देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Scooter) की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. जिसकी सबसे बड़ी वजह पेट्रोल की बढ़ती कीमत और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर मिलने वाली सब्सिडी है. बजाज से लेकर हीरो व कई ब्रांडेड कंपनियों ने बाजार में इलेक्ट्रिक स्कूटर लांच कर दिया और भारत में इसे ज्यादा संख्या में बनाया भी जा रहा है. इलेक्ट्रिक स्कूटर्स ((Electric Scooter)) और बाइक्स के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है तो उनके इंश्योरेंस की महत्ता भी बढ़ गई है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि इलेक्ट्रिक बाइक्स/स्कूटर्स के लिए कौन से कवरेज लिए जाएं. तो हम आपको ऐसे ही कुछ तरीके बताएंगे, जिससे आपकी इंश्योरेंस की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी.
इलेक्ट्रिक स्कूटर पर ऐसे पा सकते हैं इंश्योरेंस
ये ई-बाइक कानून की नजर में बिल्कुल साइकिल की तरह हैं. इलेक्ट्रिक स्कूटर (Electric Scooter) के लिए आप मोटर इंश्योरेंस न लेकर अन्य इंश्योरेंस ले सकते हैं. अपने जान पहचान के एक अच्छा बीमा देने वाले एजेंट से संपर्क कर सकते हैं. वह आपको बीमा के कई प्रकारों के बारे में बता सकता है. साइकिल, मोबाइल मशीन जैसी चीजों को कवर करने के लिए नीतियां हैं, जिसके तहत आप इनपर बीमा ले सकते हैं.
सड़क दुर्घटना व अन्य प्रकार के बीमा के बारे में जानकारी लेकर कर सकते हैं. इसके अलावा तीसरे पक्ष के दुर्घटना से संबंधित बीमा जोड़ने के लिए भी आरटीओ ऑफिस से या बीमा एजेंट से जानकारी ले सकते हैं. अगर इससे भी आपका काम नहीं हो पा रहा है तो आप आप इस क्षेत्र में अपनी समस्या को बताते हुए आईआरडीएआई को शिकायत भी कर सकते हैं. इलेक्ट्रिक स्कूटर के संबंध में बैटरी पर भी कवरेज दिया जाता है, लेकिन इससे संबंधित जानकारी भी एजेंट या अन्य प्रकारों से करनी होगी.
दूसरे वाहनों की तरह ही होगा इंश्योरेंस
इलेक्ट्रिक बाइक्स/स्कूटर्स को उन्ही मोटर इंश्योरेंस प्लान के तहत इंश्योर्ड किया जा सकता है जो थर्ड पार्टी या व्यापक कवरेज को लेकर नॉन-इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए हैं. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के तहत व्हीकल से सड़क पर चलने वाले किसी व्यक्ति या अन्य को या किसी प्रॉपर्टी को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाता है. ऐसी घटना के कारण व्हीकल ओनर/ड्राइवर पर बनने वाली कानूनी देनदारियों का निपटारा इसी पॉलिसी से होता है. व्यापक कवरेज के तहत पांच साल के थर्ड पार्टी कवरेज मिलता है, लेकिन खुद के लिए सिर्फ एक साल का कवरेज मिलता है. अगर आपके व्हीकल की लास्ट डेप्रिशिएशन वैल्यू (LDV) अगर जीरो भी बची है, तब भी आपको थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाना होगा. थर्ड पार्टी के तहत संपत्ति के नुकसान के लिए 7.5 लाख रुपये का कवर मिलता है. हालांकि मृत्यु व शारीरिक क्षति के लिए असीमित कवरेज मिलता है.
व्हीकल ओनर को नहीं देता कोई राहत
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के तहत व्हीकल ओनर या चालक को होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है. इसके अलावा जिस व्हीकल से एक्सीडेंट हुआ है, उसे नुकसान होने पर कोई मुआवजा नहीं मिलता है.
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