Insurance Portability: कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान क्लेम की संख्या में बढ़ोतरी के साथ, क्लेम के रिजेक्शन और पार्शियल पेमेंट की वजह से पॉलिसी होल्डर्स में नाराजगी भी बढ़ गई है. इस कन्फ्यूजन की वजह से पीड़ित पॉलिसी होल्डर में शिकायतें और असंतोष पैदा हुआ. हालांकि, प्रॉपर एक्सक्लेशन से अच्छा मुआवजा मिल सकता है. लेकिन अगर आप अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिलने की वजह से अपने इंश्योरर से खुश नहीं हैं, तो आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट करने के बारे में सोच सकते हैं.
इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें कोई पॉलिसी होल्डर कंटिन्यूटी बेनिफिट को खोए बिना अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी को एक इंश्योरर से दूसरे में स्विच करता है.
पॉलिसीएक्स के CEO और फाउंडर नवल गोयल ने कहा,“इंश्योरेंस एक उभरती हुई कमोडिटी है जिसमें समय- समय पर नए इनोवेटिव प्रोडक्ट लॉन्च किए जा रहे हैं.
यदि आप एडिशनल कवरेज के साथ एक नई डील पाते हैं जिसमें एडिशनल कंसल्टेशन, रूम रेंट कैपिंग, बढ़े हुए नेटवर्क हॉस्पिटल और कम वेटिंग पीरियड है तो ऐसी डील के लिए अपनी पॉलिसी पोर्ट करना एक समझदारी भरा निर्णय है.”
– पॉलिसी एक्सपायर होने से कम से कम 45 दिन पहले पोर्टेबिलिटी के लिए एप्लीकेशन फाइल की जानी चाहिए.
– एक्सेप्टेंस में आम तौर पर 15 दिन लगते हैं, जिसके बाद नए इंश्योरर के लिए एप्लीकेशन एक्सेप्ट करना अनिवार्य हो जाता है.
– प्रपोजल का एक्सेप्टेंस नए इंश्योरर के अंडरराइटिंग नॉर्म्स पर निर्भर करता है.
– पॉलिसी होल्डर अपनी पॉलिसी को ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड के माध्यम से पोर्ट कर सकता है.
– कोई व्यक्ति ग्रुप पॉलिसी को उसी इंश्योरर के इंडिविजुअल प्लान में भी पोर्ट कर सकता है.
– मौजूदा बेनिफिट जैसे नो क्लेम बोनस और टाइम-बाउंड बेनिफिट पॉलिसी को पोर्ट करते समय नई पॉलिसी में ट्रांसफर हो जाते हैं.
– पुरानी पॉलिसी के तहत पूरा हुआ वेटिंग पीरियड भी ट्रांसफर हो जाता है. यदि नई पॉलिसी में आपका वेटिंग पीरियड लंबा है तो आपको पहले से मौजूद बीमारियों के कवरेज के लिए बचे हुए वेटिंग पीरियड को पूरा करना होगा.
– यदि नई इंश्योरेंस कंपनी ब्रैकेट में फिट नहीं होती है तो हो सकता है कि वो हाई सम इंश्योर्ड वाली पॉलिसी को पोर्ट न करे.
– प्रोसेस को सुविधाजनक बनाने के लिए एक कॉमन पोर्टल के चलते हेल्थ इंश्योरेंस को पोर्ट करना आसान हो गया है.
गोयल ने कहा, “कुछ सिनेरियो में, एक इंश्योरेंस सर्विस प्रोवाइडर को बदलने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जैसे एडिशनल वेटिंग पीरियड, बढ़ती उम्र या नई बीमारियों की वजह से एडिशनल प्रीमियम. संक्षेप में, आप मौजूदा बेनिफिट को खो सकते हैं जो आपको मिल रहे हैं या निकट भविष्य में पाने के हकदार हैं.”
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