Insurance: अगर आपको लगता है कि टैक्स सबसे कॉम्प्लिकेटेड सब्जेक्ट है, तो इंश्योरेंस (Insurance) भी कम नहीं है. पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स अलग-अलग शब्दजाल से भरे हुए हैं, जिससे हमें हैरानी होती है कि हमने किसके लिए साइन अप किया है.
यहां अक्सर उपयोग किए जाने वाले इंश्योरेंस से संबंधित शब्दों की एक लिस्ट दी गई है, जिसके बारे में आपको पॉलिसी खरीदने से पहले पता होना चाहिए.
पॉलिसी खरीदते समय लोगों को पहले से बीमारियां हो सकती हैं. इन बीमारियों को पहले से मौजूद बीमारी (Pre-existing illness) कहा जाता है.
आप पहले से मौजूद बीमारी होने के बाद भी पूर्ण कवरेज प्राप्त कर सकते हैं, यह मानते हुए कि आपने पॉलिसी के लिए साइन अप करते समय ऐसी किसी भी बीमारी के बारे में नहीं छुपाया जिससे आप पीड़ित हैं, क्योंकि इससे क्लेम के समय चीजें मुश्किल हो सकती हैं.
इसलिए, पॉलिसी खरीदते समय हर उस बीमारी का जिक्र करें जिससे आप पीड़ित हैं. याद रखें, पहले से मौजूद बीमारियों के लिए कवरेज 2-4 साल के वेटिंग पीरियड के साथ आता है. अपने बीमाकर्ता से जांचें कि आपकी पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड कितना लंबा है.
इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स मिलने के बाद पॉलिसी होल्डर को पॉलिसी कैंसिल करने के लिए 15 दिन की मोहलत देती है.
यदि नियम और शर्तों को पढ़ने के बाद पॉलिसी होल्डर पॉलिसी नहीं चाहता है, तो वह 15 दिनों के अंदर बीमाकर्ता से संपर्क कर सकता है और पॉलिसी से छुटकारा पा सकता है.
याद रखें, दिनों को कैलकुलेट करते समय, आपका बीमाकर्ता कैलेंडर के हिसाब से चल सकता है न कि बिजनेस डेज के हिसाब से, जिसका मतलब है कि शनिवार और रविवार को भी फ्री-लुक पीरियड कैलकुलेट करते समय शामिल किया जा सकता है.
सब-लिमिट्स का मतलब है कि आपका बीमाकर्ता रूम रेंट और एम्बुलेंस जैसे कुछ खर्चों के लिए केवल बीमित राशि की स्पेसिफिक लिमिट तक ही भुगतान करेगा. यह आमतौर पर आपके सम एश्योर्ड का 1% होता है.
उदाहरण के लिए अगर आपका कवर 5 लाख रुपये का है, तो बीमा कंपनी आपको कमरे के किराए के लिए केवल 5000 रुपये रिम्बर्स करेगी. 5000 रुपये से ऊपर का कोई भी खर्च आपको अपनी जेब से करना होगा.
कमरे के किराए के अलावा बीमाकर्ता मोतियाबिंद सर्जरी(कैटरेक्ट सर्जरी), डेंटल ट्रीटमेंट, हर्निया आदि जैसे प्री-प्लेंड ट्रीटमेंट पर भी सब-लिमिट लगाते हैं.
सह-भुगतान अस्पताल के बिल का वो प्रतिशत है, जो आपको किसी क्लेम की स्थिति में अपनी जेब से देना होता है.
अगर आपका अस्पताल का बिल 1 लाख रुपये है, तो 10% सह-भुगतान के मामले में, आपको अपनी जेब से 10,000 रुपये का भुगतान करना होगा.
बहुत अधिक को-पेमेंट क्लॉस के लिए मत जाइए क्योंकि यह वो राशि है जो आपको क्लेम के समय कुल बिल का भुगतान करनी होती है.
यदि आप अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी का दायरा बढ़ाना चाहते हैं, तो आप व्यक्तिगत दुर्घटना और गंभीर बीमारी जैसे एडिशनल कवर का विकल्प चुन सकते हैं.
ये एडिशनल कवर, जिन्हें आप इन-बिल्ट सुविधाओं के अलावा खरीदते हैं, राइडर्स के रूप में जाने जाते हैं और एडिशनल कॉस्ट के साथ आते हैं.
डिडक्टिबल टर्म अक्सर मोटर बीमा पॉलिसियों के साथ प्रयोग किया जाता है. यहां क्लेम के मामले में आपको अपनी जेब पर निश्चित लागत वहन करनी होती है.
डिडक्टिबल्स दो प्रकार के होते हैं-वॉलंटरी और कम्पलसरी. वॉलंटरी डिडक्टिबल्स के मामले में, थ्रेशोल्ड लिमिट पॉलिसी होल्डर द्वारा तय की जाती है, जबकि कम्पलसरी डिडक्टिबल्स के लिए यह इंश्योरेंस कंपनी द्वारा तय की जाती है.
यदि आप पॉलिसी को रिन्यू नहीं कर पाते हैं, तो इंश्योरेंस कंपनी इसके लिए आपको 15-30 दिन का समय देती है.
यदि इस समय के भीतर प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, तो पॉलिसी लैप्स नहीं होती है और नो क्लेम बोनस (NCB) और पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड जैसे बेनेफिट नहीं बदलते हैं.
एन्युटी का दूसरा नाम पेंशन है. एन्युटी प्लान आपको जीवन भर के लिए या आपके द्वारा चुने गए फिक्स्ड पीरियड के लिए नियमित पेंशन राशि का आश्वासन देते हैं. एन्युटी प्लान दो तरह के होते हैं- डिफर्ड और इमीडियेट.
डिफर्ड एन्युटी प्लान आपके द्वारा निश्चित वर्षों तक नियमित रूप से निवेश करने के बाद पेंशन का भुगतान करना शुरू कर देते हैं. इमीडियेट एन्युटी प्लान आपके द्वारा प्लान में एकमुश्त राशि का निवेश करने के तुरंत बाद शुरू हो जाते हैं.
नॉमिनेशन पॉलिसी होल्डर को उसकी मृत्यु पर आय का दावा करने के लिए किसी व्यक्ति को नामांकित करने में सक्षम बनाता है.
पॉलिसी होल्डर की मृत्यु के मामले में, क्लेम अमाउंट या तो नामांकित व्यक्ति को देय होता है, जब तक कि कोर्ट द्वारा अन्यथा निर्देशित न किया जाए.
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