FDI In Insurance: इंश्योरेंस सेक्टर में FDI निवेश सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी करने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्य सभा में सफाई देते हुए कहा कि विदेशी निवेश वाली भारतीय कंपनियों को मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा रिजर्व के तौर पर रखना होगा ताकि पॉलिसी होल्डर्स के क्लेम की जरूरत पूरी की जा सके. विदेशी निवेशकी की वित्तीय सेहत जैसी भी हो, इस नियम से पॉलिसी होल्डर्स के क्लेम पर असर नहीं होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि हिस्सेदारी बढ़ने से कंपनियों का नियंत्रण विदेशी कंपनियों के पास चला जायेगा लेकिन इन कंपनियों में मैनेजमेंट के महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय लोग ही नियुक्त होंगे और उन पर भारतीय कानून लागू होगा.
बीमा संशोधन विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, ‘‘देश के कानून अब काफी परिपक्व हैं, देश में होने वाले किसी भी परिचालन को वे नियंत्रण में रख सकते हैं. (कोई भी) इसे (धन को) बाहर नहीं ले जा सकता है और हम देखते नहीं रह सकते हैं.’’
Indian insurance companies having foreign investments will be required to retain specific percentage of the profit as general reserve to ensure that reserves are available for meeting policyholders’ claims regardless of a foreign investor’s financial condition: Smt @nsitharaman pic.twitter.com/MgqIWGO1Nf
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) March 18, 2021
राज्य सभा ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अधिकतम सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने वाले बीमा संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है. बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने की वजह बताते हुये उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों पर नकदी का दबाव बढ़ रहा था ऐसे में निवेश सीमा बढ़ने से उनकी बढ़ती पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा.
बीमा कंपनियों के मामले में ‘नियंत्रण’ की परिभाषा में बदलाव पर उन्होंने कहा, नियंत्रण का मतलब है बहुलांश निदेशकों की नियुक्ति का अधिकार होना, नीतिगत निर्णय लेने वाले प्रबंधन पर नियंत्रण होना जिसमें कि उनकी शेयरधारिता अथवा प्रबंधन का अधिकार अथवा शेयरधारक समझौता और मतदान समझौते आदि सभी शामिल हैं.
बीमा कंपनियों में FDI सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाने से उनका नियंत्रण भारतीय कंपनियों के हाथ में रखे जाने का मौजूदा प्रावधान समाप्त हो जायेगा लेकिन विदेशी नियंत्रण के साथ अन्य शर्तें जोड़ी गईं हैं. ‘‘ऐसी कंपनियों के निदेशक मंडल में बहुलांश निदेशक और महत्वपूर्ण प्रबंधन पदों पर भारतीयों को रखा जायेगा. इसका मतलब यह होगा उन पर भारत का प्रत्येक कानून लागू होगा. कंपनियों को अपना कुछ प्रतिशत मुनाफा सामान्य आरक्षित राशि के रूप में यहां रखना होगा. इसे (बाहर) नहीं ले जाया जा सकता.’’
सीतारमण ने कहा कि इस तरह की शर्तों से उन आशंकाओं का समाधान हो जाना चाहिये कि बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा बढ़ने से देश में साम्राज्यवाद आ जायेगा और विदेशी कंपनियों का राज हो जायेगा.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में देश के बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को उस समय के 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के बाद से 26,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है.
उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र में अब एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाने का विधेयक इस क्षेत्र के रेगुलेटर IRDAI द्वारा व्यापक विचार विमर्श के बाद लाया गया है.
बीमा संशोधन विधेयक 2021 के राज्यसभा में पारित होने के बाद अब इसे चर्चा के लिये लोकसभा में पेश किया जायेगा. राज्यसभा में विपक्षी कांग्रेस और अन्य पार्टियों के सदस्यों के विधेयक के विरोध में सदन से बाहर चले जाने के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
विपक्षी सदस्यों के विधेयक को गहन विचार विमर्श के लिये सदन की प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग पर जोर देने के कारण चार बार सदन की कार्यवाही को छोटे छोटे अंतराल के लिये रोकना पड़ा.
वित्त मंत्री ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत किये जाने की घोषणा एक फरवरी 2021 को पेश आम बजट में की है. वर्तमान में जीवन और साधारण बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई सीमा है जिसमें कंपनियों का मालिकाना और प्रबंधन नियंत्रण भारतीयों के पास रहता है.
(PTI इनपुट के साथ)
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