Insurance Ombudsman: बीमा कंपनी के द्वारा आपका दावा खारिज करने के पीछे कई वजह हो सकती हैं. यदि आपको लगता हैं कि बीमा कंपनी गलत हैं तो आप कंपनी के फरियाद निवारण अधिकारी का संपर्क कर सकते हैं, लेकिन वहां से भी आपको संतोषकारक उत्तर नहीं मिलता है तो आपको बीमा लोकपाल का संपर्क करना चाहिए. बीमा सेवाओं में कमियों के बारे में शिकायतों के तुरंत और प्रभावी तरीके से समाधान के लिए बीमा लोकपाल का संपर्क किया जा सकता है.
व्यक्तिगत पॉलिसीधारकों की शिकायतों को अदालत प्रणाली से बाहर लागत प्रभावी, कुशल और निष्पक्ष तरीके से निपटाया जा सके, इसके लिए सरकार द्वारा बीमा लोकपाल योजना बनाई गई हैं.
कोई भी व्यक्ति जिसे किसी बीमाकर्ता के खिलाफ शिकायत है, वह स्वयं या अपने कानूनी उत्तराधिकारियों, नॉमिनी या समनुदेशिती के माध्यम से बीमा लोकपाल को लिखित रूप में शिकायत कर सकता है.
भारत में अभी 17 बीमा लोकपाल हैं, और हाल ही में बीमा लोकपाल परिषद (Council for Insurance Ombudsmen -CIO) ने स्पेशलिस्ट पदों के लिए देश भर के 17 ऑफिस में कुल 49 रिक्तियों की घोषणा की है.
जिस बीमा कंपनी से आपको शिकायत है, उसके कार्यालय के क्षेत्रानुसार आप संबंधित अधिकार-क्षेत्र वाले लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं. आप बीमा परिषद के प्रशासकीय निकाय (GBIC) की वेबसाइट www.gbic.co.in पर विजिट कर सकते हैं.
नियमों में हुए बदलाव के बाद अब बीमा कंपनी,एजेंट, ब्रोकर और अन्य सभी तरह के मध्यस्थों की तरफ से हुई खामी या गड़बड़ी की शिकायत भी लोकपाल में की जा सकती हैं. पहले सिर्फ बीमा कंपनी और बीमाधारक के बीच किसी विवाद की शिकायत ही लोकपाल से की जा सकती थी.
लोकपाल सिर्फ विवाद की हालत में नहीं बल्कि किसी बीमा कंपनी द्वारा सेवाओं में खामी के बारे में भी शिकायतों को सुनता है और उन पर विचार करता है. यह शिकायतें इश्योरेंस एक्ट 1938 या IRDAI रेगुलेशन 2017 के नियमों या प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन के बारे में हो सकती है. अब बीमा ब्रोकर भी लोकपाल के दायरे में आएंगे.
– आपने पहले अपनी शिकायत के साथ बीमा कंपनी से संपर्क किया है, लेकिन कंपनी ने इसका समाधान नहीं किया है या इसका समाधान आपकी संतुष्टि के स्तर तक नहीं किया है या 30 दिनों तक इस पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है तो आप लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं. – आपकी शिकायत, किसी पॉलिसी से संबंधित है जो आपने व्यक्ति के रूप में अपनी क्षमता में ली है तो शिकायत कर सकते हैं. – आपके द्वारा किए गए खर्च के दावे का मूल्य 30 लाख रूपये से अधिक नहीं है तो.
– किसी बीमाकर्ता द्वारा दावों का आंशिक या पूर्ण अस्वीकरण – चुकता प्रीमियम या पॉलिसी की शर्तों के अनुसार देय प्रीमियम के बारे में कोई विवाद – दावों के संबंध में पॉलिसियों की विधिक संरचना को लेकर कोई विवाद – दावों के निपटान में विलम्ब की स्थिति में शिकायत कर सकते हैं. – आप द्वारा प्रीमियम का भुगतान किए जाने के बावजूद किसी बीमा दस्तावेज का निर्गमन न किया जाना – पॉलिसी दस्तावेज़ या पॉलिसी अनुबंध में किसी भी समय पॉलिसी के नियमों और शर्तों का गलत विवरण दिए जाने पर. – बीमाकर्ताओं और उनके एजेंटों और इंटरमीडिअरिज के खिलाफ पॉलिसी सर्विसिंग संबंधी शिकायतें.
आपकी शिकायत मिलने पर लोकपाल, एक परामर्शी तथा मध्यस्थ की भाँति कार्य करेगा, तथा विवादों के तथ्यों के आधार पर एक निष्पक्ष अनुशंसा प्रस्तुत करेगा. यदि आप इसे पूर्ण एवं अंतिम निपटान के रूप में स्वीकार करते हैं, तो लोकपाल बीमा कंपनी को सूचित करेगा जो 15 दिनों की अवधि के अंदर इसका पालन करेगी.
यदि अनुशंसा द्वारा निपटान कारगर न हो, तो लोकपाल शिकायत प्राप्त करने के 3 माह के अंदर एक अधिनिर्णय पारित करेगा, और जो विस्तृत कारणोल्लेख सहित एक स्पीकिंग अधिनिर्णय होगा. बीमा कंपनी पर बाध्यकारी होगा, लेकिन पॉलिसीधारक पर बाध्यकारी नहीं होगा. लोकपाल किसी अनुग्रह अदायगी का भी अधिनिर्णय दे सकता है.
आपको अवार्ड को लिखित में स्वीकृत करना होगा और बीमा कंपनी को इससे 30 दिनों के अंदर सूचित करना होगा, तथा इसके पश्चात बीमा कंपनी को अधिनिर्णय की अनुपालना 15 दिनों में करनी होगी.
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