लाइफ इंश्योरेंस (Life Insurance) आपके जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट है. अक्सर ये देखा जाता है कि पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी (Life Insurance) को बीच में ही सरेंडर कर देते हैं या छोड़ देते हैं. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बीमा कंपनियों ने 2019-20 में पॉलिसी सरेंडर और विड्रॉल के कारण 1.22 लाख करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया है. जबकि साल 2018-19 में ये राशि करीब 1.11 लाख करोड़ रुपए थी. इस राशि के बढ़ने का मतलब उन लोगों की संख्या में इजाफा है जिन्होंने अपनी पॉलिसी की अवधि को पूरा नहीं किया है. हालांकि गलत बिक्री से लेकर पैसों की तत्काल आवश्यकता तक इसके पीछे कई कारण हैं.
अगर आप उन लोगों में से एक जिन्होंने अचानक बीच में अपना प्रीमियम भरना बंद कर दिया है और अब परेशान हैं कि क्या करें, तो जानिए कि इंश्योरेंस कंपनी दोबारा पॉलिसी को शुरू करने के लिए विकल्प देती हैं.
यदि ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान नहीं किया जाता है, जो आम तौर पर सालाना, अर्ध-वार्षिक और त्रैमासिक भुगतान के लिए एक महीने और मासिक भुगतान के लिए 15 दिन का वक्त दिया जाता है. वरना पॉलिसी को खत्म यानि लैप्स्ड मान लिया जाता है. पॉलिसी खत्म होने के बाद बीमा कंपनी दो से लेकर पांच सालों तक के लिए पॉलिसी को रिवाइव करने का वक्त देती हैं.
अलग अलग इंश्योरेंस कंपनियां पॉलिसी के लिए अलग अलग रिवाइवल पीरियड देती हैं. ये अलग अलग उत्पाद पर भी निर्भर करता है. लेकिन ये आपको पता करना होगा कि पॉलिसी स्टार्ट करने के लिए कितनी पेनल्टी देनी होगा या कौन से मेडिकल टेस्टों से गुजरना होगा. लैप्स्ड हो चुकी पॉलिसियों के लिए कंपनियां समय-समय पर रिवाइवल कैंपेन चलाती हैं. रिवाइवल कैंपेन के दौरान, कंपनियां कई मामलों में पेनल्टी चार्ज नहीं लगातीं या कई केस में मेडिकल चेकअप को माफ कर दिया जाता है.
हाल में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) ने 23 अगस्त 2021 को अपना स्पेशल रिवाइवल कैंपेन चलाया हुआ है, जो 22 अक्टूबर 2021 तक चलेगा. इस कैंपेन के जरिए लैप्स्ड निजी पॉलिसी रिवाइव कराई जा सकती है.
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (Ulips): Ulips में लॉक इन पीरियड पांच साल का होता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप कम से कम 5 साल के प्रीमियम का भुगतान जारी रखें.
अगर आप इन पांच साल के अंदर पेमेंट करना बंद करते हैं, फिर सरेंडर शुल्क की कटौती के बाद फंड की वैल्यू डिसकंटीन्यूशन पॉलिसी फंड में ट्रांसफर हो जाती है. पांच साल के बाद पॉलिसीहोल्डर को धनराशि वापस मिल जाएगी.
हालांकि, बीच में, पॉलिसीहोल्डर को 2 साल की रिवाइवल का मौका दिया जाता है, जिसे लॉक-इन अवधि की समाप्ति से पहले पूरा किया जाना चाहिए. यदि लॉक-इन पीरियड के आखिर में 2 साल का रिवाइवल पीरियड पूरा नहीं होता है तो भुगतान 5 साल की लॉक-इन अवधि या रिवाइवल पीरियड के अंत में किया जाता है, इनमें से जो भी बाद में हो उसके आधार पर. उदाहरण के लिए अगर पॉलिसी चौथे साल में जाकर लैप्स्ड होती है तो रिवाइवल विंडो दो सालों के लिए रहेगी.
अगर पांच साल पूरे होने के बाद प्रीमियम भुगतान रोक दिया जाता है तो आप या तो पूरी तरह से राशि निकाल सकते हैं या बंद होने की तारीख से दो साल के भीतर पॉलिसी को रिवाइवल कर सकते हैं.
रिवाइवल की कीमत- एक लैप्स्ड पॉलिसी को दोबारा शुरू करने के लिए, आपको ब्याज के साथ एक्यूमुलेटेड अनपेड प्रीमियम का भुगतान करना होगा. जो वर्तमान में 8-9% के बीच है. 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर ब्याज दरें 3% प्लस यील्ड हैं.
लाइफ इंश्योरेंस एक लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रेक्ट है, केवल तभी प्रतिबद्ध हों जब आप लंबी अवधि के लिए प्रीमियम का भुगतान कर सकें.
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