Health Insurance: न केवल महामारी, बल्कि हमारी बदली लाइफ स्टाइल की वजह से भी हेल्थ से जुड़ी समस्याएं काफी बढ़ रही हैं. इसलिए एक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान होना बहुत जरूरी है. हालांकि, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां आम तौर पर अधिकांश बीमारियों को कवर करती हैं, लेकिन इसमें कुछ खास तरह की मेडिकल कंडीशन को कवर नहीं किया जाता है. इन्हें हेल्थ इंश्योरेंस एक्सक्लूजन कहा जाता है. ये एक्सक्लूजन एक पॉलिसी से दूसरी पॉलिसी में अलग हो सकते हैं. आइए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में सबसे कॉमन एक्सक्लूजन पर एक नज़र डालें:
1) पहले से मौजूद मेडिकल कंडिशन
यदि आप पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इसके बारे में जरूर बताना चाहिए. कोई भी बीमारी जो आपको पहले से है, वो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत कवर नहीं होती है. यहां तक कि भले ही आपका हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर पहले से मौजूद किसी बीमारी को कवर करने के लिए राजी हो, लेकिन बीमारी कवर करने से पहले आम तौर पर लगभग दो से चार साल का वेटिंग पीरियड होगा.
2) कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में सबसे कॉमन एक्सक्लूजन में से एक कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट है. हालांकि, एक्सीडेंट या चोट के बाद प्लास्टिक सर्जरी की कॉस्ट हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कवर की जाती है. इसके अलावा ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, डेंटल सर्जरी भी कॉमन हेल्थ इंश्योरेंस एक्सक्लूजन में शामिल हैं.
3) खुद की वजह से लगने वाली चोटें
किसी भी तरह की इन्टेंशनल इन्जुरी को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से बाहर रखा गया है.
4) थेरेपी
हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में नेचुरल थेरेपी, एक्यूप्रेशर, मैग्नेटिक थेरेपी और ट्रीटमेंट के ऐसे दूसरे अल्टरनेटिव मेथड को कवर नहीं किया जाता.
5) वेटिंग पीरियड
किसी पॉलिसी में इन्वेस्ट करने से पहले उसके वेटिंग पीरियड को भी ध्यान में रखना चाहिए. हर इंश्योरर का वेटिंग पीरियड अलग हो सकता है.
6) कूलिंग-ऑफ पीरियड
प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के लिए वेटिंग पीरियड के अलावा दूसरे वेटिंग पीरियड भी होते हैं. जिसके दौरान स्पेसिफिक कवरेज अवेलेबल नहीं होता. आमतौर पर ये पीरियड 30 दिनों का होता है. इस पीरियड के दौरान हुई एक्सीडेंटल इन्जुरी के अलावा अन्य बीमारियों को इसमें कवर नहीं किया जाता है.
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