नोएडा के भूपाल का अच्छा बिजनेस चल रहा है. कुछ महीने पहले उन्हें जमीन का मुआवजा मिला है. खाते में मोटी रकम जमा है. नई चेक बुक के लिए भूपाल बैंक गए तो रिलेशनशिप मैनेजर ने बैठा लिया. मैनेजर ने पहले तो उन्हें साइबर ठगी की घटनाओं से सतर्क रहने को कहा. इसके बाद गारंटीड इंश्योरेंस प्लान में निवेश की सलाह दी. इस स्कीम में निवेश के बड़े-बड़े फायदे बताए और इस तरह मैनेजर ने भूपाल को दो लाख रुपए सालाना प्रीमियम की 10 साल की पॉलिसी बेच दी.
ये सिर्फ भूपाल का मामला नहीं है. अगर आपके खाते में भी मोटी रकम जमा है तो बैंक मैनेजर से लेकर इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट बेचने वाला स्टाफ तक आपको तरह-तरह की स्कीम बताएगा. दरअसल, बैकों में अब सेल्स से जुड़ा बड़ा टारगेट दिया जाता है. इन लोगों की सैलरी का एक हिस्सा सेल्स टारगेट पूरा करने पर ही मिलता है. इस टारगेट को पूरा करने के लिए वो बैंक की FD, म्यूचुअल फंड और बीमा पॉलिसियों में निवेश के लिए ग्राहकों को राजी करते हैं. लेकिन आजकल बैकों में सबसे ज्यादा जोर गारंटीड इंश्योरेंस प्लान बेचने पर दिया जा रहा है.
बीमा उद्योग के अनुसार बैंक रिलेशनशिप मैनेजरों के जरिए बेचे जा रहे प्रोडक्ट्स में गांरटीड इंश्योरेंस पॉलिसियों का एक बड़ा हिस्सा है. हालांकि बीमा कंपनियां किस स्कीम के जरिए कितना प्रीमियम कमा रही हैं, इस बारे में खुलासा नहीं करतीं…अन्य योजनाओं की तुलना में गारंटीड प्लान के प्रीमियम में जोरदार वृद्धि दर्ज हो रही है.
FD और म्यूचुअल फंड की तुलना में बीमा पॉलिसी बेचने पर काफी ज्यादा कमीशन मिलता है. हालांकि बीमा पॉलिसी पर कमीशन की दर अलग-अलग होती है लेकिन गारंटीड इंश्योरेंस प्लान के पहले वर्ष के प्रीमियम पर 40 से 50 फीसद तक कमीशन मिलता है. दूसरे साल के बाद ये कमीशन कम होकर 20 से 30 फीसद हो जाता है. म्यूचुअल फंड के सालाना कॉर्पस पर अधिकतम कमीशन 1% तक है. दरअसल, मार्च में इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा ने प्रोडक्ट स्पेसिफिक उत्पाद पर लगी कमीशन की सीमा हटा दी है. बीमा कंपनी अब अपने प्रबंधन खर्च के आधार पर कमीशन तय कर सकती है. बीमा कंपनियां कमीशन का प्रलोभन देकर बैंकरों को गांरटीड इंश्योरेंस प्लान बेचने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.
बीमा में गारंटीड इंश्योरेंस प्लान निवेश के ऐसे विकल्प हैं जिसमें आपको इंश्योरेंस कवर के साथ ही एक निश्चित रिटर्न की गारंटी मिलती है. देश की ज्यादातर बीमा कंपनियां इस तरह के प्लान बेच रही हैं. इसमें पहले से तय अवधि के लिए हर साल निश्चित रकम प्रीमियम के तौर पर जमा करनी होती है. इसके एवज में बीमा कंपनी आपको इंश्योरेंस कवरेज के साथ पहले से तय रकम देने की गारंटी देती है. पॉलिसीधारक इस रकम को एकमुश्त अथवा किस्तों में लेने का विकल्प चुन सकता है.
टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि बैंक और बीमा कंपनियों से जुड़े लोग आपको वही प्रोडक्ट बेचेंगे जिसमें उन्हें ज्यादा कमाई हो रही है. बैंकरों को गारंटीड इनकम प्लान में बंपर कमीशन मिलता है…इसीलिए वो इस पॉलिसी को बेचने के लिए ज्यादा जोर दे रहे हैं. जैन कहते हैं कि अपने बीमा और निवेश को हमेशा अलग रखना चाहिए. आड़े वक्त में निवेश को कभी भी तोड़ा जा सकता है. बीमा कवर के लिए अपनी सालाना आय का 15 गुना कवर तक का प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान लें. बाकी पैसे को SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करें. निवेश के लिए गारंटीड इश्योरेंस प्लान अच्छा विकल्प नही है.
गारंटीड इनकम प्लान पहली बार में सुनने में बेहद आकर्षक लग सकते हैं…लेकिन कुल मिलाकर इनका सालाना रिटर्न 5-6 फीसद के आसपास ही होता है जो महंगाई को मात देने में कारगर नहीं है. अगर भूपाल की तरह आपका बैंक मैनेजर भी ऐसी पॉलिसी खरीदने को कहे तो तो दबाव में न आएं. कोई भी फैसला लेने से पहले इस निवेश के नफा नुकसान को अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. बेहतर रहेगा कि इस बारे में किसी अच्छे फाइनेंशियल प्लानर की सलाह लें.
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