) को लेकर सबसे बड़ी गलतफहमी यही होती है कि कम उम्र के लोगों को इसकी जरूरत नहीं है. हालांकि ऐसा नहीं है. कोरोना की दूसरी लहर में युवा भी बहुत तेजी से संक्रमित हुए हैं. ऐसे में कम उम्र में भी स्वास्थ्य को लेकर खर्च को कवर करने के लिए हेल्थ पॉलिसी (health policy) जरूरी है.
जब आप स्वस्थ रहते हुए पॉलिसी खरीदते हैं तो आपको कम प्रीमियम चुकाना पड़ता है. इसके साथ बीमारी होने की संभावना भी कम ही रहती है. ऐसे में आपको नो क्लेम बोनस (NCB) की सुविधा भी मिलती है.
सिंगल हूं इसलिए हेल्थ पॉलिसी आवश्यकता नहीं
कुछ लोगों का मानना है कि विवाह से पहले हेल्थ पॉलिसी (health policy) को प्राथमिकता देने की अधिक जरूरत नहीं है. हालांकि ऐसा नहीं है क्योंकि शादी के पहले भी स्वास्थ्य को लेकर बड़ा खर्च आ सकता है. इसके अलावा शादी से पहले आपने हेल्थ इंश्योरेंस लिया हुआ है तो शादी के बाद इसमें जीवनसाथी और माता-पिता को भी फैमिली फ्लोटर में शामिल कर सकते हैं.
मंहगा प्लान अच्छा नहीं होता
यह सही नहीं है. आपको केवल कीमत यानी प्रीमियम के आधार पर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान नहीं खरीदना चाहिए. आपको इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क हॉस्पिटल्स, को-पे, क्लेम सेटलमेंट रेशियो और सब-लिमिट जैसे प्रावधानों को ध्यान में रखना चाहिए.
कंपनी का कवर है ना !
अधिकतर लोगों को कंपनी की तरफ से हेल्थ कवर मिलता है लेकिन जब तक आप कंपनी से जुड़े हैं तभी तक कंपनी की हेल्थ पॉलिसी के तहत कवर मिलेगा. नौकरी बदलने या छूटने की स्थिति में हेल्थ कवरेज को लेकर अलग से हेल्थ पॉलिसी लेना सही रहेगा.
पहले दिन से मिलते है बीमा के लाभ
ऐसा नहीं होता है. सामान्य तौर पर आपको एक महीने के आसपास के समय के बाद ही बीमारियों के लिए कवरेज मिलती है. हालांकि, किसी व्यक्ति को दुर्घटना की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है तो उसे पहले दिन से कवरेज मिलती है. अगर आपको पहले से कोई बीमारी है तो आप कुछ वर्षों के वेटिंग पीरियड के बाद कवरेज मिलती है.
भर्ती होने पर सारा खर्च इंश्योरेंस कंपनी उठाएगी
हेल्थ इंश्योरेंस (health insurance) कराने का मतलब यह नहीं है कि आपके सारे खर्चे बीमा कंपनी ही उठाएगी. अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस (health insurance) प्लान में को-पे क्लॉज होता है. इसका मतलब है कि इलाज पर आए कुल खर्च का एक हिस्सा इंश्योर्ड व्यक्ति को उठाना पड़ता है. उदाहरण के लिए अगर बिल 2 लाख रुपये का है और को-पे क्लॉज 10 फीसद का है तो आपको अपने पॉकेट से 20 हजार रुपये देने होंगे. इसके अलावा रूम रेंट और डॉक्टर की फीस इत्यादि को लेकर भी एक लिमिट होती है
स्मोकर को नहीं हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी
अगर आप स्मोकर हैं और लगता है कि बीमा कंपनी आपको हेल्थ कवर नहीं उपलब्ध कराएगी तो ऐसा नहीं है. बीमा कंपनियां स्मोकर को भी हेल्थ कवर (health policy) उपलब्ध कराती हैं लेकिन प्रीमियम स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में अधिक चुकाना पड़ता है.
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