इंश्योरेंस में मिस-सेलिंग काफी प्रचलित है. क्योंकि एंडोमेंट प्लान में कमीशन ज्यादा होता है. इसलिए कुछ बीमा एजेंट ऐसी योजनाओं को प्योर टर्म इंश्योरेंस की तुलना में ज्यादा बढ़ावा देते हैं. कुछ मामलों में वे पॉलिसी होल्डर को इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में अच्छी तरह से बताते भी नहीं हैं. क्या 74 साल के पिता को अपने 31 साल के बेटे के लिए जीवन बीमा पॉलिसी खरीदनी चाहिए? इसका लॉजिकल जवाब है नहीं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी ऐसी गलत बिक्री इंश्योरेंस में पाई जाती है. मनी9 के पास इस संबंध में कई सवाल आए हैं.
सवाल: एक बैंकर ने मेरे पिता (74) से कॉन्टेक्ट किया और सभी गलत वादों के साथ उनसे एक POS (पॉइंट ऑफ सेल) एंडोमेंट सेविंग प्लान पर हस्ताक्षर करा लिए जिसमें मेरे भाई का नाम बीमित व्यक्ति के रूप में इस्तेमाल किया गया जो 31 साल का है. इंश्योरेंस पॉलिसी का सालाना प्रीमियम 70,000 रुपये है. दूसरा प्रीमियम अभी देना बाकी है ऐसे में हम समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या किया जाना चाहिए. एक प्रीमियम भुगतान के बाद सरेंडर राशि शून्य है. दो प्रीमियम यानी एक लाख 40 हजार के बाद यह 42,000 रुपये है. 2 प्रीमियम के बाद अगर हम पेड-अप विकल्प चुनते हैं तो 10 साल बाद हमें 2 लाख रुपये ही मिलेंगे. क्या यह एक अच्छा ऑप्शन होगा. – मोहित जायसवाल
जवाब: इंश्योरेंस समाधान के बीमा प्रमुख और सह-संस्थापक शैलेश कुमार के मुताबिक यह बहुत आम बात है. बैंक कर्मचारियों पर इंश्योरेंस बेचने का हमेशा दबाव रहता है. क्योंकि बैंक को इंश्योरेंस कंपनियों से ज्यादा कमीशन मिलता है. हर इंश्योरेंस कंपनी के पास बैंक के ग्राहकों को इंश्योरेंस को बढ़ावा देने के लिए बैंक इंश्योरेंस चैनल होता है. बैंक लोन लेने वाले, ओवरड्राफ्ट लिमिट्स और अन्य बैंक प्रोडक्ट की मांग करने वालों को इंश्योरेंस दिया जाता है.
ऐसे कई मामले हैं जहां सीनियर सिटीजन को इंश्योरेंस बेचा गया है. क्यूंकि वे बीमा योग्य नहीं हैं इसलिए उन्हें प्रोपोनेंट बनाया जाता है और उन वयस्क बच्चों के जीवन पर इंश्योरेंस दिया जाता है जो स्वयं इंश्योरेंस खरीदने में सक्षम होते हैं. बैंक अकाउंट होल्डर गुमराह हो जाते हैं क्योंकि वे बैंकरों पर भरोसा करते हैं. ऐसे ग्राहकों को जिन्हें वयस्क बच्चों के लिए इंश्योरेंस दिया गया है उन्हें इन बातों की जांच करनी चाहिए.
1. क्या इंश्योरेंस होल्डर ने कमेंसमेंट शुरू होने के समय साइन किए थे. 2. क्या इंश्योरेंस होल्डर ने प्रोपोज़र की मृत्यु के मामले में रेगुलर प्रीमियम का भुगतान करने के लिए एग्रीमेंट के रूप में लिखित में सहमति दी थी. 3. क्या एजेंट बीमित व्यक्ति से मिला था. ऐसे कई मामले हैं जहां बीमित व्यक्ति भारत में मौजूद नहीं है और इंश्योरेंस कराया गया है. यदि एजेंट बीमित व्यक्ति से नहीं मिला है तो कॉन्ट्रैक्ट मान्य नहीं हो सकता है.
आपका मामला भी गलत बिक्री का लगता है. इसकी पुष्टि करने के इन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है.
1. आपके पिता की आयु कितनी है और क्या वे पॉलिसी के प्रोपोज़र हैं. पॉलिसी डॉक्यूमेंट की जांच करें. 2. क्या आपके भाई ने बीमित होने के लिए हस्ताक्षर किए थे, क्या वह मौजूद थे. 3. क्या आपके पिता को वेरिफिकेशन कॉल मिला था. 4. क्या आपके पिता की रेगुलर इनकम है. आपके भाई की इनकम क्या है? 5. पॉलिसी में एजेंट कौन है. पॉलिसी डॉक्यूमेंट राइटिंग एजेंट का नाम जांचें.
आपको बीमा कंपनी के साथ बात करनी चाहिए साथ ही आपको रिन्यूअल प्रीमियम का भुगतान नहीं करना चाहिए. क्योंकि एजेंट एक बार फिर रिन्यूअल प्रीमियम से कमीशन लेगा. इस प्रकार आप रिन्यूअल प्रीमियम का भुगतान करके गलत बिक्री को प्रोत्साहित करेंगे और तीन प्रीमियम का भुगतान करने के बाद आपको केवल सिर्फ सरेंडर वैल्यू ही मिलेगी. जो भुगतान किए गए प्रीमियम का लगभग 50% होगी. इसलिए हम आपको बीमा कंपनी से शिकायत करने की सलाह देते हैं. जो आपकी शिकायत का ध्यान रखने के लिए प्रोफेशनल और वेल मैनेज्ड आर्गेनाइजेशन है.
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