इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम से लेकर मैच्योरिटी और सम एश्योर्ड पर टैक्स को लेकर कई नियम हैं. इनमें किस पॉलिसी के प्रीमियम पर टैक्स छूट है, किस पॉलिसी के सम एश्योर्ड पर टैक्स देना होगा, ये सब पेंच शामिल हैं. इन सब को लेकर इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 10(10D) में छूट के प्रावधान हैं. लेकिन, जो पॉलिसी इस सेक्शन के तहत नहीं आती उसपर आपको टैक्स देना पड़ता है. वहीं, अगर आपने PAN की जानकारी नहीं दी है, तो आप को सामान्य से 10 गुना ज्यादा TDS देना पड़ेगा.
अगर पॉलिसी पर सेक्शन 10(10D) के तहत छूट नहीं मिल रही तो 2 फीसदी TDS काटा जाएगा. लेकिन ये सिर्फ उन लोगों के लिए जिनके पास PAN है और उन्होंने इसकी जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को दी है. लेकिन, अगर आपने PAN कार्ड की जानकारी नहीं दी है तो मैच्योरिटी या इंश्योरेंस बेनिफिट मिलने पर आपका 20 फीसदी TDS कटेगा जो सामान्य से 10 गुना ज्यादा है.
TDS काटने के बाद ही इंश्योरेंस कंपनी आपको बाकी रकम देगी. ये TDS बोनस पर भी कटेगा. गौरतलब है कि अगर आपकी पॉलिसी से मिलने वाली रकम एक लाख रुपये से कम है तो उसपर TDS नहीं कटता. ध्यान रहे कि आप इस TDS को इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं.
1 अप्रैल 2012 के बाद जारी पॉलिसी में अगर आपका प्रीमियम सम एश्योर्ड का 10 फीसदी से ज्यादा है तो इस रकम पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(10D) के तहत छूट नहीं मिलेगी. वहीं, 1 अप्रैल 2012 से पहल खरीदी पॉलिसी के लिए ये सीमा 20 फीसदी है.
इसके अलावा कीमैन इंश्योरेंस पॉलिसी भी इस सेक्शन के तहत टैक्स-फ्री नहीं है. ये वो पॉलिसी होती हैं जो एंप्लॉयर अपने कर्मचारियों के लिए लेता है और इस पॉलिसी का फायदा भी एंप्लॉयर को ही मिलने वाला होता है.
SBI लाइफ की वेबसाइट के मुताबिक अगर एक वित्तीय वर्ष में ग्राहक का सालाना प्रीमियम 50 हजार रुपये से ज्यादा है तो उन्हें PAN की जानकारी या फॉर्म 60 भरना अनिवार्य है.
अगर आपने पॉलिसी में PAN की जानकारी नहीं दी है तो उसके लिए भी SBI लाइफ ने तरीका बताया है. PAN अपडेट के लिए आपको एक SMS (मैसेज) भेजना होगा. PAN<<space>><<पॉलिसी नंबर>><<space>><<PAN नंबर>> लिखकर आपको 56161 पर भेजना होगा. वहीं, फॉर्म 60 आपको इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट से मिल जाएगा.
किसी अन्य इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी है तो भी आपको ऑनलाइन PAN लिंक करने की सुविधा मिल जाएगी.