• English
  • বাংলা
  • తెలుగు
  • मराठी
  • ಕನ್ನಡ
  • ગુજરાતી
  • money9
  • बीमा
  • बचत
  • कर्ज
  • इन्वेस्टमेंट
  • आईपीओ
  • कमोडिटी
    • गोल्ड
    • कृषि
    • एनर्जी
    • मेटल्स
  • Breaking Briefs
downloadDownload The App
Close
  • Home
  • Videos
  • Podcast
  • Exclusive
  • टैक्स
  • म्यूचुअल फंड
  • बचत
  • कर्ज
  • म्यूचुअल फंड
  • स्टॉक
  • प्रॉपर्टी
  • कमोडिटी
    • गोल्ड
    • कृषि
    • एनर्जी
    • मेटल्स
  • Survey 2023
  • Survey Report
  • Breaking Briefs
  • बीमा
  • बचत
  • लोन
  • इन्वेस्टमेंट
  • म्यूचुअल फंड
  • प्रॉपर्टी
  • टैक्स
  • Exclusive
  • आईपीओ
  • Home / बीमा

ICR: हेल्थ इंश्योरेंस में इनकर्ड क्लेम रेशियो के बारे में जानना है जरूरी

इनकर्ड क्लेम रेशियो हर क्लेम की टोटल वैल्यू है जो किसी पर्टिकुलर टाइम पीरियड के दौरान इंश्योरर द्वारा कलेक्ट किए गए टोटल प्रीमियम से डिवाइड होती है.

  • Team Money9
  • Last Updated : August 31, 2021, 13:49 IST
आदित्य बिड़ला ग्रुप की हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने अक्टूबर 2016 में कामकाज शुरू किया था.
  • Follow

एक इंश्योरेंस कंपनी द्वारा कमाए प्रीमियम के अगेंस्ट भुगतान किए गए नेट क्लेम को इनकर्ड क्लेम रेशियो (ICR) के तौर पर रेफर किया जाता है. यह किसी निश्चित टाइम पीरियड के दौरान इंश्योरर द्वारा कलेक्ट किए गए टोटल प्रीमियम से डिवाइड प्रत्येक क्लेम की टोटल वैल्यू है. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI), भारत में हेल्थ इंश्योर के लिए एनुअल इनकर्ड क्लेम रेशियो डिक्लेअर करता है. यह इंफॉर्मेशन इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइटों पर भी उपलब्ध है. ग्राहकों को पॉलिसी खरीदने से पहले इन आंकड़ों पर ध्यान देना चाहिए. ऐसे इंश्योरर के साथ जाना समझदारी है जो बाकी की तुलना में हाई इनकर्ड क्लेम रेशियो (incurred claim ratio) ऑफर करता है.

ICR का महत्व

हाई इनकर्ड रेशियो इंश्योरर के क्लेम फाइल करने के समय बीमा राशि का भुगतान करने में सक्षम होने की क्षमता को दर्शाता है. यदि किसी कंपनी का ICR 100% या उससे अधिक है, तो इसका मतलब है कि इंश्योरर द्वारा क्लेम सेटलमेंट के समय दिया गया अमाउंट कलेक्ट किए प्रीमियम से ज्यादा था. ये स्थिति कंपनी में अस्थिरता पैदा कर सकती है. नतीजतन इंश्योरर या तो अपनी कॉस्ट कम कर सकता है, इसे बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए कीमत बढ़ा सकता है, या अपनी प्रोडक्ट फीचर को बदल सकता है.

दूसरी ओर यदि कंपनी की ICR वैल्यू 50% और 100% के बीच है, तो इसका मतलब है कि कंपनी क्लेम के रूप में दिए गए अमाउंट से ज्यादा प्रीमियम कलेक्ट करने में सक्षम थी. यह इंश्योरर के लिए प्रॉफिट को इंगित करता है क्योंकि इंश्योर अपने कस्टमर्स को एक क्वालिटी प्रोडक्ट बेचने में सक्षम था और अनवॉन्टेड क्लेम को सक्सेसफुली अवॉइड कर रहा था.

वहीं कंपनी की ICR वैल्यू 50% से कम है, तो यह कस्टमर के लिए सही नहीं है. इसका मतलब है कि कंपनी या तो मुश्किल से किसी क्लेम का सेटलमेंट कर रही है या बड़ा मुनाफा कमा रही है. हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कंपनी के मुनाफे का क्लेम सेटलमेंट के अपने रिकॉर्ड से बहुत कम लेना-देना है. कभी-कभी, ग्राहकों को पता चलता है कि कोई पर्टिकुलर पॉलिसी बहुत महंगी हो रही है या पॉलिसी में कई एक्सक्लूजन जरूरी नहीं हैं. ये उनके किसी दूसरी तरह के इंश्योरेंस प्रोडक्ट में शिफ्ट करने का कारण बन सकता है. एक्सपर्ट का सुझाव है कि एक आइडियल ICR वैल्यू 75% और 90% के बीच होती है.

क्लेम सेटलमेंट के लिए लिया गया समय

इंश्योरेंस कंपनी के ICR को समझते हुए ध्यान देने वाली चीज क्लेम सेटलमेंट में लगने वाला समय है. कस्टमर्स को ये पता होना चाहिए कि ICR 90% रिकॉर्ड वैल्यू इंडीकेट कर सकता है, लेकिन यह हर सेटलमेंट के लिए लगने वाले समय को कंसीडर नहीं करता. इसलिए आपके इंश्योरर को अमाउंट रिम्बर्स करने में 6 महीने तक का समय लग सकता है यानी इमरजेंसी के समय इसका कोई यूज़ नहीं है.

इसके अलावा, इनकर्ड क्लेम रेशियो अक्सर क्लेम सेटलमेंट रेशियो के साथ कंफ्यूज किए जाते हैं. यदि किसी कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 90% पर पहुंच जाता है, तो यह इस फैक्ट को इंडिकेट करता है कि 100 में से 90 क्लेम सक्सेसफुली सेटल किए गए हैं. बाकी के 10% या तो इंश्योरेंस कंपनी द्वारा पेंडिंग हो सकते हैं या फिर रिजेक्ट हो सकते हैं.

दूसरे महत्वपूर्ण फैक्टर

किसी पॉलिसी की उपयोगिता जांचने का ICR एकमात्र पैरामीटर नहीं है. इंश्योरेंस प्रोवाइडर के रूप में किसी कंपनी को चुनते समय नेटवर्क हॉस्पिटल कवरेज, स्पेसिफिक प्लान बेनिफिट, वेटिंग पीरियड, फाइन प्रिंट आदि सहित कई दूसरे फैक्टर्स को भी कंसीडर किया जाना चाहिए. सबसे सही तरीका है रेशियो को कंपेयर करना और दूसरे जरूरी फैक्टर पर ध्यान देना है.

Published - August 31, 2021, 01:49 IST

पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।    

  • Buying health Insurance
  • health insurance
  • ICR

Related

  • बिना इनकम प्रूफ के मिलेगा जीवन बीमा, यहां से करें बिना झंझट खरीदारी
  • सस्‍ता होगा लाइफ और हेल्‍थ इंश्‍योरेंस! नितिन गडकरी ने GST हटाने की रखी मांग
  • अब झटपट निपटेगा हेल्‍थ इंश्‍योरेंस क्‍लेम, सरकार लॉन्‍च करेगी ये खास पोर्टल
  • बीमा कंपनियों को पंचायत स्‍तर पर देना होगा इंश्‍योरेंस कवर, IRDAI ने जारी किए नियम
  • हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेते समय न करें ये गलती, खारिज हो सकता है क्‍लेम
  • HDFC एर्गो जनरल इंश्योरेंस ने बंद किए ये 3 प्‍लान, जानें बीमाधारकों पर क्‍या होगा असर?

Latest

  • 1. फटाफट खरीद लो iPhone, बढ़ने वाले हैं दाम
  • 2. पैन-आधार नहीं हैं लिंक्ड?
  • 3. 10 साल से व‍िजय केड‍िया के पास ये शेयर
  • 4. Vi को मिलेगी सरकार से बड़ी राहत?
  • 5. Nifty50 का ह‍िस्‍सा बनेगी Indigo
  • Trending Stories

  • फटाफट खरीद लो iPhone, बढ़ने वाले हैं दाम!
  • पैन-आधार नहीं हैं लिंक्ड?
  • 10 साल से व‍िजय केड‍िया के पास ये शेयर
  • Vi को मिलेगी सरकार से बड़ी राहत?
  • Nifty50 का ह‍िस्‍सा बनेगी Indigo
  • TV9 Sites

  • TV9 Hindi
  • TV9 Marathi
  • TV9 Gujarati
  • TV9 Kannada
  • TV9 Bangla
  • TV9 English
  • News9 Live
  • Trends9
  • Tv9tamilnews
  • Assamtv9
  • Malayalamtv9
  • Money9 Sites

  • Money9 Hindi
  • Money9 English
  • Money9 Marathi
  • Money9 Telugu
  • Money9 Gujarati
  • Money9 Kannada
  • Money9 Bangla
  • Money9live
  • Topics

  • बीमा
  • बचत
  • कर्ज
  • शेयर
  • म्यूचुअल फंड
  • प्रॉपर्टी
  • टैक्स
  • क्रिप्टो
  • एक्सक्लूसिव
  • survey data
  • Download App

  • play_store
  • App_store
  • Contact Us
  • About Us
  • Advertise With Us
  • Privacy & Cookies Notice
  • Complaint Redressal
  • Copyright © 2025 Money9. All rights reserved.
  • Facebook
  • Twitter
  • Whatsapp
  • LinkedIn
  • Telegram
close