प्रधानमंत्री ने ओडिशा रेल दुर्घटना के मृतकों के परिजनों के लिए 2-2 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है जबकि घायलों को 50-50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. वहीं, रेल मंत्रालय ने भी मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद का ऐलान किया है. सरकार ने रेल दुर्घटना के मामलों में मुआवजा को लेकर संशोधन किया है. रेल दुर्घटना एवं दुर्घटना (मुआवजा) संशोधन नियम के अनुसार ऐसे मामले में मुआवजे की शुरुआती राशि चार लाख रुपए बढ़ाकर आठ लाख रुपए कर दी गई है. इस घटना के बाद एक बार फिर रेल सुरक्षा और इसकी पॉलिसी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. आइए जानते हैं रेलवे नियम के अनुसार इस तरह की घटनाओं में किसे और कितना मुआवजा मिलता है और क्या है आईआरसीटीसी की सुरक्षा पॉलिसी?
कितना मिलता है मुआवजा?
ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में रेलवे यात्रियों और उनके परिजनों को मुआवजा देती है. भारतीय रेलवे ऐसी घटनाओं के लिए तत्काल चिकित्सा खर्चों को कवर करने के लिए अनुग्रह राशि और अंतरिम भुगतान करती है जबकि अंतरिम भुगतानों को अंतिम भुगतान के विरुद्ध समायोजित किया जाता है. पीड़ितों और मृतकों के परिजनों को कुछ वित्तीय सुविधा प्रदान करने के लिए अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाता है. रेलवे दुर्घटना और अप्रिय घटनाएं (मुआवजा) संशोधन नियम, 1997 के तहत मानक मुआवजा:
टेबल 1
अगर आपने टिकट बुक करते समय आईआरसीटीसी की तरफ से दी जा रही बस 35 पैसे की सुरक्षा पॉलिसी चुनते हैं तो आप इ मुआवजे के हकदार होंगे.
टेबल 2
क्या है रेल सुरक्षा पॉलिसी?
इस नियम के अनुसार, केवल 3 बीमाकर्ता- लिबर्टी, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस और एलआईसी रेल सफर के दौरान सुरक्षा के लिए पॉलिसी देती हैं. आईआरसीटीसी केवल व्यक्ति और इन कंपनियों के बीच एक लिंक का काम करता है. इसलिए, अगर इनके द्वारा आपके दावों को खारिज कर दिया जाता है और सेवा नहीं दी जाती है, तो भारतीय रेलवे की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.
किसे नहीं मिलेगा मुआवजा?
– यह वैकल्पिक बीमा 5 वर्ष या उससे कम आयु के शिशुओं या विदेशियों के लिए उपलब्ध नहीं है. – टिकट की पुष्टि नहीं होने पर (आरएसी/प्रतीक्षा) टिकट बुक किया है, तो आपके दावों पर विचार नहीं किया जाएगा. – इसके अलावा, टिकट बुक करने के बाद, यदि आप ट्रेन में नहीं चढ़े, तो आप किसी भी मुआवजे के पात्र नहीं होंगे. – नियम के अनुसार, दावों में किसी भी दर्दनाक, मानसिक या मानसिक विकारों के लिए उपचार की लागत भी शामिल नहीं होगी, भले ही वे इस तरह की दुर्घटना के परिणामस्वरूप सामने आए हों. – यही कोई गर्भवती है, तो इस दुर्घटना का प्रसव पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव और इस अजन्मे बच्चे के नवजात स्वास्थ्य पर भी विचार नहीं किया जाएगा. – भारतीय रेलवे की वेबसाइट www.indianrailways.gov.in में दुर्घटना के संबंध में मुआवजे के दावों के संबंध में नियमों और प्रक्रियाओं को बताया गया है.
कब और कैसे कर सकते हैं क्लेम?
रेलवे के नियम के अनुसार, यात्रा के दौरान घटना घटित होने के 1 वर्ष के भीतर रेलवे दावा न्यायाधिकरण के समक्ष दावा दायर किया जा सकता है. अस्पताल में भर्ती होने के मामले में, बीमा की समाप्ति के बाद की समय-सीमा एक वर्ष है. उदहारण से समझिए कि अगर आपने 17 जनवरी, 2023 को 2-दिवसीय यात्रा के लिए टिकट बुक किया है, जो 19 जनवरी, 2023 को समाप्त होती है. अगर इस अवधि के ये ट्रेन किसी दुर्घटना का शिकार हो जाती है और इस ट्रेन में हैं तो आपको 19 जनवरी, 2024 से पहले अपने अस्पताल में भर्ती होने के खर्च के लिए दावा करना होगा.
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