Insurance: क्या आप जानते हैं कि आपको नॉन-लाइफ इंश्योरेंस (Insurance) पॉलिसी के प्रीमियम पर भी गुड्स और सर्विस टैक्स (GST) देना होता है? हेल्थ और मोटर बीमा पॉलिसी पर आपसे GST कैसे वसूला जाता है, इस गाइड से समझ सकते हैं.
देश में साल 2017 में टैक्स व्यवस्था को आसान बनाने के लिए GST लागू किया गया था. इससे पहले 15% सर्विस टैक्स, 14% सर्विस टैक्स, 0.5% स्वच्छ भारत सेस और 0.5% कृषि कल्याण सेस भी लगाया जाता था.
एक्सपेटाइज हेल्थकेयर के फाउंडर और सीईओ, अमित शर्मा के मुताबिक “अब सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर एक तरफ 18% GST टैक्स लगाया जाता है.
“2017 में GST की शुरुआत ने हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र को प्रभावित करने वाले पुराने टैक्स सिस्टम को हटा दिया. वर्तमान ये टैक्स 18% कर दिया है. इसलिए इंश्योरेंस प्रीमियम में 18% GST भी जोड़ा जाता है. ”
हाल में कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए, गैर-लाइफ इंश्योरेंस एजेंटों की एक संस्था कन्फेडरेशन ऑफ जनरल इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर 18% GST को वापस लेने की मांग की है.
इसके साथ ही कन्फेडरेशन ने मांग की है कि अलग-अलग पॉलिसी के बीच कॉमर्शियल और पर्सनल का अंतर किया जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि इंडस्ट्रियल पॉलिसियों के प्रीमियम पेमेंट को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है.
साथ ही, पर्सनल पॉलिसी के प्रीमियम पेमेंट पर GST के लिए कोई टैक्स क्रेडिट नहीं है और इसलिए इसको एक खर्च के तौर पर गिना जाता है.
मोटर इंश्योरेंस में दो प्रमुख हिस्से होते हैं. पहला निजी नुकसान और दूसरा थर्ड पार्टी कवर. जबकि थर्ड-पार्टी कवर खरीदना एक वैधानिक जरूरत है. इसलिए अधिक व्यापक कवरेज के लिए एक कॉम्प्रेहेन्सिव पॉलिसी खरीदने की सलाह दी जाती है.
शर्मा ने बताया कि “थर्ड पार्टी और कॉम्प्रेहेन्सिव पॉलिसी मोटर इंश्योरेंस कराने की दोनों स्थितियों में 18% GST देना पड़ता है. इसके साथ ही, अगर ग्राहक अतिरिक्त राइडर खरीदता है, तो भी अतिरिक्त 18% GST लगता है.
इस प्रकार, सभी वाहन बीमा योजनाओं को नई जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी लागत और प्रीमियम शुल्क को जोड़ना पड़ता है.”
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