Insurance: किसी भी खास मौके पर अच्छा दिखने के लिए हम अच्छी ड्रेस के चुनाव की खातिर अच्छा खासा वक्त और कई लोगों से सलाह लेते हैं, लेकिन जब बात इंश्योरेंस (Insurance) खरीदने की आती है, तो बिना सोचे समझे और अंदाजा लगाए किसी दूसरे की सलाह पर खरीद लेते हैं.
बीमा पॉलिसी की लागत जानना बेहद जरूरी है. यहां जानना जरूरी है कि आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी की लागत कितनी आती है.
टर्म इंश्योरेंस प्लान को सबसे सस्ता प्लान माना जाता है. क्योंकि वे केवल कंपनी से मिलने वाले बीमा कवर के लिए मृत्यु दर के खर्चों में कटौती करते हैं. ये सिर्फ आपको इंश्योरेंस कवर मुहैया कराते हैं, इसमें कोई इन्वेस्टमेंट का प्लान नहीं होता है.
ये मार्केट लिंक्ड पॉलिसी आपको इंश्योरेंस और इनवेस्टमेंट दोनों ऑफर करती है. यूलिप में भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा निर्धारित कॉस्ट-स्ट्रक्चर का स्टैंडर्डाइजेशन किया गया है.
यहां विभिन्न हेड्स दिए गए हैं जिनके तहत शुल्क घटाया जा सकता है.
यह शुल्क कमीशन और अंडरराइटिंग खर्च जैसी अलग-अलग खर्चों को कवर करने के लिए काटा जाता है.
ये शुल्क पॉलिसियों के लिए ग्रॉस इनकम के 3% पर सीमित हैं, 10 साल तक की अवधि के साथ और 10 साल से अधिक की अवधि वाले लोगों के लिए 2.25% है.
ये आम तौर पर 1% से 2% के बीच मौजूद होता है. नेट एसेट वैल्यू को कैलकुलेशन करते वक्त डिडक्ट किया जाता है.
पॉलिसी के एडमिनिस्ट्रेशन और मैंटेनेंस के नाम पर ये चार्ज लगाया जाता है.
मौत वाले मामलों में ये शुल्क लगाया जाता है.
यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाओं के विपरीत, एंडोमेंट प्लान गैर-पारदर्शी होते हैं. क्योंकि आपको इस बात की जानकारी नहीं होती है कि खर्चों के लिए कितना पैसा काटा जाता है.
शुरुआती सालों में एंडोमेंट प्लान काफी ज्यादा होते थे. ये कहते हुए कि एंडोमेंट पॉलिसी लॉन्ग टर्म पॉलिसी होती हैं, जिसमें आप 5 से 10 साल तक पेमेंट करने के लिए हामी भरते हैं.
अगर आप बीच में ही पॉलिसी को छोड़ देते हैं, तो आपको कुल हुए निवेश का काफी छोटा सा हिस्सा मिलेगा क्योंकि आमतौर पर तबतक कुल प्रीमियम का कुल 30 से 40 फीसदी ही चुकाया होता है. पॉलिसी सरेंडर करने के साथ ही आपका लाइफ कवर भी तत्काल खत्म हो जाता है.
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