लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी क्लेम करना एक आसान प्रक्रिया नहीं है. पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद बात जब इंश्योरेंस क्लेम करने की आती है तो सबसे पहले नॉमिनी के बारे में पता किया जाता है. लेकिन, क्या आपको पता है कि नॉमिनी नहीं होने पर इंश्योरेंस पॉलिसी क्लेम किया जा सकता है. कानूनी उत्तराधिकारी नॉमिनी नहीं होने की सूरत में पॉलिसी क्लेम कर सकता है.
जानिए बीमा पॉलिसी में उत्तधिकार का नियम
बीमा पॉलिसी को मृतक पॉलिसीधारक की निजी मिल्कियत माना जाता है. मृतक पॉलिसीधारक की परिसंपत्तियों पर कानूनी उत्तराधिकारियों का अधिकार होता है. लेकिन जीवन बीमा में बेनिफिशियल नॉमिनी का नियम है. इस प्रावधान को इंश्योरेंस लाॉज (अमेंडमेंट) एक्ट, 2015 में जोड़ा गया है. इसके तहत अगर किसी पारिवारिक सदस्य (माता-पिता, जीवनसाथी या बच्चे) को नॉमिनी बनाया जाता है, तो बीमे की रकम उसे मिलती है. ऐसे में कानूनी उत्तराधिकारियों का इन पैसों पर कोई दावा नहीं बनेगा. लेकिन, अगर बीमित व्यक्ति ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है, या नॉमिनी की भी मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारी इंश्योरेंस लाभ को क्लेम कर सकता है.
कौन है नॉमिनी?
नॉमिनी वह व्यक्ति है, जो आपकी मृत्यु के बाद बीमा कंपनी, बैंक FD और प्रॉपर्टी से मिले पैसों को आपके क़ानूनी वारिसों तक पहुंचाता है. वह कानूनन उस रकम का मालिक नहीं होता, वह सिर्फ एक ट्रस्ट होता है. सरल शब्दों में कहें, तो नॉमिनी एक केयरटेकर की तरह होता है, जो हमारे न रहने पर हमारी जमा-पूंजी को हमारे अपनों तक पहुंचाता है.
नॉमिनी के नियम
– नॉमिनी नाबालिग तो गार्जियन नियुक्त करना जरूरी. – एक से ज्यादा नॉमिनी नियुक्त कर सकते हैं. – नॉमिनी को कई बार बदल सकते हैं. – नॉमिनी हमेशा संपत्ति का हकदार नहीं. – नॉमिनी बनाने पर भी वसीयत बनाना जरूरी. – नॉमिनी है पर वसियत नहीं तो संपत्ति का बंटवारा कानून के हिसाब से.
किस स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारी को मिलता है क्लेम
नॉमिनी के नहीं रहने पर कानूनी उत्तराधिकारी के पास यह अधिकार होता है. हालांकि, इसके लिए कानूनी उत्तराधिकारी को कई तरह के डॉक्युमेंट्स देकर यह साबित करना होता है कि वे ही कानूनी रूप से उत्तराधिकारी हैं. उन्हें मृत्यु प्रमाण प्रत्र, लाभार्थी का पहचान पत्र, पॉलिी के कागज, अस्पताल जाने की स्थिति में डिस्चार्ज फॉर्म, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट, अप्राकृतिक मौत की स्थिति में अस्पताल के रिकॉर्ड्स सबमिट करने होते हैं.
इसके अलावा कानूनी उत्तराधिकारी को किसी कोर्ट से जारी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र भी जमा करना होता है. इससे यह साबित होता कि मृत पॉलिसीधारक के बाद उनकी संपत्ति पर कानूनी उत्तराधिकारी का ही हक है.
एक से ज्यादा कानूनी उत्तराधिकारी हों तो क्या होगा?
अगर एक से ज्यादा उत्तराधिकारी हैं और उनमें से केवल एक ही क्लेम करता है तो ऐसी स्थिति में सभी कानूनी उत्तराधिकारी से सहमति लेना भी जरूरी है. इसके लिए एक एफिडेविट-कम-इन्डेम्निटी बॉन्ड साइन करना होता है, जिसमें सभी कानूनी उत्तराधिकारियों की सहमति होती है. इसे साइन करने के बाद सभी कानूनी उत्तराधिकारी इंश्योरेंस कंपनी के पास अलग-अलग क्लेम नहीं कर सकते हैं.
कानूनी उत्तराधिकारी तब भी क्लेम कर सकते हैं, जब पॉलिसी मैच्योरिटी के पहले तक किसी नॉमिनी को रजिस्टर नहीं कराया गया है. अगर पॉलिसीधारक के एक से अधिक बच्चे हैं और उन्होंने सभी को नामित नहीं किया है तो इंश्योरेंस कंपनी की ओर से केवल नामित व्यक्ति को ही क्लेम करने का अधिकार होगा. हालांकि, दूसरे बच्चे कोर्ट जाकर कानूनी रास्ते से क्लेम कर सकते हैं.
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