हिमाचल प्रदेश में आई फ्लैश फ्लड के वीडियो दिल दहलाने वाले हैं. इनमें डूबती कारें और धराशायी होते घर दिखाई दे रहे हैं. इन तस्वीरों से एक बार फिर इंश्योरेंस कवर की अहमियत साबित होती है. एक सही कवर आपको तमाम तरह के जोखिमों से बचाता है. इसमें पेड़ गिरने या मॉनसून के दौरान गाड़ी के डूबने जैसे जोखिम भी शामिल हैं. अनिवार्य थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर आज की तारीख में शायद काफी नहीं है. मॉनसून में कार के कवरेज के लिए आपको कॉम्प्रिहैंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए. कॉम्प्रिहैंसिव कवर में दो कवर शामिल हैं – ओन डैमेज और थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस.
हालांकि, केवल इंश्योरेंस कवर होना ही सबकुछ नहीं है. आपको ये पता होना चाहिए कि किन वजहों से आपके क्लेम खारिज हो सकते हैं.
इनमें से एक आम गलती लोग तब करते हैं जब वे पानी में डूबे हुए इंजन को तुरंत स्टार्ट करते हैं. ऐसा करने से कई दफा कार का इंजन डैमेज हो जाता है. इंश्योरेंस कंपनियों को मॉनसून सीजन में बड़े पैमाने पर कैंपेन चलाने चाहिए ताकि लोगों के क्लेम आसानी से पास हो सकें.
ज्यादातर बीमा कंपनियां प्रभावित राज्यों में नोडल अफसर तैनात करती हैं. नोडल अफसर का काम सेटलमेंट कार्यवाही को तेजी से निस्तारित करने का होता है. ऐसे अधिकारियों के कॉन्टैक्ट नंबर आमतौर पर वेबसाइट पर दिए जाते हैं.
घर के मालिकों को होम इंश्योरेंस लेने का सोचना चाहिए ताकि किसी प्राकृतिक आपदा में उनके घर की कंस्ट्रक्शन की कॉस्ट वापस मिल सके. बेसिक थर्ड पार्टी पॉलिसी से आपको आग और दूसरी ऐसी ही आपदाओं से कवर मिलता है. इसमें भूकंप और बाढ़ शामिल हैं. होम इंश्योरेंस की पहुंच बेहद कम है.
भारत में बीमा की पहुंच 2001 में 2.71 फीसदी थी जो 2019 में बढ़कर 3.76 फीसदी हो गई है. गैर-जीवन बीमा इंडस्ट्री की पहुंच 2001 में 0.56 फीसदी थी जो कि 2019 में बढ़कर 0.94 फीसदी हो गई है.
निश्चित तौर पर देश में बीमा कवरेज बढ़ाने के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है. सही कवरेज से आपकी वित्तीय चिंताएं दूर रहती हैं. ऐसे में बीमा लेने से संकोच मत कीजिए और अपने और अपनी संपत्तियों के लिए पर्याप्त बीमा कवर लीजिए.
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